बीते साल दिसंबर से इस साल दिसंबर तक बीजेपी को 6 राज्यों के विधानसभा चुनाव में कामयाबी नहीं मिली है. हालांकि इस दौरान पार्टी ने लोकसभा चुनाव में 303 सीटें हासिल कर प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाई है. लेकिन लोकसभा चुनाव के बाद से यह दूसरा राज्य है जहां पार्टी सरकार बना पाने में नाकाम साबित हुई है. हालांकि इससे पहले महाराष्ट्र और हरियाणा में वह सबसे बड़े दल के रूप में उभर कर बीजेपी सामने आई है. हरियाणा को छोड़ दें तो महाराष्ट्र पार्टी के हाथ से निकल गया. दरअसल ऐसा पहली बार है कि बीजेपी में इस समय को स्थाई अध्यक्ष नहीं है और कहने को तो अमित शाह राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं लेकिन कार्यकारी के तौर जेपी नड्डा कामकाज देख रहे हैं. अमित शाह ने भले ही हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड में चुनावी रैलियां की हों लेकिन गृहमंत्री बनने के बाद वह संगठन पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पा रहे हैं. लेकिन बाद करें लोकसभा चुनाव से पहले हुए विधानसभा चुनावों की तो राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में पार्टी की हार हुई है. लेकिन इन्हीं राज्यों में जब लोकसभा चुनाव के नतीजे आए तो बिलकुल उल्टा हुआ और कांग्रेस पूरी तरह से धाराशाई हो गई. फिलहाल इन चुनाव परिणामों से साफ हो गया है कि पार्टी को विधानसभा चुनाव को लेकर अपनी रणनीति में बदलाव करना होगा. क्योंकि सत्ता विरोधी लहर का सामना सिर्फ पीएम मोदी, अमित शाह और राष्ट्रवाद के सहारे नहीं किया जा सकता है.
राजस्थान
राजस्थान में कांग्रेस ने वसुंधरा राजे सरकार को हराकर अपनी सरकार बनाई है. हालांकि एग्जिट पोल बता रहे थे कि वसुंधरा राजे के कामकाज के चलते बीजेपी का पूरी तरह से सफाया हो जाएगा लेकिन बीजेपी 70 से ज्यादा सीटें जीत गई और कांग्रेस 99 सीटें मिलीं. फिलहाल राजस्थान में कांग्रेस की सरकार और अशोक गहलोत मुख्यमंत्री. लेकिन लोकसभा चुनाव में कांग्रेस बुरी तरह हार गई है जिसके बाद से पार्टी के अंदर ही अशोक गहलोत की सरकार पर सवाल खड़े हो गए हैं.
मध्य प्रदेश
15 साल से काबिज बीजेपी सरकार को कांग्रेस आखिरकार हराने में कामयाब हो गई और राज्य के सीएम कमलनाथ बनाए गए. हालांकि उनको सीएम बनाए जाने के बाद से पार्टी के एक और वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया नाराज हैं.
छत्तीसगढ़
इस राज्य में बीजेपी को कभी उम्मीद नहीं थी कि उसका इस तरह से सफाया हो जाएगा. राज्य की 90 सीटों में से 68 सीटें जीतने में कामयाब रही है और बीजेपी को मात्र 15 सीटें. यहां भी बीजेपी 10 सालों से सत्ता में काबिज थी.
महाराष्ट्र
कुछ महीने पहले राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी और शिवसेना गठबंधन ने मिलकर आसानी से बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया था लेकिन सीएम पद को लेकर हुए विवाद के बाद शिवसेना ने कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन के साथ मिलकर सरकार बना ली और यह राज्य भी बीजेपी के हाथ से चला गया.
झारखंड
झारखंड में सीएम रघुबर दास 5 सालों से राज्य की सत्ता में काबिज बीजेपी सरकार को बचा नहीं पाए. इस चुनाव का असर अगले साल होने वाले बिहार और दिल्ली विधानसभा के चुनाव में भी पड़ सकता है. राज्य में जेएमएम-कांग्रेस गठबंधन को 47 सीटें मिली हैं और बीजेपी को 25 सीटें मिली हैं.
जम्मू-कश्मीर
इस राज्य में बीजेपी ने अपनी विचारधारा से समझौता कर पीडीपी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी लेकिन बाद में कई मुद्दों पर मतभेद के बाद बीजेपी महबूबा मुफ्ती की सरकार के समर्थन वापस ले लिया.हालांकि दोबारा मोदी सरकार बनने के बाद जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का ऐलान कर दिया गया और साथ ही जम्मू-कश्मीर और लद्धाख को अलग-अलग कर दो केंद्रीय शासित प्रदेश बना दिए गए.
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