गणतंत्र दिवस समारोह की परेड के दौरान कई राज्यों की झांकी निकाली गई. असम और लद्दाख की झांकी में समृद्ध विरासत की झलक दिखी. असम की झांकी में अहोम साम्राज्य के सेनापति लाचित बोड़फूकन, प्रसिद्ध कामाख्या मंदिर सहित राज्य की अन्य सांस्कृतिक धरोहरों का प्रदर्शन किया गया. वहीं लद्दाख की झांकी में इस केंद्र शासित प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों के मनोरम दृष्य और जीवंत संस्कृति की झलक देखने को मिली. लेह और करगिल के कलाकारों की मंडली भी दिखी जो इस झांकी में चार चांद लगाने वाली थी.
बोड़फुकन पूर्ववर्ती आहोम साम्राज्य के सेनापति थे, जिन्होंने 1671 के सरायघाट युद्ध में मुगल सेना के असम पर कब्जा करने के प्रयास को विफल कर दिया था. केंद्र सरकार ने पिछले वर्ष बोड़फुकन की 400वीं जयंती मनायी थी. गणतंत्र दिवस पर असम की झांकी में बोड़फुकन, शक्ति पीठों में शामिल कामाख्या मंदिर और राज्य की अन्य सांस्कृतिक धरोहरों को प्रदर्शित किया गया.
असम की झांकी में शिवसागर जिले के शिव डोल और रंग घर की प्रतिकृति को दर्शाया गया, जो आहोम साम्राज्य की शक्ति के प्रतीक के रूप में जाना जाता है,. झांकी के साथ पारंपरिक संगीत वाद्यों से सुसज्जित नर्तकों के दल ने बिहू नृत्य का प्रदर्शन किया.
कर्तव्य पथ पर निकाली गई झांकी में सातवीं सदी की गांधार कला आधारित पत्थरों से तराशी गई बुद्ध प्रतिमाओं को प्रदर्शित किया गया. करगिल की इन प्रतिमाओं की तरह दुनिया में सिर्फ तीन प्रतिमाएं हैं और इन्हें बामियान की बुद्ध प्रतिमा की श्रेणी का माना जाता है. बामियान की बुद्ध प्रतिमा को अफगानिस्तान के तालिबान शासन में ध्वस्त कर दिया गया था.
गणतंत्र दिवस की झांकी में लद्दाख ने बहुत ही गौरवान्वित तरीके से अपनी सांस्कृतिक धरोहर और ऐतिहासिक स्थलों का प्रदर्शन किया. इस बार की गणतंत्र दिवस की परेड में कुल 23 झांकियां निकाली गईं. इनमें से 17 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की झांकियां थीं और छह झांकियां विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों से संबंधित थीं.
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