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GST में बदलाव, ब्रांडेड फुटव‍ियर और सनग्‍लासेस की कीमतों पर क्‍या असर पड़ेगा?

GST का स्लैब कम किए जाने से रोजमर्रा के बहुत से सामान सस्ते हो जाएंगे. लेकिन, इसका फुटवियर और सनग्लासेस पर क्या असर पड़ेगा और ये चीजें सस्ती होंगी या नहीं, जानिए यहां.

GST में बदलाव, ब्रांडेड फुटव‍ियर और सनग्‍लासेस की कीमतों पर क्‍या असर पड़ेगा?
GST काउंसिल की 56वीं बैठक में किए गए बदलावों का लग्जरी आइम्स पर भी पड़ेगा असर.

GST On Footwear: गुड्स एंड सर्विस टैक्स काउंसिल ने पिछले हफ्ते टैक्स रेट्स में बदलाव किए हैं. इसका असर फैशनेबल आइटम्स जैसे फुटवियर और सनग्लासेस पर भी पड़ा है. रस्तोगी चेंबर्स के फाउडंर अभिषेक रस्तोगी ने इसे बेहतर तरह से समझाया है. अभिषेक ने बताया कि 56वीं जीएसटी काउंसिल भारत को सुलझे हुए रेट स्ट्क्चर की तरफ लेकर गई है जिससे लग्जरी आइटम्स पर कई फीसदी तक की छूट मिल गई है. ऐसे में फुटवियर समेत अन्य लग्जरी चीजों की कीमत पर कितना असर पड़ेगा आइए जानते हैं. 

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लग्जरी आइटम्स की कीमतों पर कितना असर पड़ेगा 

फुटवियर पर जीएसटी 

पहले जूते-चप्पलों पर टैक्स की दर 12% या 18% तक होती थी. अब नए नियमों के अनुसार-

  • 2,500 रुपये तक के फुटवियर पर सिर्फ 5% जीएसटी लगेगा.
  • 2,500 रुपये से ज्यादा कीमत वाले जूते-चप्पल पर पहले की तरह 18% जीएसटी लगेगा.

इसका मतलब है कि अब आम लोगों के लिए सस्ते जूते-चप्पल खरीदना आसान हो जाएगा. कंपनियां भी कीमतें कम कर सकती हैं, जिससे बिक्री बढ़ने की उम्मीद है.

सनग्लासेस और आईवियर

GST काउंसिल ने चश्मे से जुड़ी चीजों जैसे- लेंस, फ्रेम, ऑप्टिकल उपकरण पर GST को 12% से घटाकर 5% कर दिया है. इसका सीधा मतलब है कि प्रिस्क्रिप्शन वाले चश्मे अब सस्ते मिलेंगे.

धूप के चश्मों (सनग्लासेस) पर क्या होगा?
  • फैशन वाले ब्रांडेड धूप के चश्मों पर अभी भी ज्यादा टैक्स (12%-18%) लग सकता है.
  • लेकिन अगर वो HSN कोड 9003 या 9004 के तहत आएं, तो उन पर भी 5% टैक्स लग सकता है.
  • इसका फैसला इस बात पर होगा कि चश्मा किस तरह का है – फैशन के लिए या नजर की जरूरत के लिए.
क्या अभी भी रहेगा महंगा?
  • बता दें कि महंगे और लग्जरी ब्रांड के जूते या चश्मे पर अभी भी 18% या 40% तक टैक्स लग सकता है.
  • टैक्स कम होने से सस्ते ब्रांड्स को फायदा होगा, जिससे इंटरनेशनल और प्रीमियम ब्रांड्स की बिक्री पर असर पड़ सकता है.
  • कंपनियों को अब नई प्राइसिंग रणनीति (Pricing Strategy) बनानी होगी ताकि वे बाजार में टिके रह सकें.

यानी साधारण ग्राहकों के लिए राहत है. सस्ते जूते और चश्मे अब और सस्ते हो सकते हैं. ब्रांड्स को अपनी रणनीति बदलनी पड़ेगी, ताकि कम टैक्स वाली चीजों से मुकाबला कर सकें. ऐसे में अब जब अगली बार आप बाजार जाएं, तो हो सकता है आपको अपने पसंदीदा जूते या चश्मे पहले से कम दाम में मिलें.

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