सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
आंध्र प्रदेश के मुद्दे पर लोकसभा में पिछले सप्ताहभर से जारी हंगामे और नारेबाजी के बीच समाजवादी प्रमुख मुलायम सिंह सोमवार को आसन से नाराज हो गए और कहा कि इस प्रकार हंगामे के बीच कैसे सदन चलाया जा रहा है।
अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने हालांकि उनके आरोप का सख्ती से विरोध करते हुए कहा कि कोई भी बात होती है तो सभी पार्टियों के नेताओं को बुलाकर विचार-विमर्श किया जाता है।
शून्यकाल में वाईएसआर कांग्रेस के सदस्यों द्वारा आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर जब आसन के समक्ष नारेबाजी की जा रही थी तो इसी बीच मुलायम सिंह खड़े हुए और आसन से कहा कि कभी हम लोगों को भी बोलने का मौका दें।
इस पर जब अध्यक्ष ने उनकी बात को हंसी में उड़ाने का प्रयास किया तो मुलायम सिंह आक्रोशित हो गए। उन्होंने कहा, ‘‘आप हंसी में हमारी बात को टाल रही हैं। लोकतंत्र बातचीत से चलता है। बड़े-बड़े स्पीकर देखे हैं हमने।’’ उन्होंने सदन संचालन के अध्यक्ष के तौर तरीकों पर सवाल किया।
इस पर अध्यक्ष सकते में आ गईं और उन्होंने नाराजगी के साथ कहा कि आप इस प्रकार बात मत करिए। उन्होंने कहा कि मैंने किसी को बोलने की अनुमति नहीं देने की बात कभी नहीं कही।
स्पीकर ने कहा, ‘‘मैं नियमों का अनुसरण कर रही हूं जो स्वयं सदन ने बनाए हैं।’’ उन्होंने साथ ही कहा कि वह सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से विचार-विमर्श करती रही हैं।’’ उन्होंने कहा कि वित्तमंत्री दो बार इस मुद्दे पर बोल चुके हैं और यह संभव नहीं है कि हर मुद्दे का समाधान निकल जाए।
मुलायम सिंह ने कहा कि उन्हें भी सदन का लंबा अनुभव है और वह आसन में विश्वास रखते हैं लेकिन आसन को परवाह नहीं है कि हम तथा बाकी अन्य सदस्य यहां बैठे हैं। उन्होंने सदन में मौजूद गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मुखातिब होते हुए कहा, ‘‘आपकी बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। हमको बुला लेते , इनको (वाईएसआर कांग्रेस सदस्य) बुला लेते। इनकी मांग जायज हो तो मान लीजिए नहीं जायज है तो इन्हें संतुष्ट करिए।’’ मुलायम ने जिस समय यह मामला उठाया उस समय कांग्रेस सदस्य सदन में मौजूद नहीं थे जो दलितों पर अत्याचार का मुद्दा उठाने की अनुमति नहीं मिलने पर सदन से वाकआउट कर गए थे।
अध्यक्ष ने कहा कि इस प्रकार तो वह सदन नहीं चला सकतीं। हालांकि बाद में स्थिति सामान्य हो गयी और शून्यकाल जारी रहा।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने हालांकि उनके आरोप का सख्ती से विरोध करते हुए कहा कि कोई भी बात होती है तो सभी पार्टियों के नेताओं को बुलाकर विचार-विमर्श किया जाता है।
शून्यकाल में वाईएसआर कांग्रेस के सदस्यों द्वारा आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर जब आसन के समक्ष नारेबाजी की जा रही थी तो इसी बीच मुलायम सिंह खड़े हुए और आसन से कहा कि कभी हम लोगों को भी बोलने का मौका दें।
इस पर जब अध्यक्ष ने उनकी बात को हंसी में उड़ाने का प्रयास किया तो मुलायम सिंह आक्रोशित हो गए। उन्होंने कहा, ‘‘आप हंसी में हमारी बात को टाल रही हैं। लोकतंत्र बातचीत से चलता है। बड़े-बड़े स्पीकर देखे हैं हमने।’’ उन्होंने सदन संचालन के अध्यक्ष के तौर तरीकों पर सवाल किया।
इस पर अध्यक्ष सकते में आ गईं और उन्होंने नाराजगी के साथ कहा कि आप इस प्रकार बात मत करिए। उन्होंने कहा कि मैंने किसी को बोलने की अनुमति नहीं देने की बात कभी नहीं कही।
स्पीकर ने कहा, ‘‘मैं नियमों का अनुसरण कर रही हूं जो स्वयं सदन ने बनाए हैं।’’ उन्होंने साथ ही कहा कि वह सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से विचार-विमर्श करती रही हैं।’’ उन्होंने कहा कि वित्तमंत्री दो बार इस मुद्दे पर बोल चुके हैं और यह संभव नहीं है कि हर मुद्दे का समाधान निकल जाए।
मुलायम सिंह ने कहा कि उन्हें भी सदन का लंबा अनुभव है और वह आसन में विश्वास रखते हैं लेकिन आसन को परवाह नहीं है कि हम तथा बाकी अन्य सदस्य यहां बैठे हैं। उन्होंने सदन में मौजूद गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मुखातिब होते हुए कहा, ‘‘आपकी बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। हमको बुला लेते , इनको (वाईएसआर कांग्रेस सदस्य) बुला लेते। इनकी मांग जायज हो तो मान लीजिए नहीं जायज है तो इन्हें संतुष्ट करिए।’’ मुलायम ने जिस समय यह मामला उठाया उस समय कांग्रेस सदस्य सदन में मौजूद नहीं थे जो दलितों पर अत्याचार का मुद्दा उठाने की अनुमति नहीं मिलने पर सदन से वाकआउट कर गए थे।
अध्यक्ष ने कहा कि इस प्रकार तो वह सदन नहीं चला सकतीं। हालांकि बाद में स्थिति सामान्य हो गयी और शून्यकाल जारी रहा।
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