भारत में वीआईपी कल्चर जोरों पर कायम है। मंत्री का बेटा है? इसलिए चेकिंग नहीं...दुनिया के किसी देश में नहीं है पर भारत में आज भी कायम है VIP कल्चर।
इस वीआईपी कल्चर को कैसे खत्म किया जा सकता है? यह खत्म होना कितना जरूरी है यह वह समझते हैं जिनको इसके चक्कर में तकलीफ उठानी पड़ती हैं। आखिर हमें पब्लिक स्पेस में बराबरी चाहिए न कि स्पेशल ट्रीटमेंट।
एनडीटीवी इंडिया ने इस दरदराते धकियाते और धमकाते वीईपी कल्चर को खत्म करने के लिए एक मुहिम चलाई हुई है। हम चाहते हैं कि आप भी इससे जुड़ें। अपनी बात रखें @ndtvindia की #NoVIP मुहिम से जुड़ें।
वैसे, ये वीआईपी हर जगह दिख जाते हैं। दिल्ली में वीआईपी, गांव में वीआईपी। इन्हें देख गुस्सा आता है कि जब हम बराबर हैं तो इनके लिए अलग रास्ते और जगह क्यों हैं?
टोल पर वीआईपी के लिए सूची, हवाई अड्डे पर वीआईपी लाउंज, रेलवे स्टेशन पर वीआईपी पार्किंग, इन सबके साथ लालबत्ती लगी गाड़ियां। हमारा आज का युवा तो कम से कम इस वीआईपी स्टेटस से चिढ़ता है। 'पता नहीं कि मैं कौन हूं', ये वीआईपी होने का राष्ट्रीय प्रतीक बन गया है। कुछ नेता भी सिर्फ वीआईपी कल्चर हटाने की बात करते हैं, लेकिन पूरी तरह से इसे जीवन में उतारने के लिए कोई तैयार नहीं होता।
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