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केदारनाथ में हेलीकॉप्‍टर दुर्घटनाओं पर सवाल, जानिए क्‍या है केदार घाटी में हेलीकॉप्‍टर कंपनियों के लिए नियम

केदारनाथ घाटी में हेलीकॉप्टर समय-समय पर लगातार क्रैश होते रहते हैं या उनकी इमरजेंसी करवाई जाती है. केदार घाटी में बीते 14 सालों में 13 हेलीकॉप्टर दुर्घटनाएं हुई हैं, जिसमें 41 लोगों की मौत हुई है.

केदारनाथ में हेलीकॉप्‍टर दुर्घटनाओं पर सवाल, जानिए क्‍या है केदार घाटी में हेलीकॉप्‍टर कंपनियों के लिए नियम
देहरादून:

उत्तराखंड के केदारनाथ धाम में हेलीकॉप्टर सर्विस को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. वजह केदारनाथ घाटी में पिछले कुछ सालों से लगातार हो रहीं हेलीकॉप्टर दुर्घटनाएं हैं. साल 2025 में चार धाम यात्रा की शुरुआत से लेकर 47 दिनों में दो हेलीकॉप्टर दुर्घटनाओं में 13 लोगों की मौत हो चुकी है. इसके अलावा तीन हेलीकॉप्टरों की इमरजेंसी लैंडिंग हुई है. इसके अलावा बीते 14 सालों की बात करें तो 13 हेलीकॉप्टर दुर्घटना केदार घाटी में हुई है, जिसमें 41 लोगों की मौत हुई है. ऐसे में सवाल है कि आखिर क्या वजह है कि केदारनाथ घाटी में हेलीकॉप्टर क्रैश होते हैं या उनकी इमरजेंसी लैंडिंग करवाई जाती है. इसके अलावा यह भी सवाल सामने आ रहा है कि केदारनाथ घाटी में हेलीकॉप्‍टर सेवा देने वाली कंपनियों के हेलीकॉप्टर बिना रुके लगातार केदारनाथ के फेरे लगाते हैं. इन सभी सवालों का जवाब जानने के लिए एनडीटीवी ने पूर्व में केदार घाटी में हेलीकॉप्टर सेवा देने वाले एक ऑपरेटर से बात की हालांकि उन्होंने अपना नाम ना बताने की शर्त पर तमाम सवालों के जवाब दिए. 

उन्‍होंने कहा कि केदारनाथ घाटी में जो हेलीकॉप्‍टर एविएशन कंपनियां अपनी सर्विस देती हैं, उन्‍हें उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण (Uttarakhand Civil Aviation Development Authority) से हर 10 दिनों के लिए शटल फ्लाइंग स्‍लॉट मिलता है. इसी शटल फ्लाइंग स्लॉट्स के अनुसार, केदारनाथ घाटी में एविएशन कंपनियां अपने हेलीकॉप्टर से श्रद्धालुओं को केदारनाथ धाम की यात्रा और दर्शन करवाते हैं. 

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केदारनाथ धाम में हेलीकॉप्‍टर दुर्घटनाएं 

  • 12 जून 2009:  केदारनाथ हैलीपैड पर हेलिकॉप्टर के पंखे से एक की मौत
  • 21 जून 2013: हेलिकॉप्टर जंगलचट्टी में क्रैश, पायलट की मौत
  • 25 जून 2013: एमआई-17 हेलिकॉप्टर गौरीकुंड के पास दुर्घटनाग्रस्त, 21 जवानों की मौत
  • 28 जून 2013: केदारनाथ से दो किमी आगे गरुड़चट्टी में हेलिकॉप्टर क्रैश, 3 की मौत
  • 25 मई 2016:  हवा में हेलिकॉप्टर को पहुंचा नुकसान, सभी यात्री सुरक्षित
  • 3 अप्रैल 2018: केदारनाथ में एमआई-17 हेलिकॉप्टर दुर्घटना, कोई जनहानि नहीं
  • 13 मई 2019: केदारनाथ में हेलिकॉप्टर में तकनीकी खराबी आने से इमरजेंसी लैंडिंग
  • 18 अक्तूबर 2022: केदारनाथ से गुप्तकाशी जा रहा गरूडचट्टी के पास पहाड़ी से टकराने से हेलीकॉप्‍टर क्रैश, 7 की मौत
  • 23 अप्रैल 2023: केदारनाथ हेलीपैड पर हेलीकॉप्टर के टेल रोटर की चपेट में आने से यूकाडा के वरिष्ठ वित्त नियंत्रक की मौत 
  • 24 मई 2024: हेलीपेड से 100 मीटर आगे हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त, सभी यात्री सुरक्षित
  • 17 मई 2025: केदारनाथ धाम में हेलीकॉप्‍टर की इमरजेंसी लैंडिग, कोई जनहानि नहीं
  • 7 जून 2025: बडासू हेलीपैड से उड़ान भरते समय हेलीकॉप्‍टर क्रैश, काई जनहानि नहीं
  • 15 जून 2025: केदारनाथ से गुप्तकाशी लौट रहा हेलीकॉप्‍टर गौरी माई खर्क के पास क्रैश, सात की मौत

'डीजीसीए नॉर्म्‍स के मुताबिक उड़ान भरते हैं हेलीकॉप्‍टर' 

UCADA की सीईओ सोनिका ने बताया कि केदारनाथ वाली में डीजीसीए के नॉर्म्स के मुताबिक ही हेलीकॉप्टर उड़ान भरते है. उन्‍होंने बताया कि गुप्तकाशी से एक एविएशन कंपनी को तीन बार एक घंटे में उड़ने की परमिशन है. फाटा और सिरसी से एक घंटे में चार-चार बार एक एविएशन कंपनी फ्लाइंग करती है. 

फ्लाइंग स्लॉट्स में हर एविएशन कंपनी को सुबह 6 बजे से 7 बजे  और 7 बजे से 8 बजे दिया जाता है. इसके अलावा शाम तक 6 बजे और 7 बजे तक रहता है. 

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केदारनाथ के कितने फेरे लगाते हैं हेलीकॉप्‍टर

अब यह सवाल है कि इन कंपनियों के हेलीकॉप्टर केदारनाथ के कितने फेरे लगाते हैं. केदारनाथ धाम में तीन हेलीपैड से कंपनियां केदारनाथ धाम के लिए ऑपरेट करती हैं. गुप्तकाशी, फाटा और सिरसी हेलीपैड से हेलीकॉप्‍टर सेवा ऑपरेट करती है. 9 एविएशन कंपनियों अपनी सर्विस केदारनाथ घाटी में दे रही हैं और हर कंपनी को 7 से 8 घंटे फ्लाइंग स्लॉट्स मिलते हैं. इसी 8 घंटे की फ्लाइट में हेलीकॉप्टर को प्रत्येक घंटे के बाद 25 मिनट रिफिलिंग करने को मिलते हैं.

इसके अलावा हर कंपनी के पास दो पायलट होते हैं. कंपनी को मिलने वाले समय के मुताबिक यानी अगर 8 घंटे फ्लाइंग स्लॉट्स मिले हैं तो उसमें 4 घंटे एक पायलट फ्लाइंग करेगा तो दूसरा 4 घंटे उड़ान भरेगा. अगर 7 घंटे फ्लाइंग स्लॉट्स मिले हैं तो इसमें एक पायलट साढे़ तीन घंटे और दूसरा भी साढे़ तीन घंटे तक फ्लाइंग करेगा. इसके अलावा डीजीसीए के मुताबिक, जब हेलीकॉप्टर लास्ट फ्लाइंग स्लॉट वापस करके लौटेगा तो उसमें 100 लीटर फ्यूल होना अनिवार्य है. 

  • गुप्तकाशी से एक एविएशन कंपनी को दिनभर में करीब 24 फेरे मिलते हैं.  
  • फाटा से एक एविएशन कंपनी को दिन भर में करीब 32 फेरे मिलते है.
  • सिरसी से एक एविएशन कंपनी को दिन भर में करीब 32 फेरे मिलते है

हेलीकॉप्‍टर को फेरे लगाने में कितना लगता है वक्‍त

गुप्तकाशी से केदारनाथ और केदारनाथ से गुप्तकाशी आने और जाने में हेलीकॉप्टर को 20 मिनट लगते हैं और एक घंटे में तीन चक्कर गुप्तकाशी से केदारनाथ हेली कंपनी को मिलते हैं. फाटा से केदारनाथ और केदारनाथ से फाटा में करीब 12 से 14 मिनट में हेलीकॉप्टर फेरे लगाता है और फाटा से एक घंटे में एक हेलीकॉप्टर को चार फेरे मिलते हैं. 

सिरसी से केदारनाथ और केदारनाथ से सिरसी हेलीपैड तक करीब 12 से 14 मिनट में हेलीकॉप्टर फेरे लगाता है और सिरसी हेलीपैड से एक घंटे में एक हेलीकॉप्टर को चार फेरे मिलते हैं. 

एक वक्‍त पर 6 हेलीकॉप्‍टर भर सकते हैं उड़ान

वहीं डीजीसीए के नियम के मुताबिक, केदारनाथ घाटी में एक समय में 6 हेलीकॉप्टर फ्लाइंग कर सकते हैं. इसके बाद तीन हेलीकॉप्टर के समय पूरे होने के बाद तीन हेलीकॉप्टर और फ्लाइंग कर सकते हैं यानी लगातार एक समय में केदारनाथ घाटी में 6 हेलीकॉप्टर नियमित रूप से उड़ान भर सकते हैं. इनमें से 6 हेलीकॉप्टर केदारनाथ की तरफ उड़ेंगे और तीन हेलीकॉप्टर केदारनाथ से वापस गुप्तकाशी, फाटा और सिरसी की ओर उड़ान भरेंगे. 

पूर्व में हेलीकॉप्टर ऑपरेटर उड़ाने वाले शख्स ने बताया कि हेलीकॉप्टर उड़ाने के लिहाज से केदारनाथ घाटी सबसे मुश्किल फ्लाइंग जोन है, क्योंकि यहां पर रामबाड़ा से लेकर जंगल चट्टी तक ज्यादातर मौसम खराब ही रहता है या फिर इस घाटी में बादल और फॉग आ जाता है, जिससे हेलीकॉप्टर को उड़ाने में दिक्कत होती है क्योंकि यहां पर सिंगल इंजन के हेलीकॉप्टर उड़ते हैं और उन्हें घाटी में ही उड़ान भरनी पड़ती है. वजह यही है कि यहां पर केदारनाथ से लेकर गौरी कुंड और सोनप्रयाग तक हवा नीचे की तरफ बहती है. 

हेलीकॉप्‍टर की उड़ान में सबसे बड़ी परेशानी खराब मौसम

हेलीकॉप्टर हादसे की बात करें तो उत्तराखंड में चारों धाम 3000 मीटर से अधिक हिमालय क्षेत्र में हैं, जहां पर मौसम सबसे बड़ी परेशानी हेलीकॉप्टर के लिए खड़ी करता है. खासकर केदारनाथ घाटी की बात करें तो इस जगह पर लगातार मौसम खराब होता है. 

वहीं हेलीकॉप्टर में कितने यात्रियों को केदारनाथ लेकर जाया जा सकता है, इस बारे में जानकारी देते हुए उन्‍होंने बताया कि यह हेलीकॉप्टर में वजन और उसके पेट्रोल पर निर्भर करता है. उन्‍होंने बताया कि हेलीकॉप्टर में फुल टैंक पेट्रोल नहीं डाला जाता है बल्कि हाफ टैंक ही पेट्रोल लेकर टेक ऑफ किया जाता है और उसके मुताबिक ही पहले स्लॉट्स में 380 किलो वजन उठाकर यात्रियों को ले जाया जाता है. इसके अलावा प्रत्येक यात्री का सामान 2 किलो से ज्यादा नहीं होना चाहिए. केदार घाटी में एक हेलीकॉप्टर का आने जाने में अधिकतम 30 से 35 लीटर तेल खर्च करता है. 

हेलीकॉप्टर केदारनाथ से जब वापस आता है तो ऐसे में हेलीकॉप्टर में मौजूद पेट्रोल खर्च हो जाता है. इसलिए वहां से वजन बढ़ाकर यानी एक्स्ट्रा यात्री को भी लाया जा सकता है. कुल मिलाकर वजन के हिसाब से तीन चार या फिर 6 यात्रियों को हेलीकॉप्टर में बिठाकर उड़ान भरी जा सकती है. 

हेलीकॉप्‍टरों की बहुत ज्‍यादा उड़ान, लेकिन एटीसी सिस्‍टम नहीं  

केदारनाथ में बहुत ज्यादा हेलीकॉप्टर फ्लाइंग करते हैं, लेकिन यहां पर ATC यानी एयर ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम नहीं बनाया गया है, जिससे हेलीकॉप्टर सेवा की निगरानी करने में काफी परेशानी आ रही है. इसके अलावा कोई ऐसा कोई वेदर सिस्टम भी केदारनाथ घाटी में नहीं बनाया गया है, जिससे मौसम के खराब होने की सूचना तुरंत हेलीकॉप्टर पायलट को दी जा सके, प्रशासन की तरफ से भी कोई ऐसी ठोस सिस्टम नहीं बनाया गया है जो इन दुर्घटनाओं को रोकने में मदद कर सके, केदारनाथ घाटी से उड़ने वाले हेलीकॉप्टर के नियमित जांच हो रही है या नहीं उस लेकर भी कोई एक्सपर्ट्स की टीम वहां तैनात नहीं है जो यह देख सके कि हेलीकॉप्टर की मेंटेनेंस हो रही है या नहीं

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