मुंबई:
रिटायरमेंट से ठीक एक दिन पहले गिरफ्तार पुलिस अफसर सुहास गोखले ने दावा किया है कि उन्होंने पहले ही बता दिया था कि सिपाही कालोखे के लॉकर में मिला पाउडर मेफेड्रोन यानी म्याउ म्याउ नहीं है।
बावजूद इसके पुलिस ने एनडीपीएस का केस बना दिया और बाद में मुझे ही गिरफ्तार कर लिया। गोखले पर लेडी ड्रग माफिया शशिकला पाटणकर उर्फ बेबी को गिरफ्तारी से बचाने का आरोप है।
गोखले मुंबई पुलिस की एंटी नारकोटिक्स सेल के सीनियर पीआई थे। इसलिये मरीन ड्राईव पुलिस स्टेशन में आरोपी सिपाही धर्मराज कालोखे के लॉकर में मिले ड्रग की पहचान के लिये बुलाया गया था।
गौरतलब है कि एफएसएल की जांच में पता चला है कि सतारा से बरामद 114 किलो पाउडर और मरीन ड्राईव पुलिस स्टेशन के लॉकर से मिला 12 किलो पाउडर दोनों ही एमडी ड्रग नहीं सोडियम ग्लुटामेट यानी अजीनोमोटो है। एफएसएल की इसी रिपोर्ट के आधार पर सुहास गोखले को जल्द ही जमानत मिल गई और अब वो बाहर हैं।
इस रिपोर्ट से मुंबई क्राईम ब्रांच जहां बैकफूट पर है वहीं आरोपियों के हौसले बुलंद हैं। गोखले के बाद मामले में गिरफ्तार 4 और पुलिसवालों को जमानत मिल गई है। आरोपी पुलिस सिपाही धर्मराज कालोखे के वकील जयेश वाणी का कहना है कि अब तो ना सिर्फ पूरा एफआईआर ही गलत साबित हो रहा है बल्कि मुंबई पुलिस की विश्वसनीयता पर ही सवाल उठ गया है।
हालांकि मुंबई क्राईम ब्रांच के सह आयुक्त अतुलचंद्र कुलकर्णी के मुताबिक बरामद पाउडर की फिर से जांच करवाई जायेगी। इसके लिये पुलिस अदालत से इजाजत मांगेगी। पाउडर के नमूने को हैदराबाद की केंद्रीय लैब में भेजा जायेगा। उसके बाद ही हकीकत क्या है ये साफ हो पायेगी।
वैसे अगर पाउडर हकीकत में भी अजीनोमोटो निकलता है तब भी मामले पर से एनडीपीएस की धारा नहीं हटेगी क्योंकि मरीन ड्राईव पुलिस के सिपाही कालोखे के लॉकर से 22 ग्राम गांजा भी मिला था। पुलिस का तो यहां तक दावा है कि लॉकर की तलाशी के समय खुद गोखले ने बरामद पाउडर को ड्रग बताया था और ये बात पुलिस पंचनामा में भी आई है।
बावजूद इसके पुलिस ने एनडीपीएस का केस बना दिया और बाद में मुझे ही गिरफ्तार कर लिया। गोखले पर लेडी ड्रग माफिया शशिकला पाटणकर उर्फ बेबी को गिरफ्तारी से बचाने का आरोप है।
गोखले मुंबई पुलिस की एंटी नारकोटिक्स सेल के सीनियर पीआई थे। इसलिये मरीन ड्राईव पुलिस स्टेशन में आरोपी सिपाही धर्मराज कालोखे के लॉकर में मिले ड्रग की पहचान के लिये बुलाया गया था।
गौरतलब है कि एफएसएल की जांच में पता चला है कि सतारा से बरामद 114 किलो पाउडर और मरीन ड्राईव पुलिस स्टेशन के लॉकर से मिला 12 किलो पाउडर दोनों ही एमडी ड्रग नहीं सोडियम ग्लुटामेट यानी अजीनोमोटो है। एफएसएल की इसी रिपोर्ट के आधार पर सुहास गोखले को जल्द ही जमानत मिल गई और अब वो बाहर हैं।
इस रिपोर्ट से मुंबई क्राईम ब्रांच जहां बैकफूट पर है वहीं आरोपियों के हौसले बुलंद हैं। गोखले के बाद मामले में गिरफ्तार 4 और पुलिसवालों को जमानत मिल गई है। आरोपी पुलिस सिपाही धर्मराज कालोखे के वकील जयेश वाणी का कहना है कि अब तो ना सिर्फ पूरा एफआईआर ही गलत साबित हो रहा है बल्कि मुंबई पुलिस की विश्वसनीयता पर ही सवाल उठ गया है।
हालांकि मुंबई क्राईम ब्रांच के सह आयुक्त अतुलचंद्र कुलकर्णी के मुताबिक बरामद पाउडर की फिर से जांच करवाई जायेगी। इसके लिये पुलिस अदालत से इजाजत मांगेगी। पाउडर के नमूने को हैदराबाद की केंद्रीय लैब में भेजा जायेगा। उसके बाद ही हकीकत क्या है ये साफ हो पायेगी।
वैसे अगर पाउडर हकीकत में भी अजीनोमोटो निकलता है तब भी मामले पर से एनडीपीएस की धारा नहीं हटेगी क्योंकि मरीन ड्राईव पुलिस के सिपाही कालोखे के लॉकर से 22 ग्राम गांजा भी मिला था। पुलिस का तो यहां तक दावा है कि लॉकर की तलाशी के समय खुद गोखले ने बरामद पाउडर को ड्रग बताया था और ये बात पुलिस पंचनामा में भी आई है।
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