असम में जापानी इंसेफेलाइटिस का प्रकोप हर साल कई लोगों की जान ले लेता है (फाइल फोटो)
गुवाहाटी:
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर इलाके के बाद जापानी बुखार की सबसे ज्यादा मार पूर्वोत्तर के राज्य असम में पड़ रही है. यहां इस वर्ष जापानी इंसेफेलाइटिस और एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) से 26 लोगों की मौत हुई है.
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के प्रधान सचिव समीर कुमार सिन्हा ने बताया कि 2017 में अभी तक असम में एईएस के 252 और जेई के 39 मामले सामने आए हैं.
उन्होंने बताया कि अभी तक एईएस से 17 और जेई से नौ लोगों की मौत हुई है. इन बीमारियों से सबसे ज्यादा जोरहट और शिवसागर जिले प्रभावित हैं. सिन्हा ने कहा कि जेई टीकाकरण बीमारी से बचने का तरीका है और सरकार इसपर आक्रामक तरीके से काम कर रही है.
उन्होंने कहा, ‘हम टीकाकरण अभियान चला रहे हैं और विभिन्न जिलों में जागरूकता अभियान चला रहे हैं. हम लोगों से अनुरोध करते हैं कि वे टीकाकरण के संबंध में किसी अफवाह पर ध्यान ना दें.’
सिन्हा ने लोगों से अनुरोध किया कि वे इस आधारहीन अफवाह पर बिल्कुल ध्यान ना दें कि टीकाकरण से व्यक्ति की प्रजनन क्षमता प्रभावित होगी. उन्होंने कहा कि इस संबंध में डीजीपी को पत्र लिखने वाले हैं और आशा करते हैं कि यह अफवाह फैलाने वाला जल्दी ही गिरफ्तार हो जाएगा.
गौरतलब है कि इन बीमारियों से 2011 में यहां 136 लोगों की मौत हुई थी.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के प्रधान सचिव समीर कुमार सिन्हा ने बताया कि 2017 में अभी तक असम में एईएस के 252 और जेई के 39 मामले सामने आए हैं.
उन्होंने बताया कि अभी तक एईएस से 17 और जेई से नौ लोगों की मौत हुई है. इन बीमारियों से सबसे ज्यादा जोरहट और शिवसागर जिले प्रभावित हैं. सिन्हा ने कहा कि जेई टीकाकरण बीमारी से बचने का तरीका है और सरकार इसपर आक्रामक तरीके से काम कर रही है.
उन्होंने कहा, ‘हम टीकाकरण अभियान चला रहे हैं और विभिन्न जिलों में जागरूकता अभियान चला रहे हैं. हम लोगों से अनुरोध करते हैं कि वे टीकाकरण के संबंध में किसी अफवाह पर ध्यान ना दें.’
सिन्हा ने लोगों से अनुरोध किया कि वे इस आधारहीन अफवाह पर बिल्कुल ध्यान ना दें कि टीकाकरण से व्यक्ति की प्रजनन क्षमता प्रभावित होगी. उन्होंने कहा कि इस संबंध में डीजीपी को पत्र लिखने वाले हैं और आशा करते हैं कि यह अफवाह फैलाने वाला जल्दी ही गिरफ्तार हो जाएगा.
गौरतलब है कि इन बीमारियों से 2011 में यहां 136 लोगों की मौत हुई थी.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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