उखड़े हुए पेड़, टूटी-फूटी सड़कें, ढह गए पुल, क्षतिग्रस्त मकान, पानी में डूबे वाहन, उखड़े बिजली के खंभे, कीचड़ और चारों तरफ पानी-पानी. सिक्किम में बादल फटने (Sikkim Flash Floods) और तीस्ता नदी में अचानक आई बाढ़ के बाद हर तरफ तबाही का मंजर है. पर्वतीय राज्य के कई हिस्से देश के बाकी हिस्सों से कट गए हैं, क्योंकि उफनती तीस्ता नदी का पानी अपने रास्ते में आने वाली हर चीज घर, पुल, पेड़, लोग और चुंगथांग में तीस्ता डैम (South Lhonak Lake burst) का एक हिस्सा बहा ले गई. यह डैम राज्य की सबसे बड़ी हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट है.
तीस्ता नदी के तेज बहाव से दशकों से मिट्टी पर टिके हुए पेड़ उखड़ गए हैं. जिससे यह क्षेत्र कटाव और ढहने के प्रति बेहद संवेदनशील हो गया है. तीस्ता में आई बाढ़ के वीडियो में दिखाया गया है कि गाढ़ा कीचड़ नीचे की ओर बहने से पहले डैम की दीवारों से टकराता है. रास्ते में आने में आने वाले घरों को तबाह कर देता है.
दोनों ओर के पहाड़ों को काटने वाली सड़कें गिरे हुए पेड़ों और डैम के टूटे हुए हिस्सों से पूरी तरह से डैमेज हो गई हैं.वहीं, ट्रैफिक कंट्रोल रूम सड़क के किनारे खतरनाक ढंग से लटका हुआ दिखाई देता है, जिसका ज्यादातर हिस्सा तबाह हो चुका है.
सिक्किम के प्रमुख सचिव विजय भूषण पाठक ने न्यूज एजेंसी PTI को बताया है कि इस बाढ़ में नामची, गंगटोक, पाकयोंग और मंगन ज़िले में स्थित पुल बह गए हैं जो अग्रिम इलाकों को सिक्किम से जोड़ते थे. इस बाढ़ में सिक्किम के 14 पुल तबाह हुए हैं, जिनमें से 8 पुल मंगन जिले में स्थित हैं. 2 पुल नामची और गंगटोक में थे. इसके साथ ही सिक्किम में वॉटर पाइप लाइन, सीवेज़ लाइन समेत 277 घर तबाह हो गए हैं.
सिक्किम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के मुताबिक, इस हादसे से प्रभावित होने वाले लोगों की संख्या 22 हजार से ज्यादा है. इनमें से अब तक 2011 लोगों को बचाया जा सका है.
राज्य सरकार ने हादसे से प्रभावित 4 जिलों में रिलीफ कैंप लगाए हैं. वहीं, गंगटोक जिले में बनाए गए रिलीफ कैंप में 1025 लोगों ने शरण ली हुई है.
इस बीच सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने सबसे ज़्यादा प्रभावित सिंगटाम इलाके का दौरा करके हालात का जायजा लिया है.
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