राजनीति और शिक्षा क्षेत्र से संबद्ध चर्चित शख्सियतों ने नोटबंदी से जुड़ी तमाम पहलुओं को नई किताब में उकेरा है. यह किताब नोटबंदी पर इस चर्चा को नया आयाम देती है कि क्या यह कदम सही था या नहीं.
'डिमोनेटाइजेशन इन द डिटेल' नाम से लिखी गयी किताब में 12 लेख लिखे गये हैं. इसका संपादन दिग्गज पत्रकार एच के दुआ ने किया है, जबकि इसका प्रकाशन पालीम्पसेस्ट पब्लिशर्स ने किया है. दुआ के अनुसार कोई भी लोकतांत्रिक देश ने अर्थव्यवस्था को दुरूस्त करने के लिये कभी भी नोटबंदी का विकल्प नहीं चुना.
उन्होंने 'डिमोनेटाइजेशन: द ज्यूरी इल स्टिल आउट' शीर्षक से परिचय में लिखा है, नोटबंदी घटते लाभ के नियम से अलग नहीं है. अर्थव्यवस्था का डिजिटलीकरण का अभियान प्रभावित हो सकता है, क्योंकि हमारी शिक्षा प्रणाली की पहुंच और गुणवत्ता को देखते हुए कुछ दशकों तक डिजिटल डिवाइड बना रहेगा.
इस पुस्तक में प्रख्यात अर्थशास्त्री अरूण कुमार, विवेक देबराय, राजनीति विज्ञानी जोया हसन, माकपा नेता सीताराम येचुरी, कांग्रेस नेता मनीष तिवारी, रेल मंत्री सुरेश प्रभु जैसो ने लेखों के माध्यम से नोटबंदी के बारे में अपनी बातें रखी है.
'डिमोनेटाइजेशन इन द डिटेल' नाम से लिखी गयी किताब में 12 लेख लिखे गये हैं. इसका संपादन दिग्गज पत्रकार एच के दुआ ने किया है, जबकि इसका प्रकाशन पालीम्पसेस्ट पब्लिशर्स ने किया है. दुआ के अनुसार कोई भी लोकतांत्रिक देश ने अर्थव्यवस्था को दुरूस्त करने के लिये कभी भी नोटबंदी का विकल्प नहीं चुना.
उन्होंने 'डिमोनेटाइजेशन: द ज्यूरी इल स्टिल आउट' शीर्षक से परिचय में लिखा है, नोटबंदी घटते लाभ के नियम से अलग नहीं है. अर्थव्यवस्था का डिजिटलीकरण का अभियान प्रभावित हो सकता है, क्योंकि हमारी शिक्षा प्रणाली की पहुंच और गुणवत्ता को देखते हुए कुछ दशकों तक डिजिटल डिवाइड बना रहेगा.
इस पुस्तक में प्रख्यात अर्थशास्त्री अरूण कुमार, विवेक देबराय, राजनीति विज्ञानी जोया हसन, माकपा नेता सीताराम येचुरी, कांग्रेस नेता मनीष तिवारी, रेल मंत्री सुरेश प्रभु जैसो ने लेखों के माध्यम से नोटबंदी के बारे में अपनी बातें रखी है.
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