खास बातें
- पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के शीर्ष संवैधानिक पद का चुनाव लड़ने से इनकार कर दिए जाने पर भाजपा अब पीए संगमा को समर्थन देने पर विचार कर रही है।
नई दिल्ली: पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के शीर्ष संवैधानिक पद का चुनाव लड़ने से इनकार कर दिए जाने पर भाजपा अब पीए संगमा को समर्थन देने पर विचार कर रही है।
वह अपने दो सहयोगी दलों शिव सेना और जद(यू) को इस बात के लिए मनाने का प्रयास कर रही है कि वे यूपीए के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी को सर्वसम्मत प्रत्याशी बनाने के अपने रुख को छोड़ दें।
भाजपा नेता, खासतौर पर लालकृष्ण आडवाणी और सुषमा स्वराज कलाम के कद और एनडीए तथा उसके बाहर के दलों में भी उनकी स्वीकार्यता को देखते हुए उन्हें मुखर्जी के खिलाफ उतारने का प्रयास कर रहे थे। लेकिन कलाम ने सार्वजनिक रूप से सोमवार को यह घोषणा करके उनके अरमानों पर पानी फेर दिया कि मुखर्जी के खिलाफ प्रत्याशी बनने को उनकी अंतरात्मा अनुमति नहीं देती।
आडवाणी पिछले कुछ दिन से लगातार फोन पर कलाम के संपर्क में थे। सोमवार को उन्होंने पार्टी नेता एवं अपने करीबी सुधीन्द्र कुलकर्णी को दो बार कलाम के पास भेजा। उन्होंने भी फोन पर कलाम से बात की लेकिन कलाम नहीं माने।
सूत्रों ने बताया कि आडवाणी ने कलाम से कहा कि वह अपने फैसले के बारे में बयान कुछ विलंब से दें लेकिन कलाम ने इस मसले पर सभी अटकलों को तुरंत विराम देना तय किया।
कलाम के फैसले से झटका खाई भाजपा ने तय किया कि वह कोर समूह की बैठक बुलाएगी जिसमें नए घटनाक्रम और भावी रणनीति के बारे में फैसला किया जाएगा।
यह पूछने पर कि पार्टी अब क्या करना चाहती है, भाजपा प्रवक्ता निर्मला सीतारमण ने कहा कि जो भी फैसला किया जाएगा, हम मीडिया को अवगत कराएंगे। भाजपा अकेली नहीं है। इस मुद्दे पर एनडीए में चर्चा होगी और लोकतांत्रिक तरीके से फैसला होगा।
एनडीए की एक बैठक मंगलवार को हो रही है। इससे पहले इस मुद्दे पर एनडीए की दो बैठकें हो चुकी हैं।
सूत्रों ने बताया कि अब जद(यू) संभवत: इस बात पर और अड़ जाएगा कि प्रणब के मुकाबले किसी को न उतारा जाए। जद(यू) सूत्रों का कहना है कि संगमा का कद कलाम जितना नहीं है।