Parenting: कहते हैं जब बेटियां छोटी होती हैं तो अपने पिता की लाडली होती हैं पर जैसे-जैसे बड़ी होती जाती हैं उनका झुकाव मां की तरफ ज्यादा होने लगता है. असल में ऐसा पिता (Father) के बेटी से दूरी बना लेने पर और दोनों के बीच एक अदृश्य रेखा खिंचने पर होता है. लेकिन, हमेशा ही ऐसा हो यह जरूरी नहीं है. भला पिता बेटियों (Daughters) से दूरी क्यों बनाएं और उनकी लाडली बड़ी होकर उनसे अपरिचित क्यों रह जाए. बचपन से ही पिता को अपनी बेटी के बारे में बहुत सी बातें पता होनी चाहिए और उसके जीवन में पूरी रुचि भी रखनी चाहिए जिससे पापा और बिटिया का रिश्ता हमेशा ही खास बना रहे.
पिता को अपनी बेटी के बारे में पता होनी चाहिए ये बातें
उसकी क्या है रुचियांआपकी बेटी को क्या पसंद है, किस चीज में उसका मन लगता है, उसे अपने खाली समय में क्या करना पसंद है और ट्रेंड्स के अनुसार उसकी पसंद किस तरह बदलती रहती है आदि जानें. इसके लिए आपको ज्यादा कुछ नहीं करना है बस उसके साथ कुछ पल बैठकर बातें करनी है.
आगे बढ़कर क्या करने की है इच्छा
वो जमाना चला गया जब माता-पिता (Parents) यह सुनिश्चित करते थे कि बेटी को आगे चलकर क्या करना है. अब समय है कि आप बेटी से पूछें कि वो क्या करना चाहती है और उसे आगे बढ़ने में मदद करें. छोटी उम्र से ही आपको पता होगा कि वह बढ़े होकर क्या करने के बारे में सोच रही है तो आप उसका मार्गदर्शन भी कर पाएंगे.
पापा ज्यादातर ऑफिस में रहते हैं और बेटी का अपना अलग स्कूल चलता है. दोनों को साथ में कम ही समय मिल पाता है. कई बार बच्चे बड़े होते-होते झूठ बोलने की आदत डाल लेते हैं और इससे सबसे ज्यादा जेब भी पिता की ही कटती है. ऐसे में कहीं आपकी बेटी की भी कुछ ऐसी ही आदत तो नहीं है यह जान लेने में ही समझदारी है.
बच्चे बड़े होते जाते हैं तो उनके दुख और तकलीफें भी उनकी अपनी होकर रह जाती हैं. बेटियों के साथ भी कुछ ऐसा ही होता है. मां से अपनी तकलीफ बांट नहीं पातीं और सोचती हैं कि पिता को क्या ही परेशान किया जाए. यह बेटी और पिता के बीच आई उम्र की दीवार के चलते होता है. लेकिन, अगर आपको अपनी बेटी कभी दुखी, उदास या गुस्से में दिखे तो उसके गम का कारण जानने की कोशिश जरूर करें, दिखावे भर के लिए नहीं बल्कि पास बैठकर सचमुच. हो सकता है वह किसी छोटी सी बात का बड़ा सा दुख लगाए बैठी है और आप उसकी तकलीफ को झट से दूर कर दें.
कई बार आपने देखा होगा कि सभी साथ बैठकर खाना खा रहे हैं और आपकी पत्नी ने कुछ ऐसा कह दिया या फिर आपने अनजाने में कुछ ऐसा कह दिया जो बेटी को बुरा लग गया है. जैसे बेटियों को मोटी, कामचोर, बेकार या नालायक जैसे शब्द कहे जाएं तो उन्हें बुरा लगता है और उनका खिलखिलाता चेहरा सूख कर कांटे जैसा लगने लगता है. पिता होने के तौर पर आपको भी ध्यान रखना चाहिए कि बेटी को दुखी करने वाली बातों से परहेज करें और घर में कोई दूसरा कहे तो उन्हें टोकें. सभी बच्चों (Children) को हल्के मन के साथ खुश और अपने माता-पिता के करीब होने का हक तो है ना.
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