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This Article is From Nov 10, 2019

Ayodhya News: तो क्या सिर्फ इस वजह से सुप्रीम कोर्ट ने रामलला विराजमान को सौंपा विवादित जमीन का मालिकाना हक

Ayodhya News: कोर्ट ने रामलला विराजमान के हक में फैसला सुनाते हुए कहा कि हमनें 40 दिन से ज्यादा चली कार्रवाई के दौरान तमाम सबूतों और गवाहों पर गौर किया.

Ayodhya News: तो क्या सिर्फ इस वजह से सुप्रीम कोर्ट ने रामलला विराजमान को सौंपा विवादित जमीन का मालिकाना हक
Ayodhya news: सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया अपना फैसला
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या के विवादित जमीन को लेकर अपना फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने अपने फैसले में इस जमीन पर रामलला विराजमान का मालीकाना हक बताते हुए तमाम विवादित हिस्सा रामलला के नाम कर दिया. हालांकि, कोर्ट ने मस्जिद बनाने के लिए मुसलमानों को भी अयोध्या में कहीं दूसरी जगह पांच एकड़ जमीन देने का फैसला किया है. कोर्ट ने रामलला विराजमान के हक में फैसला सुनाते हुए कहा कि हमनें 40 दिन से ज्यादा चली कार्रवाई के दौरान तमाम सबूतों और गवाहों पर गौर किया. इस दौरान दोनों ही पक्ष की तरफ से सबूत पेश किए हैं. हम आपको बताना चाहते हैं कि इस दौरान हिंदुओं पक्ष द्वारा रखे गए सबूत मुस्लिम पक्ष के सबूते से कहीं ज्यादा इस बात को साबित करते हैं कि विवादित जमीन रामलला विराजमान का था. 

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कोर्ट ने फैसला सुनाने के दौरान कहा कि संभावनाओं के संतुलन पर, यह स्पष्ट करने के लिए स्पष्ट सबूत हैं कि 1857 में ग्रिल-ईंट की दीवार की स्थापना के बावजूद बाहरी आंगन में हिंदुओं द्वारा पूजा जारी रखी गई थी. बाहरी आंगन में उनका कब्जा था. इसके साथ इस विवादित हिस्से पर उनके उनके नियंत्रण की बात भी साबित होती है. इसके अलावा तीन गुंबददार संरचना में प्रवेश सिर्फ बाहरी आंगन के पूर्वी और उत्तरी किनारों पर दो दरवाजों में से किसी एक से संभव था. और हमें जो सबूत मिले हैं उससे यह साबित होता है कि इन द्वार पर हिंदुओं का नियंत्रण था. 

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अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पीएम मोदी ने देश को संबोधित किया और उसी के कुछ समय बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी प्रदेश के लोगों के सामने अपनी बात रखी. सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हम सबने पहले भी अपील की थी कि सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला हो, उसे स्वीकार करना होगा. हमें बड़ी खुशी है कि सभी लोगों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का खुले दिल से स्वागत किया है. उन्होंने मीडिया को धन्यवाद देते हुए कहा कि पूरे मीडिया ने जिस तरह से इस मामले को प्रस्तुत किया और नकारात्मकता को नकारते हुए जिस प्रकार से आगे बढ़ाया वह अभिनंदनीय है. उन्होंने कहा कि यह फैसला बहुत कुछ संदेश दे रहा है, एक भारत और श्रेष्ठ भारत के संकल्प को आगे बढ़ाने, किसी परिवार या किसी वर्ग, समुदाय या धर्म से उठकर जो फैसला दिया और जिस प्रकार से इसे स्वीकार किया गया वह प्रशंसनीय है. 

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योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पांचों न्यायमूर्ति ने जिस प्रकार से एकमत होकर यह फैसला दिया है और जिस प्रकार इसे स्वीकारा है. वह दर्शाता है कि भारत क्यों दुनिया में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. दुनिया के सबसे बड़े और पुराने मामले के पटाक्षेप होने पर सबका धन्यवाद देता हूं. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री बनने के बाद जब मैं अयोध्या गया तो मुझे साफ दिखाई देता था कि किस प्रकार से इसकी अनदेखी की गई है, जैसे लगता था कि अयोध्या वनवास में है. अब अयोध्या देश और दुनिया में नई चमक और आभा के साथ नजर आएगा. 

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दशकों पुराने तथा पूरे देश को आंदोलित करते रहे केस में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में विवादित भूमि का कब्ज़ा सरकारी ट्रस्ट को मंदिर बनाने के लिए दे दिया गया है, तथा उत्तर प्रदेश के इसी पवित्र शहर में एक 'प्रमुख' स्थान पर मस्जिद के लिए भी ज़मीन आवंटित की जाएगी. इस केस में वादी भगवान रामचंद्र के बालस्वरूप 'रामलला' को 2.77 एकड़ ज़मीन का मालिकाना हक दिया गया है. सुन्नी वक्फ बोर्ड को नई मस्जिद के निर्माण के लिए पांच एकड़ ज़मीन का एक 'उपयुक्त' प्लॉट दिया जाएगा.

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न्यायमूर्तियों ने कहा कि ऐसा किया जाना ज़रूरी था, क्योंकि 'जो गलतियां की गईं, उन्हें सुधारना सुनिश्चित करना भी' कोर्ट का उत्तरदायित्व है. कोर्ट ने यह भी कहा कि 'सहिष्णुता तथा परस्पर सह-अस्तित्व हमारे देश तथा उसकी जनता की धर्मनिरपेक्ष प्रतिबद्धता को पुष्ट करते हैं...' कोर्ट ने कहा कि मंदिर निर्माण के लिए सरकार द्वारा तीन महीने के भीतर एक ट्रस्ट या बोर्ड का गठन किया जाना चाहिए.

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