फाइल फोटो : पीएम नरेंद्र मोदी
नई दिल्ली:
"एप्परेन्टिस कानून में संशोधन हमसे बिना बातचीत के किया गया। राजस्थान में भी श्रम कानून को ऐसे ही बदला गया। वित्त मंत्रालय ने भी श्रमिक कानूनों में एकतरफा बदलाव किया है।" भारतीय मज़दूर संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष, बैजनाथ राय ने इंडियन लेबर कॉन्फ्रेंस के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली की मौजूदगी में एक के बाद मोदी सरकार की लेबर नीतियों की जमकर आलोचना कर सबको चौंका दिया।
प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री मंच पर बैठे रहे और भारतीय मज़दूर संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष उनके सामने अलग-अलग मुद्दों पर मज़दूर संगठनों की नाराज़गी को रखते चले गए।
प्रधानमंत्री के जाने के बाद बैजनाथ राय ने NDTV से बातचीत में हड़ताल पर जाने की चेतावनी भी दे डाली। भारतीय मज़दूर संघ के अध्यक्ष ने कहा, "हम 2 सितंबर को दूसरे मज़दूर संगठनों के साथ मिलकर हड़ताल करेंगे...अगर सरकार ने हमारी चिंताओं को तब तक दूर नहीं किया..."।
जवाब में प्रधानमंत्री ने भरोसा दिलाया कि सरकार श्रमिक संगठनों की चिताओं को समझती है। नरेन्द्र मोदी ने कहा, "श्रमिक संगठनों से बातचीत चल रही है। कई पुरानी गुत्थियां हैं उन्हें सुलझानी हैं"।
फिलहाल सरकार ने श्रमिक संघठनों को सकरात्मक पहल का आश्वासन दिया है...लेकिन संघ परिवार के अंदर से उठ रही विरोध की ये आवाज़ें मोदी सरकार के लिए कई मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं।
सरकार की मुश्किल ये है कि पिछले ही महीने ज़मीन अधिग्रहण कानून में बदलाव के खिलाफ भारतीय किसान संघ और स्वदेशी जागरण मंच ने संसद की संयुक्त समिति के सामने विरोध किया था। अब भारतीय
मज़दूर संघ के अध्यक्ष ने मोदी सरकार की श्रमिक कानूनों में बदलाव के खिलाफ सार्वजनिक तौर पर अपना विरोध जता दिया है। इस बार मुश्किल ये है कि बीएमएस ने दूसरे मज़दूर संगठनों के साथ मिलकर सरकार को ये चेतावनी भी दे दी है कि कि अगर उनकी चिंताओं को दूर नहीं किया गया तो वो 2 सितंबर को देशभर में हड़ताल करेंगे।
प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री मंच पर बैठे रहे और भारतीय मज़दूर संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष उनके सामने अलग-अलग मुद्दों पर मज़दूर संगठनों की नाराज़गी को रखते चले गए।
प्रधानमंत्री के जाने के बाद बैजनाथ राय ने NDTV से बातचीत में हड़ताल पर जाने की चेतावनी भी दे डाली। भारतीय मज़दूर संघ के अध्यक्ष ने कहा, "हम 2 सितंबर को दूसरे मज़दूर संगठनों के साथ मिलकर हड़ताल करेंगे...अगर सरकार ने हमारी चिंताओं को तब तक दूर नहीं किया..."।
जवाब में प्रधानमंत्री ने भरोसा दिलाया कि सरकार श्रमिक संगठनों की चिताओं को समझती है। नरेन्द्र मोदी ने कहा, "श्रमिक संगठनों से बातचीत चल रही है। कई पुरानी गुत्थियां हैं उन्हें सुलझानी हैं"।
फिलहाल सरकार ने श्रमिक संघठनों को सकरात्मक पहल का आश्वासन दिया है...लेकिन संघ परिवार के अंदर से उठ रही विरोध की ये आवाज़ें मोदी सरकार के लिए कई मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं।
सरकार की मुश्किल ये है कि पिछले ही महीने ज़मीन अधिग्रहण कानून में बदलाव के खिलाफ भारतीय किसान संघ और स्वदेशी जागरण मंच ने संसद की संयुक्त समिति के सामने विरोध किया था। अब भारतीय
मज़दूर संघ के अध्यक्ष ने मोदी सरकार की श्रमिक कानूनों में बदलाव के खिलाफ सार्वजनिक तौर पर अपना विरोध जता दिया है। इस बार मुश्किल ये है कि बीएमएस ने दूसरे मज़दूर संगठनों के साथ मिलकर सरकार को ये चेतावनी भी दे दी है कि कि अगर उनकी चिंताओं को दूर नहीं किया गया तो वो 2 सितंबर को देशभर में हड़ताल करेंगे।
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