भारतीय राजनीति में बुधवार को कांग्रेस की ओर से 'मोस्ट अवेटेड' पॉलिटिकल एंट्री हो गई. लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Polls) से ठीक पहले प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) सक्रिय राजनीति में उतर चुकी हैं और अब वह कांग्रेस (Congress) की महासचिव बनाई गई हैं. प्रियंका गांधी का सक्रिय राजनीति में आने के फैसले पर मुहर पिछले सप्ताह उस वक्त लगी, जब कांग्रेस अध्यक्ष और उनके भाई राहुल गांधी की मुलाकात उनसे अमेरिका में हुई थी. इस तरह से देखा जाए तो प्रियंका गांधी के राजनीति में आने की स्क्रिप्ट अमेरिका में लिखी गई और वहीं पर राहुल गांधी के निर्देशन में इस फैसले पर मुहर लगी.
दरअसल, राहुल गांधी दुबई से सीधे अमेरिका एक विशेष मिशन पर गए थे. वह मिशन था कि प्रियंका गांधी वाड्रा को सक्रिय राजनीति में आने के लिए मनाना और यह बताना कि अब उनके राजनीतिक एंट्री का सही समय आ गया है. अब तक प्रियंका गांधी का राजनीति में पूरी तरह इंटरेस्ट नहीं था. क्योंकि इससे पहले वह आंशिक तौर पर अपने भाई राहुल और मां सोनिया के लिए अमेठी और रायबरेली में चुनाव के समय रोड शो और रैलियों में शामिल होती रही हैं.
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कांग्रेस के अहम सूत्रों ने एनडीटीवी से बताया कि पिछले दो सालों के दौरान ही प्रियंका गांधी वाड्रा ने राजनीति में आने का फैसला किया था, मगर इसकी कोई समय-सीमा नहीं थी कि वह कब राजनीति में उतरेंगी. अपने बच्चों के साथ व्यस्त प्रियंका गांधी ने अपनी इस योजना को ओपेन रखा था कि जब वैसी जरूरत होगी, वह अपने फैसले को अमली जामा पहनाएंगी. मगर जब जब उत्तर प्रदेश में मायावती और अखिलेश यादव की पार्टी बसपा-सपा के साथ गठबंधन की संभावनाएं समाप्त हो गईं, तब जाकर राहुल गांधी ने फैसला किया कि अब प्रियंका गांधी वाला पर दांव चलने का समय आ गया है.
प्रियंका गांधी वाड्रा रायबरेली से लड़ सकती हैं लोकसभा चुनाव : सूत्र
यही वजह है कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने संयुक्त राज्य अमेरिका में मुलाकात की और वहीं पर अमेठी की अपनी यात्रा की घोषणा की. बताया जा रहा है कि प्रियंका गांधी वाड्रा फरवरी के पहले सप्ताह में वापस आ जाएंगी.
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कांग्रेस के एक अहम नेता ने कहा कि अगर यूपी में मायावती और अखिलेश के साथ गठबंधन हो जाता तो शायद प्रियंका गांधी की एंट्री अभी नहीं होती या फिर उनकी राजनीतिक एंट्री अलग फॉर्मेट में होती और अलग टाइमिंग में. मगर, अब कांग्रेस यूपी की सभी 80 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है और उसे ऐसी उम्मीद हो गई है कि वह कम से कम उनमें से 30 सीटों पर जीत दर्ज कर सकती है. इस बड़े ऐलान से पहले कांग्रेस दस सीटों पर जीत दर्ज करने का अनुमान लगा रही थी. पार्टी के सूत्र ने यह बात कही.
प्रियंका गांधी की राजनीति में एंट्री के बाद अब कांग्रेस वर्किंग कमेटी में गांधी परिवार से तीन लोग हो गए हैं. राहुल गांधी, सोनिया गांधी और अब प्रियंका गांधी. हालांकि, अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं हुई है कि प्रियंका गांधी कहां से चुनाव लड़ेंगी. मगर सूत्रों की मानें तो प्रियंका गांधी अपनी मां की परंपरागत सीट रायबरेली से चुनाव लड़ सकती हैं. बता दें कि इससे पहले ऐसी चर्चाएं थीं कि सोनिया गांधी पार्टी पॉलिटिक्स से किनारा कर सकती हैं.
पार्टी के अंदर के लोगों का कहना है कि प्रियंका गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया की टीम में 90 फीसदी कैंडिडेट 50 साल से कम उम्र के होंगे और उनमें से आधे उम्मीदवार 40 साल से कम के होंगे. उत्तर प्रदेश में इस बार कांग्रेस एक अलग रंग रूप में दिखेगी. कांग्रेस पार्टी यूपी में हर जगह पर अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराना चाहती है. यही वजह है कि कांग्रेस अभी इस ऑबजेक्टिव के साथ चल रही है कि उसे अपनी पार्टी को वहां काफी मजबूत बनाना है.
कांग्रेस के भीतर के लोगों ने कहा कि प्रियंका गांधी की राजनीति में एंट्री और पूर्वी यूपी की कमान संभालने के बाद ब्राह्मण वोटरों पर प्रभाव डालेगा. उनकी एंट्री से ब्राह्मणों के वोट कांग्रेस की ओर होंगे. बता दें कि यूपी में 12 फीसदी ब्राह्मण वोट हैं. हालांकि, अब एक बात तो तय है कि प्रियंका गांधी की एंट्री से कांग्रेस पार्टी में एक उम्मीद जगी और उन्हें अब ऐसा लगने लगा है कि यूपी की रण में वह अब बने हुए हैं.
VIDEO- प्रियंका गांधी कांग्रेस की बनीं महासचिव
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