नई दिल्ली:
ज़ी समूह के अध्यक्ष सुभाष चंद्रा कांग्रेस सांसद नवीन जिंदल की कंपनी से कथित तौर पर समूह के दो संपादकों द्वारा 100 करोड़ रुपये ऐंठने के प्रयास के मामले के सिलसिले में पुलिस के समक्ष पेश हुए।
जिंदल की कंपनी को नुकसान पहुंचाने वाले समाचार नहीं प्रसारित करने के एवज में उनसे यह धन मांगा गया था। दिल्ली की एक अदालत ने 14 दिसंबर तक चंद्रा को गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा दी है। चंद्रा अपने वकीलों के साथ चाणक्यपुरी में अपराध शाखा के कार्यालय पहुंचे, जहां उनसे पूछताछ की गई।
ज़ी समूह के दो संपादकों सुधीर चौधरी और समीर आहलूवालिया को 2 अक्टूबर को दर्ज शिकायत के आधार पर पिछले माह के अंत में गिरफ्तार किया गया था। इसी मामले में जांच में शामिल होने के लिए चंद्रा को तीन नोटिस दिए गए थे।
चंद्रा ने इससे पहले पुलिस को बताया था कि वह देश से बाहर हैं, इसलिए वह पेश नहीं हो सकते, लेकिन बाद में 3 दिसंबर को उन्होंने कहा कि वह नोटिस के 96 घंटे भीतर पेश होने को तैयार हैं। पुलिस ने तब उनसे 8 दिसंबर को पेश होने को कहा। जांचकर्ताओं ने इससे पहले एक स्थानीय अदालत को बताया था कि वे उनके साथ एक अभियुक्त की तरह व्यवहार कर रहे हैं, क्योंकि वे अपने नियोक्ताओं और जिंदल की कंपनी के बीच सौदेबाजी से वाकिफ थे।
ज़ी समूह ने आरोपों का खंडन किया है और अपने दोनों वरिष्ठ पत्रकारों की रिहाई की मांग करते हुए पुलिस कार्रवाई को अवैध और किसी और मकसद के लिए इसे बताया है। दिल्ली पुलिस को अपने वकील आरके हांडू के जरिये भेजे एक पत्र में ज़ी समूह के अध्यक्ष ने दावा किया कि निहित स्वार्थ ने जनता में एक गलत धारणा उत्पन्न की है कि वे जानबूझकर जांच में शामिल नहीं हो रहे।
जिंदल की कंपनी को नुकसान पहुंचाने वाले समाचार नहीं प्रसारित करने के एवज में उनसे यह धन मांगा गया था। दिल्ली की एक अदालत ने 14 दिसंबर तक चंद्रा को गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा दी है। चंद्रा अपने वकीलों के साथ चाणक्यपुरी में अपराध शाखा के कार्यालय पहुंचे, जहां उनसे पूछताछ की गई।
ज़ी समूह के दो संपादकों सुधीर चौधरी और समीर आहलूवालिया को 2 अक्टूबर को दर्ज शिकायत के आधार पर पिछले माह के अंत में गिरफ्तार किया गया था। इसी मामले में जांच में शामिल होने के लिए चंद्रा को तीन नोटिस दिए गए थे।
चंद्रा ने इससे पहले पुलिस को बताया था कि वह देश से बाहर हैं, इसलिए वह पेश नहीं हो सकते, लेकिन बाद में 3 दिसंबर को उन्होंने कहा कि वह नोटिस के 96 घंटे भीतर पेश होने को तैयार हैं। पुलिस ने तब उनसे 8 दिसंबर को पेश होने को कहा। जांचकर्ताओं ने इससे पहले एक स्थानीय अदालत को बताया था कि वे उनके साथ एक अभियुक्त की तरह व्यवहार कर रहे हैं, क्योंकि वे अपने नियोक्ताओं और जिंदल की कंपनी के बीच सौदेबाजी से वाकिफ थे।
ज़ी समूह ने आरोपों का खंडन किया है और अपने दोनों वरिष्ठ पत्रकारों की रिहाई की मांग करते हुए पुलिस कार्रवाई को अवैध और किसी और मकसद के लिए इसे बताया है। दिल्ली पुलिस को अपने वकील आरके हांडू के जरिये भेजे एक पत्र में ज़ी समूह के अध्यक्ष ने दावा किया कि निहित स्वार्थ ने जनता में एक गलत धारणा उत्पन्न की है कि वे जानबूझकर जांच में शामिल नहीं हो रहे।
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