World Breastfeeding Week 2023: अगस्त के पहले हफ्ते को विश्व स्तनपान दिवस के रूप में मनाया जाता है. स्तनपान कराने पर मां और बच्चे दोनों की सेहत को कई फायदे मिलते हैं. लेकिन, हमारे भारतीय समाज में अक्सर ही देखा जाता है कि स्तनपान से जुड़ी कई तरह की बातें कही जाती हैं जिनमें से आधी सच तो आधी मिथक (Myth) से ज्यादा कुछ नहीं होतीं. लेकिन, बहुत सी महिलाएं इन मिथक को मान लेती हैं और स्तनपान से जुड़ी गलतियां कर बैठती हैं जिससे बच्चे और मां दोनों की सेहत पर प्रभाव पड़ सकता है.
स्तनपान से जुड़े मिथक | Breastfeeding Myths
स्तनपान कराने पर दर्द होता हैइस मिथक को नई माएं अक्सर ही सच मान लेती हैं कि स्तनपान (Breastfeed) कराने पर हमेशा दर्द होता है. लेकिन, ऐसा नहीं है. असल में स्तनपान कराने की शुरूआत में दर्द या तकलीफ महसूस हो सकती है लेकिन एक से डेढ़ हफ्तों में ही स्तनपान ना सिर्फ सुचारू ढंग से होता है बल्कि कई माओं के लिए यह प्रक्रिया एंजॉयबल भी होती है.
सभी माएं करा सकती हैं स्तनपानकहा जाता है कि हर मां स्तनपान करवा सकती है जबकि ऐसा नहीं है. कई महिलाएं मेडिकल कंडीशंस से गुजरती हैं और इस चलते वे स्तनपान नहीं करवा पाती हैं. ऐसे में महिलाओं को यह उलाहना देना कि वे स्तनपान क्यों नहीं करवा पा रहीं जबकि बाकी सभी माएं करवा लेती हैं, गलत है.
स्तन हो सकते हैं खराबस्तनपान कराने से स्तन डैमेज या खराब नहीं हो जाते हैं. स्तनपान कराने पर भी स्तन का आकार जस का तस रह सकता है. स्तन का आकार बढ़ता भी है तो वह प्राकृतिक प्रक्रिया के चलते होता है ना कि स्तनपान कराने से.
आर्टिफिशियल दूध और मां का दूध एकसमान हैअक्सर ही कहा जाता है कि बच्चे को स्तनपान करवाने के बजाय आर्टिफिशियल दूध पिला देना चाहिए क्योंकि दोनों दूध एकसमान होते हैं. लेकिन, मां के दूध (Breastmilk) में कई ज्यादा प्राकृतिक पोषक तत्व होते हैं जो बच्चे के वृद्धि और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
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