प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
क्या देश की पहले स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी का कमीशन हो चुका है? इस बारे में किसी से पूछिए तो कोई भी मुंह खोलने को तैयार नहीं है? और तो और इसका नाम लेने से भी अधिकारी बचते दिख रहे हैं. वैसे माना यह भी जा रहा है कि अरिहंत नौसेना में शामिल हो गई है पर इस पर कोई भी कुछ बोलने को तैयार नहीं है.
भारतीय नौसेना के युद्धपोत उत्पादन और खरीद नियंत्रक वाइस एडमिरल जीएस पब्बी से जब परमाणु पनडुब्बी, आईएनएस अरिहंत के नौसेना में शामिल होने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह बेहद संवदेनशील इश्यू है, लेकिन इस पर हम जल्द ही एनाउंसमेंट करेंगे. जब पूछा गया कि कब एनाउंस करेंगे, तो बस इतना ही कहा कि जल्द. वे भी बताने को तैयार नहीं हैं कि अरिहंत का अभी भी समंदर में ट्रायल चल रहा है या फिर कमीशन हो चुका है!
गौरतलब है कि अरिहंत के सारे ट्रायल सफल हो चुके हैं, बस इंतजार है तो अधिकारिक तौर पर ऐलान करके हरी झंडी देने का. इसके कमीशन पर सबकी नजर है, चाहे वह चीन हो या पाकिस्तान, क्योंकि भारत के पास पहले से आसमान या जमीन से लंबी दूरी तक मार करने वाली परमाणु मिसाइलें हैं. अब इसके आ जाने से समंदर के मोर्चे पर भी भारत की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी.
भारत, अमेरिका, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और चीन के बाद छठा ऐसा देश हो गया है जिसने अपनी परमाणु पनडुब्बी बनाने में कामयाबी हासिल की है. छह हजार टन वजनी अरिहंत में 750 किलोमीटर से लेकर 3500 किलोमीटर तक की मारक क्षमता वाली मिसाइलें हैं. इससे पानी के अंदर और पानी की सतह से परमाणु मिसाइल दागी जा सकती है. यही नहीं, पानी के अंदर से किसी विमान को भी निशाना बनाया जा सकता है.
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 2009 में अरिहंत को लांच किया था. तब यह कहा गया था कि दो साल के भीतर ही पनडुब्बी का कमीशन हो जाएगा लेकिन कई वजहों से देर होती रही. फिलहाल भारत के पास रूस से लीज पर ली गई परमाणु पनडुब्बी आईएनएस चक्र है. भारत अरिहंत की तरह तीन पनडुब्बी बना रहा है.
भारतीय नौसेना के युद्धपोत उत्पादन और खरीद नियंत्रक वाइस एडमिरल जीएस पब्बी से जब परमाणु पनडुब्बी, आईएनएस अरिहंत के नौसेना में शामिल होने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह बेहद संवदेनशील इश्यू है, लेकिन इस पर हम जल्द ही एनाउंसमेंट करेंगे. जब पूछा गया कि कब एनाउंस करेंगे, तो बस इतना ही कहा कि जल्द. वे भी बताने को तैयार नहीं हैं कि अरिहंत का अभी भी समंदर में ट्रायल चल रहा है या फिर कमीशन हो चुका है!
गौरतलब है कि अरिहंत के सारे ट्रायल सफल हो चुके हैं, बस इंतजार है तो अधिकारिक तौर पर ऐलान करके हरी झंडी देने का. इसके कमीशन पर सबकी नजर है, चाहे वह चीन हो या पाकिस्तान, क्योंकि भारत के पास पहले से आसमान या जमीन से लंबी दूरी तक मार करने वाली परमाणु मिसाइलें हैं. अब इसके आ जाने से समंदर के मोर्चे पर भी भारत की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी.
भारत, अमेरिका, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और चीन के बाद छठा ऐसा देश हो गया है जिसने अपनी परमाणु पनडुब्बी बनाने में कामयाबी हासिल की है. छह हजार टन वजनी अरिहंत में 750 किलोमीटर से लेकर 3500 किलोमीटर तक की मारक क्षमता वाली मिसाइलें हैं. इससे पानी के अंदर और पानी की सतह से परमाणु मिसाइल दागी जा सकती है. यही नहीं, पानी के अंदर से किसी विमान को भी निशाना बनाया जा सकता है.
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 2009 में अरिहंत को लांच किया था. तब यह कहा गया था कि दो साल के भीतर ही पनडुब्बी का कमीशन हो जाएगा लेकिन कई वजहों से देर होती रही. फिलहाल भारत के पास रूस से लीज पर ली गई परमाणु पनडुब्बी आईएनएस चक्र है. भारत अरिहंत की तरह तीन पनडुब्बी बना रहा है.
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