कृषिमंत्री राधा मोहन सिंह (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
मुज़फ्फरपुर की अनाज मंडी में दाल विक्रेता परेशान हैं। विदेशों से आयात होने वाली दाल अभी तक उनकी अनाज मंडी में पहुंची नहीं और सबसे अच्छी क्वालिटी की अरहर दाल की सप्लाई घटती जा रही है। अब मजबूर होकर टॉप क्वालिटी की अरहर दाल 200 रु प्रति किलो से भी ऊपर के रेट पर बेचनी पड़ रही है।
दाल व्यापारी की राय
दाल व्यापारी मनोज कवि कहते हैं, "सरकार द्वारा आयात होने वाली दाल यहां मंडी में नहीं पहुंच पा रही है। अभी रिटेल काउंटर पर सबसे अच्छी क्वालिटी की अरहर दाल 202 रु प्रति किलो के रेट पर बिक रही है।
तनाव में व्यापारी
व्यापारी समुदाय तनाव में है। दाल महंगा होने से उसकी बिक्री पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है। पहले उपभोक्ता जितना खरीदते थे अब उसका आधा भी नहीं खरीद रहे हैं जिसकी वजह से उनके व्यापार पर बुरा असर पड़ रहा है। दाल व्यापारी सुबोध कुमार कहते हैं, "बिक्री काफी घट गई है। पहले, मान लीजिए की 10, 000 रुपये की बिक्री होती थी तो अब 2000 रुपये की बिक्री ही हो पाती है, यानी व्यापार में 80 फीसदी की गिरावट"।
अनाज व्यापारी ललन प्रसाद कहते हैं, "पहले दाल की फसल काफी खराब हुई और अब जब हालात खराब हो रहे हैं, मुनाफाखोर जमाखोरी कर रहे हैं। ऊपर से बड़े व्यापारी धीरे-धीरे माल छोड़ते हैं जिसकी वजह से यहां कीमत बढ़ती जा रही है"।
कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने नहीं दिया बयान
उधर, मुज़फ्फरपुर इलाके के दौरे पर आए कृषि मंत्री राधामोहन सिंह से एनडीटीवी ने जब दाल की बढ़ती कीमत पर सवाल पूछा तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। महंगाई पर उनके राजनीतिक विरोधियों के आरोपों पर जवाब देते हुए कृषि मंत्री ने कहा, "बिहार के अंदर भ्रष्टाचार के कारण भी महंगाई है। सरकारी तंत्र में बैठे लोगों का जमाखोरों के साथ सांठ-गांठ है। इसका असर एक-आध क्षेत्र में पड़ता है। पूरे देश में महंगाई दर देश में एनडीए के आने के बाद सबसे कम है"।
पर दाल के लिए क्या मुजफ्फरपुर और क्या दिल्ली, केन्द्र सरकार ने सोमवार को 3000 टन अतिरिक्त अरहर और उड़द दाल के आयात का फैसला किया। केंद्रीय भंडारों में अरहर दाल 120 किलो की रेट पर बेचा जा रहा है। लेकिन इससे तस्वीर कितनी बदलेगी ये भी एक सवाल है। क्योंकि देश के अधिकतर लोगों तक इसका लाभ नहीं पहुंचेगा। बेशक ये आम लोगों के लिए राहत की खबर हो सकती है। पर समाज का एक तबका आज भी ऐसा है जिसके लिए दाल दूर की कौड़ी है।
दाल व्यापारी की राय
दाल व्यापारी मनोज कवि कहते हैं, "सरकार द्वारा आयात होने वाली दाल यहां मंडी में नहीं पहुंच पा रही है। अभी रिटेल काउंटर पर सबसे अच्छी क्वालिटी की अरहर दाल 202 रु प्रति किलो के रेट पर बिक रही है।
तनाव में व्यापारी
व्यापारी समुदाय तनाव में है। दाल महंगा होने से उसकी बिक्री पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है। पहले उपभोक्ता जितना खरीदते थे अब उसका आधा भी नहीं खरीद रहे हैं जिसकी वजह से उनके व्यापार पर बुरा असर पड़ रहा है। दाल व्यापारी सुबोध कुमार कहते हैं, "बिक्री काफी घट गई है। पहले, मान लीजिए की 10, 000 रुपये की बिक्री होती थी तो अब 2000 रुपये की बिक्री ही हो पाती है, यानी व्यापार में 80 फीसदी की गिरावट"।
अनाज व्यापारी ललन प्रसाद कहते हैं, "पहले दाल की फसल काफी खराब हुई और अब जब हालात खराब हो रहे हैं, मुनाफाखोर जमाखोरी कर रहे हैं। ऊपर से बड़े व्यापारी धीरे-धीरे माल छोड़ते हैं जिसकी वजह से यहां कीमत बढ़ती जा रही है"।
कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने नहीं दिया बयान
उधर, मुज़फ्फरपुर इलाके के दौरे पर आए कृषि मंत्री राधामोहन सिंह से एनडीटीवी ने जब दाल की बढ़ती कीमत पर सवाल पूछा तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। महंगाई पर उनके राजनीतिक विरोधियों के आरोपों पर जवाब देते हुए कृषि मंत्री ने कहा, "बिहार के अंदर भ्रष्टाचार के कारण भी महंगाई है। सरकारी तंत्र में बैठे लोगों का जमाखोरों के साथ सांठ-गांठ है। इसका असर एक-आध क्षेत्र में पड़ता है। पूरे देश में महंगाई दर देश में एनडीए के आने के बाद सबसे कम है"।
पर दाल के लिए क्या मुजफ्फरपुर और क्या दिल्ली, केन्द्र सरकार ने सोमवार को 3000 टन अतिरिक्त अरहर और उड़द दाल के आयात का फैसला किया। केंद्रीय भंडारों में अरहर दाल 120 किलो की रेट पर बेचा जा रहा है। लेकिन इससे तस्वीर कितनी बदलेगी ये भी एक सवाल है। क्योंकि देश के अधिकतर लोगों तक इसका लाभ नहीं पहुंचेगा। बेशक ये आम लोगों के लिए राहत की खबर हो सकती है। पर समाज का एक तबका आज भी ऐसा है जिसके लिए दाल दूर की कौड़ी है।
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