सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत (Bipin Rawat) को देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (Chief Of Defence Staff) नियुक्त किया गया है. बिपिन रावत, 31 दिसंबर को सेना प्रमुख के पद से रिटायर हो गए. इसके बाद अब उन्हें सीडीएस (CDS) नियुक्त किया गया है. बिपिन रावत 1 जनवरी 2020 से अपना कार्यभार संभालेंगे. बता दें, सरकार ने 30 दिसंबर को ही CDS पोस्ट के लिए सेना के नियमों में संशोधन कर उम्र की सीमा को बढ़ाकर 65 साल किया है. इसकी अधिसूचना रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी की गई थी.
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2016 में आर्मी चीफ बने थे बिपिन रावत
सीडीएस बनाए जाने से पहले बिपिन रावत 27वें थल सेनाध्यक्ष (Chief of Army Staff) थे. आर्मी चीफ बनाए जाने से पहले उन्हें 1 सितंबर 2016 को भारतीय सेना का उप सेना प्रमुख नियुक्त किया गया था.
सेंट एडवर्ड स्कूल, शिमला से की है बिपिन रावत ने पढ़ाई
जरनल बिपिन रावत, सेंट एडवर्ड स्कूल, शिमला, और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खडकसला के पूर्व छात्र हैं. उन्हें दिसंबर 1978 में भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून से ग्यारह गोरखा राइफल्स की पांचवीं बटालियन में नियुक्त किया गया था, जहां उन्हें 'स्वॉर्ड ऑफ़ ऑनर 'से सम्मानित किया गया था. उनके पास आतंकवाद रोधी अभियानों में काम करने का 10 वर्षों का अनुभव है.
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विशिष्ट सेवाओं के लिए हुए सम्मानित
जनरल बिपिन रावत को उच्च ऊंचाई वाले युद्ध क्षेत्र, और आतंकवाद रोधी अभियानों में कमान संभालने का अनुभव है. उन्होंने पूर्वी क्षेत्र में एक इन्फैंट्री बटालियन की कमान संभाली है. एक राष्ट्रीय राइफल्स सेक्टर और कश्मीर घाटी में एक इन्फैंट्री डिवीजन की भी कमान संभाली है. रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज, वेलिंगटन और राष्ट्रीय रक्षा कॉलेज पाठ्यक्रम के एक पूर्व छात्र, जनरल बिपिन रावत, ने सेना में 38 से अधिक वर्षों तक देश की सेवा की है. इस दौरान उन्हें वीरता और विशिष्ट सेवाओं के लिए यूआईएसएम, एवीएसएम, वाईएसएम, एसएम के साथ सम्मानित किया जा चुका है.
राष्ट्रीय सुरक्षा और लीडरशिप पर कई लेख लिख चुके हैं जनरल रावत
उन्होंने 'राष्ट्रीय सुरक्षा' और 'लीडरशिप' पर कई लेख लिखे हैं, जो विभिन्न पत्रिकाओं और प्रकाशनों में प्रकाशित हुए हैं. उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से रक्षा अध्ययन में एम. फिल की डिग्री हासिल की है. उन्होंने मैनेजमेंट और कंप्यूटर स्टडीज में डिप्लोमा हासिल किया है. जनरल बिपिन रावत ने सैन्य मीडिया रणनीतिक अध्ययन पर अपना शोध पूरा किया है और 2011 में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ से डॉक्टरेट ऑफ फिलॉसफी (पीएचडी) से उन्हें सम्मानित किया गया.
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