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कम पानी, कम खर्च, मुनाफा लाखों में! अश्वगंधा की खेती से होगी बंपर कमाई, होंगे फायदे ही फायदे

Ashwagandha Farming: इसकी खेती कम पानी, कम खर्च में हो जाती है. ये औषधी जबरदस्त दाम देने वाली है, इससे लाखों की कमाई हो सकती है और यह किसानों के लिए कमाई की मशीन बन रही है. आइए जानते हैं इसकी खेती कब और कैसे कर सकते हैं.

कम पानी, कम खर्च, मुनाफा लाखों में! अश्वगंधा की खेती से होगी बंपर कमाई, होंगे फायदे ही फायदे
Ashwagandha

Ashwagandha Farming Profit: आज के समय में हर कोई हेल्दी लाइफ चाहता है. इसके लिए सही खानपान से लेकर लाइफस्टाइल तक फॉलो करना बहुत जरूरी है. इसी वजह से कई औषधियों और हर्बल पौधों की डिमांड तेजी से बढ़ रही है. यही कारण है कि अब किसान पारंपरिक फसलों की जगह हर्बल खेती की ओर रुख कर रहे हैं. अश्वगंधा भी इनमें से एक है. इसकी खेती कम पानी, कम खर्च में हो जाती है. ये औषधी जबरदस्त दाम देने वाली है, इससे लाखों की कमाई हो सकती है और यह किसानों के लिए कमाई की मशीन बन रही है. आइए जानते हैं इसकी खेती कब और कैसे कर सकते हैं.

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अश्वगंधा क्या है?

अश्वगंधा एक आयुर्वेदिक औषधि है, जो शरीर को ताकत, दिमाग को सुकून और इम्यूनिटी को बूस्ट करने में मदद करती है. इसे इंडियन जिनसेंग, विंटर चेरी या पॉइजन गूजबेरी भी कहा जाता है. इसकी सबसे ज्यादा मांग दवा कंपनियों, हेल्थ सप्लीमेंट ब्रांड्स और एक्सपोर्ट मार्केट में रहती है.

अश्वगंधा की खेती सबसे अच्छी कहां होती है?

भारत में अश्वगंधा की खेती मध्यप्रदेश, गुजरात, हरियाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र, पंजाब और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में बड़े पैमाने होती है. इन राज्यों की गर्म और सूखी जलवायु अश्वगंधा के लिए परफेक्ट मानी जाती है. इसके पौधे करीब 1.5 मीटर तक ऊंचे, पत्तियां हल्की हरी और अंडाकार, फूल छोटे और हरे रंग के और फल पके होने पर नारंगी-लाल रंग के होते हैं.

अश्वगंधा से सेहत को फायदे
  • अश्वगंधा को नेचुरल एनर्जी बूस्टर माना जाता है.
  • इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है.
  • डिप्रेशन और स्ट्रेस को कम करता है.
  • शुगर और कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल में मदद करता है.
  • थकान, कमजोरी और नींद की परेशानी से छुटकारा दिलाता है.
अश्वगंधा की खेती कैसे करें?1. सही मिट्टी चुनें, जमीन तैयार करें

सबसे पहले मिट्टी का चुनाव करना होता है. रेतीली या हल्की लाल दोमट मिट्टी में अश्वगंधा की फसल खूब बढ़ती है. बस ध्यान रखें कि मिट्टी में पानी रुकना नहीं चाहिए. इसके बाद जमीन की तैयारी करनी होती है. बारिश शुरू होने से पहले 2-3 बार जुताई की जाती है, ताकि मिट्टी भुरभुरी और नरम हो जाए. गोबर की खाद मिलाना और भी फायदेमंद होता है.

2. नर्सरी बनाएं, बीज खेत में ट्रांसप्लांट करें

जमीन तैयार होने के बाद बीज और नर्सरी बनाना होता है, जिसके लिए जून-जुलाई का समय सबसे अच्छा माना जाता है. हाई क्वालिटी बीज चुनकर, उसमें हल्की रेत डालकर ढक दिया जाता है. 6 से 7 दिन में अंकुर निकल आते हैं. इसके 35-40 दिन बाद इन्हें मुख्य खेत में ट्रांसप्लांट किया जाता है.

3. फसलों को सही से लगाएं

अश्वगंधा की खेती में पौधे लगाने की दूरी भी बहुत मायने रखती है. विशेषज्ञ बताते हैं, लाइन से लाइन की दूरी 20–25 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 8–10 सेमी होनी चाहिए. अगर आपके पास एक हेक्टेयर की जमीन है तो करीब 5 किलो बीज काफी होता है.

4. सिंचाई और कटाई

अश्वगंधा की खेती में सिंचाई भी काफी अहम होती है. हर 8-10 दिन में हल्की सिंचाई करें. ज्यादा पानी भी नुकसानदायक हो सकता है. जब पौधे की पत्तियां सूखने लगें और फल लाल-नारंगी हो जाएं, तो समझ जाना चाहिए कि फसल तैयार है. आमतौर पर 160–180 दिन में अश्वगंधा कटाई के लिए तैयार हो जाती है. कटाई के बाद जड़ों को उखाड़कर साफ करें, 8-10 सेमी के टुकड़ों में काटकर सुखाएं, यही जड़ें सबसे ज्यादा बिकती हैं.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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