प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
ऐसा नहीं है कि तापमान केवल दिल्ली में गिरा है बल्कि कश्मीर में तापमान गिरा है. दिल्ली की तुलना में काफी भयंकर. श्रीनगर में तो तापमान छह डिग्री तक पहुंच गया है. कश्मीर में तो करीब 15 दिनों से बर्फबारी जारी है. लाइन ऑफ कंट्रोल इलाके में तो जमकर बर्फ गिरी है. कई ईलाकों में कई फुट तक बर्फ जम गई है. लेकिन सेना को इस बार उम्मीद नहीं है कि बर्फबारी की वजह से उसे घुसपैठ से राहत मिल पाएगी.
एलओसी के पास के कई सेक्टरों में जम्मू के राजौरी से लेकर करगिल के अंतिम छोर तक बर्फ की सफेद चादर बिछ गई है. सीमा के पहाड़ सफेद चादर में लिपटे नजर आने लगे हैं. ऐसे हालात में आतंकियों का घुसपैठ करना आसान नहीं बल्कि बहुत मुश्किल होगा फिर भी सेना अलर्ट है.
जानकारों की मानें तो जितनी बर्फ एलओसी के पहाड़ों पर गिर रही है, उसे पार करने की कोशिश करने का स्पष्ट अर्थ होगा मौत को आवाज देना. बावजूद इसके पिछला अनुभव यही रहा है कि बर्फबारी के बावजूद कई बार पाकिस्तान ने घुसपैठियों को इस ओर धकेलने की कोशिश की है.
वैसे भारी बर्फबारी के कारण घुसपैठ के पारंपारिक रास्ते तो बंद हो ही जाते हैं और पाकिस्तान की ओर से गोलाबारी में कमी आती है. हालांकि बर्फबारी के बावजूद सेना ने उन सीमा चौकियों को खाली नहीं करने का निर्णय नहीं लिया है जो काफी ऊंचाई वाले स्थानों पर हैं. आपकों बता दें कि भारी बर्फबारी के कारण वहां तक पहुंच पाना संभव नहीं होता है. इसलिए सेना के जवान पहले से पूरी तैयारी के साथ चोटियों पर अपना डेरा जमा लिया है ताकि आतंकियों या फिर पाक सैनिकों की नापाक इरादों का जवाब दे सकें.
एलओसी के पास के कई सेक्टरों में जम्मू के राजौरी से लेकर करगिल के अंतिम छोर तक बर्फ की सफेद चादर बिछ गई है. सीमा के पहाड़ सफेद चादर में लिपटे नजर आने लगे हैं. ऐसे हालात में आतंकियों का घुसपैठ करना आसान नहीं बल्कि बहुत मुश्किल होगा फिर भी सेना अलर्ट है.
जानकारों की मानें तो जितनी बर्फ एलओसी के पहाड़ों पर गिर रही है, उसे पार करने की कोशिश करने का स्पष्ट अर्थ होगा मौत को आवाज देना. बावजूद इसके पिछला अनुभव यही रहा है कि बर्फबारी के बावजूद कई बार पाकिस्तान ने घुसपैठियों को इस ओर धकेलने की कोशिश की है.
वैसे भारी बर्फबारी के कारण घुसपैठ के पारंपारिक रास्ते तो बंद हो ही जाते हैं और पाकिस्तान की ओर से गोलाबारी में कमी आती है. हालांकि बर्फबारी के बावजूद सेना ने उन सीमा चौकियों को खाली नहीं करने का निर्णय नहीं लिया है जो काफी ऊंचाई वाले स्थानों पर हैं. आपकों बता दें कि भारी बर्फबारी के कारण वहां तक पहुंच पाना संभव नहीं होता है. इसलिए सेना के जवान पहले से पूरी तैयारी के साथ चोटियों पर अपना डेरा जमा लिया है ताकि आतंकियों या फिर पाक सैनिकों की नापाक इरादों का जवाब दे सकें.
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