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मल त्याग करने में कितना समय लगना चाहिए? 1 दिन में कितनी बार जाना सही, जानिए फायदे और नुकसान

Mistakes In Toilet: अक्सर लोग मल त्याग के दौरान ऐसी गलतियां कर बैठते हैं, जो लंबे समय में आंतों और पेट की गंभीर बीमारियों की वजह बन जाती हैं.

मल त्याग करने में कितना समय लगना चाहिए? 1 दिन में कितनी बार जाना सही, जानिए फायदे और नुकसान
मल त्याग करने में गलती
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आजकल अनहेल्दी लाइफस्टाइल और खराब खानपान के चलते पेट से जुड़ी समस्याएं बहुत ही आम हो गई हैं. ऐसे में पेट का साफ होना बहुत ही आवश्यक है. मल त्याग एक ऐसी प्रक्रिया है, जो नियमित रूप से सही रहे तो पाचन से लेकर पूरी सेहत के लिए फायदेमंद है. सुबह उठने के बाद अगर पेट पूरी तरह साफ न हो तो दिन भर कामकाज प्रभावित होता है और शरीर अनहेल्दी महसूस करता है. न काम में मन लगता है न कुछ खाने का मन करता है और पेट भी भरा हुआ, फूला-फूला रहता है.

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दरअसल, अक्सर लोग मल त्याग के दौरान ऐसी गलतियां कर बैठते हैं, जो लंबे समय में आंतों और पेट की गंभीर बीमारियों की वजह बन जाती हैं. कई लोग मल त्याग के समय घंटों बैठे रहते है, तो कोई दिन में कई-कई बार टॉयलेट भागता है, लेकिन क्या आप जाते हैं कि मल त्याग के समय कुछ जरूरी और महत्वपूर्ण चीजों का ध्यान रखना बहुत ही जरूरी है. चलिए आपको बताते हैं मल त्याग में कितना समय लगना चाहिए और दिन में कितनी बार टॉयलेट जाना चाहिए.

मल त्याग करने में कितना समय लगना चाहिए

एक्सपर्ट के मुताबिक, मल त्याग करना हमारे पाचन तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. मल त्याग के लिए कोई निश्चित समय नहीं है, लेकिन एक स्वस्थ सीमा दिन में तीन बार से लेकर हफ्ते में तीन बार तक है. यदि इससे कम या ज्यादा हो तो यह कब्ज या दस्त का संकेत हो सकता है. मल त्याग करने की प्रक्रिया आमतौर पर दो से तीन मिनट से ज्यादा नहीं लगनी चाहिए और यह बिना जोर लगाए आसानी से होना चाहिए. हालांकि, मल त्यागने में आमतौर पर सिर्फ कुछ ही मिनटों से अधिक समय लगता है या दर्द होता है, तो यह कब्ज का लक्षण हो सकता है. इसलिए आपके शरीर के सामान्य पैटर्न को समझना सबसे जरूरी है.

मल त्याग करने का सही समय

मल त्याग करने का कोई सटीक समय नहीं है, लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि आप अपने शरीर की जरूरतों को समझें और मल त्याग करने के लिए पर्याप्त समय दें. आमतौर पर मल त्याग करने के लिए सुबह का समय सबसे अच्छा माना जाता है, क्योंकि इस समय पेट खाली होता है और मल त्याग करने की प्रक्रिया आसान होती है. मल त्याग से पहले पानी पीना ज्यादा फायदेमंद माना जाता है.

ज्यादा देर बैठने से क्या होता है?

हार्वर्ड, स्टैनफोर्ड और एम्स से प्रशिक्षित गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. सौरभ सेठी के मुताबिक, टॉयलेट पर ज्यादा देर बैठना और जोर लगाना आंत और गुदा क्षेत्र के लिए हानिकारक है. इससे हेमोरॉयड्स यानी बवासीर और एनल फिशर की समस्या हो सकती है. अगर, मल 10 मिनट में आसानी से न निकले तो बार-बार जोर लगाने के बजाय थोड़ी देर बाद पुनः कोशिश करनी चाहिए. इससे गट हेल्थ बनी रहती है और पाचन तंत्र पर अनावश्यक दबाव नहीं पड़ता.

सही पोजीशन में बैठें

मल त्याग के समय में सही पोजीशन का ध्यान रखना बहुत जरूरी है. टॉयलेट पर बैठने की स्क्वाटिंग पोजीशन यानी पैरों को थोड़ा ऊपर उठाकर बैठना आंतों को रिलैक्स करती है और मल त्याग आसान बनाती है. इसके लिए आप स्टूल यानी छोटी चौकी का इस्तेमाल कर सकते हैं.

अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.

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