
शिवसेना 59 साल की हो गई है. मुंबई में दोनों धड़ों का शक्ति प्रदर्शन हुआ और दोनों गुटों के भाषणों में सेंटर में रहे राज ठाकरे. उद्धव ठाकरे ने भाई से मिलाप का एक तरह से साफ इशारा किया तो शिंदे अपने भाषण में तंज कसते दिखे. वैसे सवाल है कि आने वाले निकाय चुनावों में राज ठाकरे आखिर कितने प्रभावी हो सकते हैं वो सबके लिए प्रिय हो चले हैं?
मौका हो शक्ति प्रदर्शन का तो उद्धव-शिंदे के भाषण में फिल्मी तेवर दिख ही जाते हैं. शुरुआत उद्धव के गरज-बरस भाषण से हुई. पर चचेरे भाई राज ठाकरे के साथ गठबंधन की तैयारियों पर साफ इशारे ने सुर्खियां बनाईं. उद्धव ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र और आपके मन में जो है वहीं होगा. कुछ लोग चाहते हैं कि हम साथ में ना आए. मराठी लोग एकसाथ ना आयें. इसलिए मालिक के कुछ लोग होटल में मिल रहे हैं. वो बहुत प्रयास कर रहे हैं कि हमारा गठबंधन ना हो, लेकिन हमें जो करना है वो हम करेंगे.
ठाकरे ने नाना पाटेकर अभिनीत फिल्म ‘प्रहार' का संवाद दोहराते हुए कहा कि लोग जो चाहते हैं, वही होगा. हम देखेंगे कि यह कैसे किया जाता है. भाजपा और एकनाथ शिंदे-नीत शिवसेना नहीं चाहती कि मराठी पार्टियां एकजुट हों. यदि आप ठाकरे ब्रांड को खत्म करने की कोशिश करेंगे, तो हम भाजपा को खत्म कर देंगे. मैं तैयार हूं. मैं भाजपा से कहना चाहता हूं. जब आप मुझे लेने आएं. अपने लिए एम्बुलेंस लेकर आएं.
वैसे उद्धव की जिस भाई राज ठाकरे से मिलाप की आस है, वो हाल के दिनों में कइयों से मेल-मिलाप कर चुके हैं. फ़ेहरिस्त में एकनाथ शिंदे भी शामिल थे. इसलिए भाषण में शिंदे का तंज़ भी झलका. उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि हिंदुत्व के विचार छोड़ने वाले की ऐसी हालत हो गई है कि युति-युति करते फिरते हैं. आपके साथ कोई नहीं खड़ा है.
स्थापना दिवस पर शिवसेना के दोनों धड़ों का शक्ति प्रदर्शन राज ठाकरे के जिक्र के साथ सुर्खियां बने ये देखकर राज ठाकरे ख़ुश तो ज़रूर हुए होंगे, क्यूंकि महाराष्ट्र के निकाय चुनावों में राज ठाकरे कितने असरदार हैं, ये MNS के अब तक के राजनीतिक सफर से समझना ज़्यादा मुश्किल नहीं.
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