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ऑफिस की मीटिंग या किसी से बात करते हुए आप भी हो जाते हैं Zone Out? साइकोलॉजिस्ट ने बताया क्यों होता है ऐसा

Why does zoning out happen: क्या किसी से बात करते हुए आपका ध्यान अचानक कहीं और चला जाता है और आपको याद नहीं रहता है कि सामने वाले शख्स ने आपसे क्या कहा है? आइए एक्सपर्ट्स से जानते हैं ऐसा क्यों होता है और इससे छुटकारा कैसे पाया जा सकता है.

ऑफिस की मीटिंग या किसी से बात करते हुए आप भी हो जाते हैं Zone Out? साइकोलॉजिस्ट ने बताया क्यों होता है ऐसा
बात करते-करते क्यों खो जाते हैं आप?

What is the reason behind zoning out: क्या आप भी ऑफिस की मीटिंग में बैठे-बैठे अचानक किसी और ही ख्याल में खो जाते हैं? या किसी से बात करते हुए आपका ध्यान अचानक कहीं और चला जाता है और आपको याद नहीं रहता है कि सामने वाले शख्स ने आपसे क्या कहा है? अगर हां, तो बता दें कि इसे आम बोलचाल की भाषा में जोन आउट होना (Zone Out) कहा जाता है. अगर आपके साथ ऐसा बार-बार हो रहा है, तो ये आर्टिकल आपके लिए मददगार हो सकता है. आइए एक्सपर्ट्स से जानते हैं ऐसा क्यों होता है और इससे छुटकारा कैसे पाया जा सकता है.

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क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

मामले को लेकर NDTV संग हुई बातचीत के दौरान सर्वोदय हॉस्पिटल, फरीदाबाद में क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट महिमा पिलवान ने बताया, जोन आउट होना एक नेचुरल साइकोलॉजिकल प्रोसेस है, जिसमें हमारा दिमाग कुछ देर के लिए वर्तमान स्थिति से कट कर अपने अंदर के विचारों या कल्पनाओं में चला जाता है. यह कोई बीमारी नहीं है न ही कोई मेंटल कंडीशन है, बल्कि यह दिमाग का एक तरह से 'ब्रेक मोड' होता है.

आप क्यों बार-बार होते हैं Zone Out?

डॉक्टर महिमा पिलवान बताती हैं, इसके पीछे कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं. जैसे-

  • मानसिक थकावट या नींद की कमी
  • जिस बारे में बात हो रही हो, उसमें आपकी रुचि की कमी या भावनात्मक जुड़ाव न होना
  • ज्यादा तनाव लेना या
  • एक साथ कई काम करने की कोशिश करना.

डॉक्टर बताती हैं, कुछ मानसिक स्थितियां जैसे ADHD में भी व्यक्ति बातों पर लंबे समय तक फोकस नहीं कर पाता है और बार-बार बातों से भटक जाता है.

ऐसी कंडीशन से बचने के लिए क्या करें?

इस सवाल का जवाब देते हुए साइकोलॉजिस्ट बताती हैं, अगर आप बार-बार चीजों पर फोकस नहीं कर पा रहे हैं और इसके चलते आपके काम पर असर पड़ रहा है, तो कुछ खास बातों पर ध्यान देना जरूरी है. जैसे-

नींद और पानी की कमी न होने दें

साइकोलॉजिस्ट के मुताबिक,  अगर शरीर थका होगा, तो दिमाग भी साथ नहीं देगा. ऐसे में सबसे पहले पर्याप्त नींद लें. इसके साथ ही हाइड्रेशन बहुत जरूरी है.

मेडिटेशन

दिन में 2 मिनट भी गहरी सांस लेना आपके फोकस को बेहतर बना सकता है. इससे अलग आप कुछ देर मेडिटेशन कर सकते हैं.

ब्रेक लें 

लगातार काम करने की बजाय बीच-बीच में छोटे ब्रेक लें. इससे आपका फोकस बेहतर होगा. 

मल्टीटास्किंग से बचें 

एक बार में एक ही काम पर फोकस करें, इससे दिमाग कम थकेगा.

इन सब से अलग एक्सपर्ट बताती हैं, अगर ये तरीके अपनाने के बाद भी zoning out बार-बार हो रहा है या आप किसी भी चीज पर फोकस नहीं कर पा रहे हैं, तो किसी साइकोलॉजिस्ट से बात करना सही रहेगा.

अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
 

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