राजस्थान हाईकोर्ट की डिवीज़न बेंच ने आज बहुजन समाज पार्टी (BSP) विधायकों का केस सिंगल बेंच के पास वापस भेज दिया. सिंगल बेंच में बीएसपी की याचिका पर सुनवाई की जा रही थी, जिसमें मांग की गई थी कि बीएसपी विधायकों के विलय पर स्थगनादेश दिया जाए. अब सिंगल बेंच ही 11 अगस्त को तय करेगी कि बीएसपी विधायकों के कांग्रेस में विलय पर स्थगनादेश दिया जाए या नहीं.
इसके साथ ही डिवीजन बेंच ने निर्देश दिया है कि बीएसपी के पूर्व विधायकों को अख़बारों के ज़रिये नोटिस भेजा जाए, और यदि वे रिसॉर्ट में रुके हैं, तो संबंधित जिले के एसपी के माध्यम से नोटिस द्वारा सूचित किया जाए. बता दें कि राजस्थान विधानसभा चुनाव के बाद बीएसपी एमएलए लखन सिंह (करौली), राजेन्द्र सिंह गुढ़ा (उदयपुरवाटी), दीपचंद खेड़िया (किशनगढ़ बास), जोगेन्दर सिंह अवाना (नदबई), संदीप कुमार (तिजारा) और वाजिब अली (नगर, भरतपुर) कांग्रेस में शामिल हो गए थे.
क्या है मामला?
दरअसल, राजस्थान विधानसभा चुनाव के बाद बीएसपी ने कांग्रेस को अपने 6 विधायकों का समर्थन दिया था. ये विधायक बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए थे. इसके खिलाफ बीजेपी विधायक ने स्पीकर से शिकायत की थी और इन विधायकों पर अयोग्यता की कार्रवाई करने की मांग की थी. वहीं, अब बीएसपी का कहना है कि अशोक गहलोत ने उनके विधायकों को अपनी पार्टी में शामिल कर लिया. बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने कहा था कि 'राजस्थान विधानसभा चुनाव के बाद बीएसपी ने कांग्रेस को अपने 6 विधायकों का समर्थन दिया. दुर्भाग्य से, सीएम गहलोत अपने दुर्भावनापूर्ण इरादे और बसपा को नुकसान पहुंचाने के लिए बीएसपी विधायकों को असंवैधानिक तरीके से कांग्रेस में शामिल कर लिया.'
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मायावती ने मामले में सुप्रीम कोर्ट भी जाने की बात कही है. उन्होंने कहा था कि 'बीएसपी पहले भी अदालत जा सकती थी लेकिन हम कांग्रेस और सीएम अशोक गहलोत को सबक सिखाने के लिए सही समय का इंतजार कर रहे थे. अब हमने कोर्ट जाने का फैसला किया है. हम इस मामले को ऐसे ही नहीं छोड़ेंगे. हम सुप्रीम कोर्ट भी जाएंगे.'
राजस्थान हाईकोर्ट में खारिज हुई बीएसपी की याचिका
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