वो कहते हैं ना कि इंसान को जरूरत से ज्यादा और समय से पहले मिल जाए तो वह नखरे करने लगता है. ऐसा ही कुछ हुआ महाराष्ट्र की ट्रेनी आईएएस आफिसर के साथ जो इन दिनों अपने नखरों या यूं कहें VVIP मांगों की वजह से विवादों में हैं. उन्होंने ड्यूटी ज्वाइन करने से पहले ही कलेक्टर दफ्तर से बंगला, गाड़ी और चपरासी की मांग की. यही नहीं अपनी प्राइवेट ऑडी पर लाल बत्ती लगाने और वीआईपी नंबर प्लेट मांगने को लेकर उनकी आलोचना हुई. इससे जुड़े व्हाट्सऐप चैट भी सामने आ चुके हैं, जिनें वह दफ्तर, बंगला, गाड़ी और चपरासी से जुड़ी जानकारियां मांगती दिख रही हैं. कलेक्टर ऑफिस की तरफ से ये स्क्रीनशॉट पेश किए गए हैं.
पिता के पास 40 करोड़ की संपत्ति, बेटी ने खुद को बताया नॉन क्रीमी ओबीसी कैंडिडेट
पूजा खेडकर 2023 बैच की ट्रेनी आईएएस अधिकारी हैं. UPSC में उनकी की 841 वीं रैंक आई थी. जिसके बाद उन्हें एडिशनल कलेक्टर के पद पर नियुक्ति हुई थी. पूजा ने खुद को नॉन क्रीमी ओबीसी कैंडिंडेट बताया है जबकि उनके पिता दिलीप खेडकर (सेवानिवृत प्रशासनिक अधिकारी) जो कि लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं, ने अपने चुनावी हलफनामे में 40 करोड़ की संपत्ति बताई गई. ऐसे में उनके नॉन क्रीमी ओबीसी कैंडिडेट होने पर सवाल उठ रहे हैं. जहां क्रीमी लेयर प्रमाणपत्र की सीमा 8 लाख रुपये की वार्षिक पैतृक आय है. इसके अलावा उनके पिता के पास 110 एकड़ कृषि भूमि है. छह दुकानें और सात फ्लैट, 900 ग्राम सोना-हीरे, 17 लाख की सोने की घड़ी और चार कार हैं. 48 लाख सलाना एग्रिकल्चर से आय है. इसके साथ ही दो प्राइवेट कंपनियों और एक ऑटोमोबाइल फर्म में हिस्सेदारी है. इतना ही नहीं पूजा के पास भी 17 करोड़ की संपत्ति बताई जा रही है. पूजा और उनके पिता की 60 करोड़ की संपत्ति है, यानी UPSC पास करने के लिए जिस कोटे का इस्तेमाल किया था, वो इस कोटे की हकदार नहीं थीं.
- 110 एकड़ कृषि भूमि
- 6 दुकानों और 7 फ्लैट
- 900 ग्राम गोल्ड-डायमंड
- 17 लाख की सोने की घड़ी
- ऑडी समेत 4 लग्जरी गाड़ियां
- कृषि से 48 लाख की सालाना आय
- दो प्राइवेट कंपनियों में पार्टनरशिप
- पूजा खेडकर की अपनी 17 करोड़ की संपत्ति
- पूजा और पिता के पास 60 करोड़ की संपत्ति
पूजा ने नौकरी के दिव्यांगता को बनाया आधार, मगर मेडिकल टेस्ट से किया इंकार
यही नहीं पूजा पर फर्जी सर्टिफिकेट से UPSC परीक्षा पास करने का आरोप भी लग रहा है. साथ ही जिस दिव्यांगता (विकलांगता) को आधार बनाकर उन्होंने परीक्षा दी उससे जुड़े मेडिकल टेस्ट भी उन्होंने नहीं दिए. मेडिकल टेस्ट की छह बार तारीख दी गई, लेकिन पूजा वो टेस्ट देने नहीं पहुंचीं. अपुष्ट रिपोर्टों से पता चला है कि उन्होंने पांच बार मेडिकल टेस्टों को छोड़ दिया और छठे में केवल आधा ही अटेंड किया. वह दृष्टिबाधा से जुड़े टेस्ट के आकलन के लिए जरूरी एमआरआई टेस्ट के लिए भी नहीं पहुंचीं. पूजा ओबीसी और दृष्टिबाधित कैटेगरी के तहत सिविल सेवा परीक्षा में शामिल हुईं उन्होंने मानसिक बीमारी का प्रमाण पत्र भी जमा किया था. अधिकारी की मानें तो उन्हें 2022 में विकलांगता प्रमाण पत्र वैरिफिकेशन के लिए एम्स में रिपोर्ट करने के लिए कहा गया था लेकिन उन्होंने कोविड संक्रमण का हवाला देते हुए ऐसा नहीं किया. सिविल सेवा परीक्षा में कम नंबर के बावजूद इन रियायतों की वजह से पूजा खेडकर ने परीक्षा पास की.
पूजा की ये हरकत भी बनी उनके ट्रांसफर का कारण
जब अतिरिक्त कलेक्टर अजय मोरे अनुपस्थित थे तो वह उनके चैंबर में भी पाई गई थीं. उन्होंने मोरे की अनुमति के बिना ही कार्यालय का फर्नीचर हटाया. यही नहीं उन्हें इतनी जल्दी थी कि राजस्व सहायक से उनके नाम पर लेटरहेड, नेमप्लेट और अन्य सुविधाएं देने के लिए भी कहा. ये भत्ते कनिष्ठ अधिकारियों को नहीं मिलते, जो 24 महीने के लिए प्रोबिशन पर होते हैं. रिपोर्टों से पता चलता है कि उनके पिता भी एक सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी हैं. उन्होंने भी उनकी मांगों को पूरा करने के लिए दबाव भी डाला था. इन सभी उल्लंघनों को लेकर पुणे के कलेक्टर सुहास दिवास ने इस बाबत राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिखा. इसके बाद पूजा खेडकर का पुणे से वाशिम तबादला कर दिया गया. पूजा की मां अहमदनगर जिले के भालगांव की सरपंच हैं. उनके दादा और पिता प्रशासनिक सेवा में रहे हैं. पिता पुणे में सहायक कलेक्टर भी रहे हैं.
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