सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है कि अनुसूचित क्षेत्रों में स्थित स्कूलों में अनुसूचित जनजाति वर्ग से संबंधित शिक्षकों का 100 प्रतिशत आरक्षण संवैधानिक रूप से अमान्य है. न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अगुवाई वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने आंध्र प्रदेश के राज्यपाल द्वारा जारी किए गए उस सरकारी आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें अनुसूचित जनजाति (ST) शिक्षकों के लिए पूर्ण आरक्षण की पुष्टि की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही आंध्र प्रदेश और तेलंगाना सरकार दोनों पर जुर्माना लगाया है. वे आरक्षण में 50% सीलिंग को तोड़ना चाहते थे.
सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा साहनी जजमेंट को भी दोहराया है, जिसके अनुसार आरक्षण संवैधानिक रूप से वैध है अगर वह 50 प्रतिशत से आगे नहीं जाते हैं. दरअसल आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील दायर किए जाने के बाद यह मुद्दा सर्वोच्च न्यायालय में पहुंच गया था. हाईकोर्ट ने उक्त शत-प्रतिशत आरक्षण के लिए सरकार के आदेश को बरकरार रखा था.
अब सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ये फैसला "पूर्वव्यापी" नहीं है. पचास प्रतिशत से अधिक आरक्षण में की गई मौजूदा नियुक्तियां जारी रहेंगी लेकिन भविष्य में प्रभावी नहीं होंगी. इससे उन लोगों को राहत मिलेगी जिन्हें सरकार के आदेश के तहत नियुक्त किया गया है.
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