रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर और पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
वीवीआईपी हेलीकॉप्टर डील को लेकर मौजूदा रक्षा मंत्री और पूर्व रक्षा मंत्री के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है। दोनों ये दावा कर रहे हैं कि कंपनी को उनके समय बैन किया गया। अगस्ता वेस्टलैंड पर किस सरकार ने पाबंदी लगाई? ये सवाल इसलिए अहम हो गया है कि इस पर मौजूदा और पूर्व रक्षा मंत्री आमने-सामने हैं।
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर बार-बार कह रहे हैं कि अगस्ता वेस्टलैंड को उनकी सरकार ने बैन किया। पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी का कहना है कि जब उन्होंने ब्लैकलिस्टिंग की प्रकिया शुरू की तो एजी ने कुछ सवाल खड़े किए, जिसके बाद चुनाव आ गए, फिर भी हमने कंपनी के साथ कारोबार पूरी तरह से रोक दी।
कब शुरू हुई पाबंदी की प्रक्रिया
एनडीटीवी को मिले दस्तावेज बताते हैं कि फरवरी 2012 में इस मामले में दलाली की बात सामने आई तभी रक्षा मंत्रालय ने रोम में दूतावास से रिपोर्ट मांगी। 12 फरवरी, 2013 को मामला सीबीआई को सौंपा गया और 10 फरवरी, 2014 को पाबंदी की प्रक्रिया शुरू की गई। जब तक यह प्रक्रिया पूरी हुई तब तक केंद्र में सरकार बदल गई। 3 जुलाई 2014 को अगस्ता को चिट्ठी भेजी गई। इसलिए मौजूदा रक्षा मंत्री इसका सेहरा लूट रहे हैं। मनोहर पर्रिकर कह रहे हैं कि कांग्रेस बताए कि उन्होंने कब बैन किया, हमें चिट्ठी दिखाए...
एनडीए सरकार के समय में ही आए थे टेंडर
दिलचस्प ये भी है कि पहली बार वीवीआईपी हेलीकॉप्टरों के टेंडर एनडीए सरकार के वक्त ही आए और उसी के वक्त पैमाने भी बदले गए। मार्च 2002 में ऐसे हेलीकॉप्टरों के लिए टेंडर निकाले गए थे। उस वक्त कहा गया कि 6000 मीटर तक उड़ने वाले हेलीकॉप्टर चाहिए। तब चार कंपनियां सामने आईं। लेकिन टेक्निकल कमेटी ने अगस्ता को इसमें शामिल नहीं किया। नवंबर 2003 में 6000 मीटर को घटाकर 4500 मीटर कर दिया गया। सौदा 2010 में हुआ जब यूपीए की सरकार 6 साल पूरे कर चुकी थी। यानी सौदा भी दोनों के समय हुआ, पाबंदी का काम भी। मगर इस विवाद में वीवीआईपी के लिए हेलीकॉप्टरों की खरीद अटक गई है।
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर बार-बार कह रहे हैं कि अगस्ता वेस्टलैंड को उनकी सरकार ने बैन किया। पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी का कहना है कि जब उन्होंने ब्लैकलिस्टिंग की प्रकिया शुरू की तो एजी ने कुछ सवाल खड़े किए, जिसके बाद चुनाव आ गए, फिर भी हमने कंपनी के साथ कारोबार पूरी तरह से रोक दी।
कब शुरू हुई पाबंदी की प्रक्रिया
एनडीटीवी को मिले दस्तावेज बताते हैं कि फरवरी 2012 में इस मामले में दलाली की बात सामने आई तभी रक्षा मंत्रालय ने रोम में दूतावास से रिपोर्ट मांगी। 12 फरवरी, 2013 को मामला सीबीआई को सौंपा गया और 10 फरवरी, 2014 को पाबंदी की प्रक्रिया शुरू की गई। जब तक यह प्रक्रिया पूरी हुई तब तक केंद्र में सरकार बदल गई। 3 जुलाई 2014 को अगस्ता को चिट्ठी भेजी गई। इसलिए मौजूदा रक्षा मंत्री इसका सेहरा लूट रहे हैं। मनोहर पर्रिकर कह रहे हैं कि कांग्रेस बताए कि उन्होंने कब बैन किया, हमें चिट्ठी दिखाए...
एनडीए सरकार के समय में ही आए थे टेंडर
दिलचस्प ये भी है कि पहली बार वीवीआईपी हेलीकॉप्टरों के टेंडर एनडीए सरकार के वक्त ही आए और उसी के वक्त पैमाने भी बदले गए। मार्च 2002 में ऐसे हेलीकॉप्टरों के लिए टेंडर निकाले गए थे। उस वक्त कहा गया कि 6000 मीटर तक उड़ने वाले हेलीकॉप्टर चाहिए। तब चार कंपनियां सामने आईं। लेकिन टेक्निकल कमेटी ने अगस्ता को इसमें शामिल नहीं किया। नवंबर 2003 में 6000 मीटर को घटाकर 4500 मीटर कर दिया गया। सौदा 2010 में हुआ जब यूपीए की सरकार 6 साल पूरे कर चुकी थी। यानी सौदा भी दोनों के समय हुआ, पाबंदी का काम भी। मगर इस विवाद में वीवीआईपी के लिए हेलीकॉप्टरों की खरीद अटक गई है।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
अगस्ता वेस्टलैंड, चॉपर डील, हेलीकॉप्टर घोटाला, एके एंटनी, मनोहर पर्रिकर, AgustaWestland, Chopper Deal, Helicopter Deal, AK Antony, Manohar Parrikar