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This Article is From May 15, 2016

भारत-चीन सीमा पर गांव वालों को आए संदिग्ध फोन, सेना के बारे में मांगी जानकारी

भारत-चीन सीमा पर गांव वालों को आए संदिग्ध फोन, सेना के बारे में मांगी जानकारी
प्रतीकात्मक तस्वीर
लेह/नई दिल्ली: भारत-चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास ग्राम प्रधान समेत स्थानीय निवासियों को पाकिस्तान या चीन के जासूसों से कई फोन कॉल्स आए हैं, जिसमें सेना की तैनाती के बारे में जानकारी मांगी गई है। इस कॉल्स की सूचना मिलने के बाद इलाके में अलर्ट जारी कर दिया गया है।

डुरबुक गांव के सरपंच को आया फोन
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि फोन करने वाला खुद को कर्नल या एक स्थानीय अधिकारी बताते हुए  इलाके में सेना की मौजूदगी और उसकी आवाजाही के समय के बारे में कई सवाल पूछते हैं। चांग ला और त्सांगटे गांव के बीच के डुरबक गांव के सरपंच को हाल ही में एक फोन आया, जिसमें फोनकर्ता ने पूछा कि क्या सेना के साथ लंबित मुद्दे हल कर लिए गए। डुरबुक गांव समुद्र तल से 13,500 फुट की ऊंचाई पर है। फोन के समय सेना के कैंप के अंदर बैठे सरपंच को शक हो गया और उसने फोनकर्ता से उसकी पहचान के बारे में पूछा।

फोन करने वाले ने खुद को उपायुक्त कार्यालय से बताया, लेकिन सरपंच स्टानजिन ने उसे झिड़का और कहा कि उसे सेना से संपर्क करना चाहिए। सरपंच ने यह पता करने के लिए स्थानीय उपायुक्त कार्यालय से पता किया, लेकिन उन्हें पता चला कि इस नंबर से किसी ने फोन नहीं किया। यह नंबर सेना को दिखाया गया, जिसे अपनी छानबीन में पता चला कि यह नंबर छद्म नंबर था और यह कंप्यूटर जेनरेटेड कॉल था।

अटपटे सवालों से हुआ शक
स्टानजिन ने बताया कि उन्हें एक बार पहले भी यह फोन आया था। उन्होंने कहा, 'फोनकर्ता सैनिकों की आवाजाही के बारे में पूछ रहा था और यह जानना जा रहा था कि क्या इलाके में सड़कें उनकी आवाजाही के लिए बनाई गई हैं।' स्टानजिन ने कहा, 'उसने (फोनकर्ता ने) दावा किया कि वह सेना मुख्यालय से है, लेकिन अटपटे सवालों से मुझे शक हो गया और मैंने बगल में खड़े सैन्य अधिकारी को इसकी जानकारी दी।' बाद में सेना को पता चला कि चीन-भारत सीमा पर गांवों में कई लोगों को ऐसे अज्ञात नंबरों से फोन आ रहे हैं और कुछ मामलों में ग्रामीणों ने अनजाने में मूलभूत सूचनाएं दी थी।

लोगों को जागरूक करने में जुटी सेना
सेना ने राज्य प्रशासन की मदद ली और आम तौर और विशेषकर चीन-भारत सीमा के आसपास रह रहे लोगों को इस बात के लिए जागरूक बनाने को जन अभियान चलाया गया है कि वे किसी भी अज्ञात फोनकर्ता को कोई सूचना नहीं दें। सेना ने नियंत्रण रेखा के नजदीक अपने सभी प्रतिष्ठानों से अपनी जिम्मेदारी वाले क्षेत्रों के लोगों को इस बात के लिए जागरूक बनाने को कहा है, ताकि ऐसे जासूसों को सैनिकों की आवाजाही या गतिविधियों के बारे में कोई सूचना नहीं मिल पाए। सेना ने पर्वतीय परिषद के निर्वाचित सदस्यों और पदाधिकारियों से चौकस रहने तथा संदिग्ध फोनकर्ताओं को कोई भी सूचना नहीं देने के बारे में जागरूक बनाने पर विशेष बल दिया है, क्योंकि उनके पास पाकिस्तान एवं चीन से सटी सीमा की निगरानी कर रही सेना एवं भारत तिब्बत सीमा पुलिस के बारे में विशेष सूचना होती है।

सेना के विश्लेषण से पता चला है कि फोन सिर्फ उन लोगों के पास आए जो या तो सरपंच हैं या राज्य सरकार में नौकरी करते हैं और सैनिकों एवं आईटीबीपी अधिकारियों के बारे में कुछ सूचनाएं रखते हैं। सेना ने लोगों से फोनकर्ता के नाम, टेलीफोन नंबर, प्राप्तकर्ता के नाम एवं नंबर, फोनकर्ता द्वारा मांगी गई सूचना और उनसे किए गए सवाल आदि निकटतम सैन्य इकाई को बताने को भी कहा है।

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)

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