रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर की फाइल तस्वीर
पणजी:
मनोहर पर्रिकर ने रविवार को कहा कि रक्षा मंत्री के तौर पर पद संभालने के पहले दिन वह 'कांप' रहे थे, फिर भी उन्होंने हिम्मत भरा चेहरा दिखाने की कोशिश की. सैनवोर्डेम विधानसभा क्षेत्र में रविवार को 'विजय संकल्प' रैली को संबोधित करते हुए पर्रिकर ने कहा, 'जब मैं दिल्ली गया तो मैंने शहर का अनुभव हासिल किया. मैं आप सबके आशीर्वाद से रक्षा मंत्री बना. मुझे कुछ भी पता नहीं था.'
पर्रिकर ने कहा, 'मैं पद संभालने के पहले दिन कांप रहा था. अपने तजुर्बे पर भरोसा रखते हुए मैंने हिम्मत भरा चेहरा पेश किया, लेकिन असल में मुझे सैन्य अधिकारियों की रैंक की जानकारी भी नहीं थी.' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से केंद्रीय कैबिनेट में शामिल किए जाने से पहले पर्रिकर गोवा के मुख्यमंत्री थे.
रक्षा मंत्री ने कहा, 'सेना से गोवा का वास्ता 1961 में पड़ा था जब भारतीय थलसेना ने राज्य को पुर्तगाली शासन से मुक्त कराया. इसके बाद हमने 1965 और 1971 के युद्ध देखे. कारगिल युद्ध के दौरान मैंने नारे दिए थे, लेकिन वास्तव में मुझे पता नहीं था कि युद्ध क्या होता है और उसके लिए कैसी तैयारी करनी होती है.' पर्रिकर ने कहा कि उन्हें पता चला कि हथियारों के भंडार खाली हैं और सरकार ने सैनिकों के हाथ बांध रखे थे. मैंने पिछले दो साल में ज्यादा कुछ नहीं किया, थलसेना को सिर्फ इतना कहा कि यदि कोई हमला करता है तो आप पलटवार करने के लिए स्वतंत्र हैं.
पर्रिकर ने कहा, 'आपने इस छूट के असर पर गौर किया होगा. जब भी हम पर हमला होता है तो हमारे बहादुर सैनिक मजबूती से जवाब देते हैं. चाहे (पाक के कब्जे वाले कश्मीर में) सर्जिकल स्ट्राइक हो या सीमा पर फायरिंग हो, थलसेना ने मजबूती से पलटवार किया है, जिससे दुश्मन अमन के लिए गिड़गिड़ाने लगे हैं. पिछले चार दिनों से सीमा पर कोई फायरिंग नहीं हुई है.'
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
पर्रिकर ने कहा, 'मैं पद संभालने के पहले दिन कांप रहा था. अपने तजुर्बे पर भरोसा रखते हुए मैंने हिम्मत भरा चेहरा पेश किया, लेकिन असल में मुझे सैन्य अधिकारियों की रैंक की जानकारी भी नहीं थी.' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से केंद्रीय कैबिनेट में शामिल किए जाने से पहले पर्रिकर गोवा के मुख्यमंत्री थे.
रक्षा मंत्री ने कहा, 'सेना से गोवा का वास्ता 1961 में पड़ा था जब भारतीय थलसेना ने राज्य को पुर्तगाली शासन से मुक्त कराया. इसके बाद हमने 1965 और 1971 के युद्ध देखे. कारगिल युद्ध के दौरान मैंने नारे दिए थे, लेकिन वास्तव में मुझे पता नहीं था कि युद्ध क्या होता है और उसके लिए कैसी तैयारी करनी होती है.' पर्रिकर ने कहा कि उन्हें पता चला कि हथियारों के भंडार खाली हैं और सरकार ने सैनिकों के हाथ बांध रखे थे. मैंने पिछले दो साल में ज्यादा कुछ नहीं किया, थलसेना को सिर्फ इतना कहा कि यदि कोई हमला करता है तो आप पलटवार करने के लिए स्वतंत्र हैं.
पर्रिकर ने कहा, 'आपने इस छूट के असर पर गौर किया होगा. जब भी हम पर हमला होता है तो हमारे बहादुर सैनिक मजबूती से जवाब देते हैं. चाहे (पाक के कब्जे वाले कश्मीर में) सर्जिकल स्ट्राइक हो या सीमा पर फायरिंग हो, थलसेना ने मजबूती से पलटवार किया है, जिससे दुश्मन अमन के लिए गिड़गिड़ाने लगे हैं. पिछले चार दिनों से सीमा पर कोई फायरिंग नहीं हुई है.'
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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