वैंकैया नायडू
नई दिल्ली:
भाजपा के मंत्रियों के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सम्मेलन में शामिल होने पर केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने आज जोर देकर कहा कि यह ‘पुत्र का अपनी मां के पास जाने’ जैसा है। नायडू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके कैबिनेट सहकर्मियों के सम्मेलन में हिस्सा लेने को लेकर कांग्रेस की ओर से की जा रही आलोचना को खारिज कर दिया।
एम वेंकैया नायडू ने कहा, ‘यह एक पुत्र का अपनी मां के पास जाने जैसा है। अपनी मां के पास किसी पुत्र के जाने की कोई कैसे आलोचना कर सकता है।’ उन्होंने कांग्रेस के इस आरोप को खारिज कर दिया कि ‘आरएसएस मंत्रियों को निर्देश दे रहा है और मंत्री उसे रिपोर्ट करके गोपनीयता की शपथ का उल्लंघन कर रहे हैं।’ सोनिया गांधी को आड़े हाथ लेते हुए नायडू ने कहा कि 10 जनपथ स्थित अपने आवास से यूपीए सरकार के मुद्दों पर फैसला लेकर उन्होंने संविधान के परे जाकर काम किया, भाजपा के मंत्रियों ने नहीं ।
नायडू ने आरएसएस को एक राष्ट्रवादी संगठन बताते हुए कहा कि भाजपा इसके और एबीवीपी जैसी अन्य संस्थाओं के लगातार संपर्क में है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि वह प्रशासन के राष्ट्रीय एजेंडे के मुताबिक काम करेगी। उन्होंने हैरत जताते हुए कहा कि आखिर आएसएस से विचार-विमर्श करने में असंवैधानिक क्या है।
इस बीच, केंद्र सरकार की तरफ से नायडू ने पूर्व सैनिकों से कहा कि वे 84 दिनों से चल रहा अपना आंदोलन खत्म कर दें क्योंकि ‘वन रैंक, वन पेंशन’ की उनकी बुनियादी मांग स्वीकार कर ली गई है । मुख्य प्रावधानों पर पूर्व सैनिकों की ओर से असंतोष जाहिर किए जाने पर नायडू ने कहा कि वह बातचीत के लिए तैयार हैं।
एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए नायडू ने कांग्रेस पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा कि अपने शासनकाल में ओआरओपी के मुद्दे पर फैसला करने में नाकाम रही पार्टी को ‘आलोचना करने का कोई नैतिक अधिकार नहीं’है ।
इस बीच, संसद में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक का पारित होना सुनिश्चित कराने के मुद्दे पर सरकार ने आज कहा कि वह एक विस्तारित मानसून सत्र चाहती है ताकि संवैधानिक संशोधन विधेयक को मंजूर कराया जा सके। सरकार ने कांग्रेस से अपील की कि वह देश की संवृद्धि तेज करने के लिए इस महत्वपूर्ण सुधार का समर्थन करे।
नायडू ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में पत्रकारों से कहा, ‘विस्तारित मानसून सत्र बुलाने का सरकार का प्रस्ताव अब भी कायम है। हम विस्तारित सत्र बुलाना चाहते हैं। जीएसटी विधेयक देश की अर्थव्यवस्था के लिए अहम है। हमने ज्यादातर सुझाव मान लिए हैं। मैं कांग्रेस से अपील करता हूं कि वह विधेयक को पारित कराने में मदद करे और इसे राजनीतिक मुद्दा न बनाए ।’ सरकार द्वारा संयुक्त सत्र बुलाने के विकल्प पर विचार करने की खबरें अक्सर आने पर केंद्रीय मंत्री ने स्पष्ट किया कि चूंकि जीएसटी एक संवैधानिक संशोधन विधेयक है, ऐसे में इसे लोकसभा एवं राज्यसभा दोनों में पारित कराना जरूरी है और यह संयुक्त सत्र के जरिए नहीं किया जा सकता।
नायडू ने कहा, ‘हम इसके लिए संयुक्त सत्र नहीं बुला सकते। मैं मुख्य विपक्षी पार्टी से अपील करता हूं कि वह तर्क देखे। जीएसटी विधेयक पर पिछले कई सालों में विस्तार से चर्चा हो चुकी है और अब तक चार विपक्षी पार्टियों के वित्त मंत्री इसका परीक्षण कर चुके हैं।’
एम वेंकैया नायडू ने कहा, ‘यह एक पुत्र का अपनी मां के पास जाने जैसा है। अपनी मां के पास किसी पुत्र के जाने की कोई कैसे आलोचना कर सकता है।’ उन्होंने कांग्रेस के इस आरोप को खारिज कर दिया कि ‘आरएसएस मंत्रियों को निर्देश दे रहा है और मंत्री उसे रिपोर्ट करके गोपनीयता की शपथ का उल्लंघन कर रहे हैं।’ सोनिया गांधी को आड़े हाथ लेते हुए नायडू ने कहा कि 10 जनपथ स्थित अपने आवास से यूपीए सरकार के मुद्दों पर फैसला लेकर उन्होंने संविधान के परे जाकर काम किया, भाजपा के मंत्रियों ने नहीं ।
नायडू ने आरएसएस को एक राष्ट्रवादी संगठन बताते हुए कहा कि भाजपा इसके और एबीवीपी जैसी अन्य संस्थाओं के लगातार संपर्क में है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि वह प्रशासन के राष्ट्रीय एजेंडे के मुताबिक काम करेगी। उन्होंने हैरत जताते हुए कहा कि आखिर आएसएस से विचार-विमर्श करने में असंवैधानिक क्या है।
इस बीच, केंद्र सरकार की तरफ से नायडू ने पूर्व सैनिकों से कहा कि वे 84 दिनों से चल रहा अपना आंदोलन खत्म कर दें क्योंकि ‘वन रैंक, वन पेंशन’ की उनकी बुनियादी मांग स्वीकार कर ली गई है । मुख्य प्रावधानों पर पूर्व सैनिकों की ओर से असंतोष जाहिर किए जाने पर नायडू ने कहा कि वह बातचीत के लिए तैयार हैं।
एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए नायडू ने कांग्रेस पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा कि अपने शासनकाल में ओआरओपी के मुद्दे पर फैसला करने में नाकाम रही पार्टी को ‘आलोचना करने का कोई नैतिक अधिकार नहीं’है ।
इस बीच, संसद में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक का पारित होना सुनिश्चित कराने के मुद्दे पर सरकार ने आज कहा कि वह एक विस्तारित मानसून सत्र चाहती है ताकि संवैधानिक संशोधन विधेयक को मंजूर कराया जा सके। सरकार ने कांग्रेस से अपील की कि वह देश की संवृद्धि तेज करने के लिए इस महत्वपूर्ण सुधार का समर्थन करे।
नायडू ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में पत्रकारों से कहा, ‘विस्तारित मानसून सत्र बुलाने का सरकार का प्रस्ताव अब भी कायम है। हम विस्तारित सत्र बुलाना चाहते हैं। जीएसटी विधेयक देश की अर्थव्यवस्था के लिए अहम है। हमने ज्यादातर सुझाव मान लिए हैं। मैं कांग्रेस से अपील करता हूं कि वह विधेयक को पारित कराने में मदद करे और इसे राजनीतिक मुद्दा न बनाए ।’ सरकार द्वारा संयुक्त सत्र बुलाने के विकल्प पर विचार करने की खबरें अक्सर आने पर केंद्रीय मंत्री ने स्पष्ट किया कि चूंकि जीएसटी एक संवैधानिक संशोधन विधेयक है, ऐसे में इसे लोकसभा एवं राज्यसभा दोनों में पारित कराना जरूरी है और यह संयुक्त सत्र के जरिए नहीं किया जा सकता।
नायडू ने कहा, ‘हम इसके लिए संयुक्त सत्र नहीं बुला सकते। मैं मुख्य विपक्षी पार्टी से अपील करता हूं कि वह तर्क देखे। जीएसटी विधेयक पर पिछले कई सालों में विस्तार से चर्चा हो चुकी है और अब तक चार विपक्षी पार्टियों के वित्त मंत्री इसका परीक्षण कर चुके हैं।’
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