
लखनऊ:
उत्तर प्रदेश में अब किन्नर भी अपना राशन कार्ड बनवा सकेंगे। अभी तक यह सहूलियत केवल महिलाओं और पुरुषों को ही प्राप्त थी। लेकिन हाईकोर्ट के आदेश से अब किन्नरों के नाम भी राशन कार्ड में दर्ज हो सकेंगे। इसके लिए हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को राशन कार्ड के फार्म के प्रारूप में संशोधन कर महिला/पुरुष/थर्ड जेंडर स्पष्ट रूप से छापने के आदेश दिए हैं।
इस मामले में वकील आशीष कुमार मिश्रा द्वारा इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में दाखिल जनहित याचिका पर बीती 15 अप्रैल को मुख्य न्यायधीश डॉ. डीवाई चन्द्रचूड़ एवं न्यायधीश एसएन शुक्ला ने अपना निर्णय देते हुए किन्नरों को राशन कार्ड में मुखिया के रूप में अपना राशन कार्ड बनवाने के लिए अधिकृत किया।
अभी तक राज्य सरकार द्वारा पारित कानून में सिर्फ महिला एवं पुरुष के लिए प्रावधान था। इसको बदलते हुए कोर्ट ने राशन कार्ड बनवाने के लिए जो फार्म सरकार द्वारा बनाया गया है, उसमें भी संशोधन करने एवं महिला/पुरुष/अन्य के स्थान पर महिला/पुरुष/थर्ड जेंडर स्पष्ट रूप से छापने एवं कानून में संशोधन करने को कहा है।
निर्णय देते हुए हाईकोर्ट ने कहा भारत के संविधान की धारा 21 के अन्तर्गत जैसे महिला एवं पुरुष को जीवन का अधिकार है। उसी तरह से किन्नरों को भी संविधान की धारा 21 का लाभ मिलना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा पहले ही इससे सम्बन्धित आदेश नेशनल लीगल सर्विस अथॉरिटी बनाम यूनियन ऑफ इंडिया में पारित किया जा चुका है। इस आदेश के बाद अब किन्नरों के भी राशन कार्ड बनेंगे एवं किन्नरों को भी मुख्य धारा में लाने में सहूलियत मिलेगी।
इस मामले में वकील आशीष कुमार मिश्रा द्वारा इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में दाखिल जनहित याचिका पर बीती 15 अप्रैल को मुख्य न्यायधीश डॉ. डीवाई चन्द्रचूड़ एवं न्यायधीश एसएन शुक्ला ने अपना निर्णय देते हुए किन्नरों को राशन कार्ड में मुखिया के रूप में अपना राशन कार्ड बनवाने के लिए अधिकृत किया।
अभी तक राज्य सरकार द्वारा पारित कानून में सिर्फ महिला एवं पुरुष के लिए प्रावधान था। इसको बदलते हुए कोर्ट ने राशन कार्ड बनवाने के लिए जो फार्म सरकार द्वारा बनाया गया है, उसमें भी संशोधन करने एवं महिला/पुरुष/अन्य के स्थान पर महिला/पुरुष/थर्ड जेंडर स्पष्ट रूप से छापने एवं कानून में संशोधन करने को कहा है।
निर्णय देते हुए हाईकोर्ट ने कहा भारत के संविधान की धारा 21 के अन्तर्गत जैसे महिला एवं पुरुष को जीवन का अधिकार है। उसी तरह से किन्नरों को भी संविधान की धारा 21 का लाभ मिलना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा पहले ही इससे सम्बन्धित आदेश नेशनल लीगल सर्विस अथॉरिटी बनाम यूनियन ऑफ इंडिया में पारित किया जा चुका है। इस आदेश के बाद अब किन्नरों के भी राशन कार्ड बनेंगे एवं किन्नरों को भी मुख्य धारा में लाने में सहूलियत मिलेगी।
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