नई दिल्ली:
उर्वरक क्षेत्र में दुनिया की सबसे बड़ी सहकारी संस्था इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड (इफको) की ओर से वर्ष 2016 का 'श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य सम्मान' वरिष्ठ कथाकार कमलाकांत त्रिपाठी को दिया जाएगा. कथाकार कमलाकांत ने किसान आंदोलन को केंद्र में रखकर 'पाहीघर' तथा 'बेदखल' जैसे चर्चित उपन्यास लिखे हैं. 'अंतराल' व 'जानकी बुआ' नाम से उनके दो कहानी संग्रह भी प्रकाशित हैं. जल्द ही उनका एक नया उपन्यास 'सरयू से गंगा' प्रकाशित होने वाला है.
कथाकार को 31 जनवरी को नई दिल्ली के एनसीयूआई ऑडिटोरियम में एक समारोह में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर सम्मानित करेंगे. सम्मान में 11 लाख रुपये, प्रतीक चिह्न् और प्रशस्तिपत्र शामिल हैं.
साहित्यकार एवं सांसद देवी प्रसाद त्रिपाठी की अध्यक्षता में गठित निर्णायक मंडल ने कमलाकांत त्रिपाठी का चयन उनकी साहित्य-साधना, वैचारिक समर्पण और व्यापक साहित्यिक अवदान को ध्यान में रखकर किया गया है.
निर्णायक मंडल के अन्य सदस्य मुरली मनोहर प्रसाद सिंह, नरेश सक्सेना, ममता कालिया और डॉ. दिनेश कुमार शुक्ल थे. प्रतिवर्ष दिया जाने वाला यह प्रतिष्ठित पुरस्कार किसी ऐसे रचनाकार को दिया जाता है जिसकी रचनाओं में ग्रामीण और कृषि जीवन से जुड़ी समस्याओं, आकांक्षाओं और संघर्षों को मुखरित किया गया हो.
मूर्धन्य कथाशिल्पी श्रीलाल शुक्ल की स्मृति में वर्ष 2011 में शुरू किया गया यह सम्मान अब तक विद्यासागर नौटियाल, शेखर जोशी, संजीव, मिथिलेश्वर व अष्टभुजा शुक्ल को प्रदान किया गया है.
इस अवसर पर 'श्रीलाल शुक्ल की रचनाधर्मिता और हमारा समय' विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया है, जिसमें नरेश सक्सेना, रविभूषण, ममता कालिया, डॉ. जयप्रकाश कर्दम और पंकज चतुवेर्दी वक्ता के रूप में शामिल होंगे.
कथाकार को 31 जनवरी को नई दिल्ली के एनसीयूआई ऑडिटोरियम में एक समारोह में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर सम्मानित करेंगे. सम्मान में 11 लाख रुपये, प्रतीक चिह्न् और प्रशस्तिपत्र शामिल हैं.
साहित्यकार एवं सांसद देवी प्रसाद त्रिपाठी की अध्यक्षता में गठित निर्णायक मंडल ने कमलाकांत त्रिपाठी का चयन उनकी साहित्य-साधना, वैचारिक समर्पण और व्यापक साहित्यिक अवदान को ध्यान में रखकर किया गया है.
निर्णायक मंडल के अन्य सदस्य मुरली मनोहर प्रसाद सिंह, नरेश सक्सेना, ममता कालिया और डॉ. दिनेश कुमार शुक्ल थे. प्रतिवर्ष दिया जाने वाला यह प्रतिष्ठित पुरस्कार किसी ऐसे रचनाकार को दिया जाता है जिसकी रचनाओं में ग्रामीण और कृषि जीवन से जुड़ी समस्याओं, आकांक्षाओं और संघर्षों को मुखरित किया गया हो.
मूर्धन्य कथाशिल्पी श्रीलाल शुक्ल की स्मृति में वर्ष 2011 में शुरू किया गया यह सम्मान अब तक विद्यासागर नौटियाल, शेखर जोशी, संजीव, मिथिलेश्वर व अष्टभुजा शुक्ल को प्रदान किया गया है.
इस अवसर पर 'श्रीलाल शुक्ल की रचनाधर्मिता और हमारा समय' विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया है, जिसमें नरेश सक्सेना, रविभूषण, ममता कालिया, डॉ. जयप्रकाश कर्दम और पंकज चतुवेर्दी वक्ता के रूप में शामिल होंगे.
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