
- रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने भारत और प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा करते हुए नाटो और अमेरिका की आलोचना की है.
- वरिष्ठ पत्रकार कमर आगा के अनुसार रूस भारत-चीन संबंधों में सुधार ला सकता है, लेकिन पूर्ण समाधान संभव नहीं है.
- अमेरिका भारत से अपनी नीति में बदलाव चाहता है, लेकिन भारत अपनी स्वतंत्र विदेश नीति बनाए रखने पर जोर दे रहा है.
दुनिया में उथल-पुथल मची हुई है. पुराने गठबंधन फीके पड़ रहे हैं और शतरंज की नई बिसात बिछाई जा रही है. अमेरिका कभी चीन को दुश्मन बताता है और रूस को साधने की कोशिश करता दिखता है तो कभी रूस को घेरने में लगकर चीन के साथ बातचीत करने लगता है. ट्रंप हाल तक भारत और पीएम मोदी से दोस्ती की बातें तो करते हैं, लेकिन पाकिस्तान से प्रेम उनका बढ़ता जा रहा है. पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ और फील्ड मार्शल मुनीर से उनकी मुलाकातें बता रही हैं कि उनके दिमाग के कुछ तो चल रहा है.
सऊदी और पाकिस्तान के बीच रक्षा करार पर भी कई सवाल खड़े हो रहे हैं. ऐसे में रूस लगातार भारत की तारीफ कर रहा है. भारत और रूस अपनी दोस्ती को लगातार दमदारी से निभा रहे हैं. रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने तो बृहस्पतिवार को खुद भारत और पीएम मोदी की तारीफ की. साथ ही नाटो और अमेरिका की खिल्ली भी उड़ाई.
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व्लादिमीर पुतिन
क्या भारत फंस गया?

पुतिन इस साल दिसंबर या जनवरी में भारत का दौरा कर सकते हैं. कई रक्षा समझौतों पर भी बात चल रही है. एस 500 से सुखोई 57 को लेकर अटकलें चल रही हैं. मगर सवाल उठता है कि रूस और भारत की दोस्ती क्या मौजूदा सभी सवालों का जवाब है? रूस क्या भारत और चीन के बीच के विवादों को हल कराने में सक्षम है? रूस के कहने पर चीन क्या पाकिस्तान का साथ छोड़ेगा? क्या पाकिस्तान आतंकवाद के रास्ते को छोड़ेगा? क्या वो पीओके को खाली करेगा? क्योंकि भारत के लिए समस्या ये है कि पाकिस्तान एक तरफ चीन को पूरी तरह साधे हुए है तो दूसरी तरफ अमेरिका को भी साध रहा है. ऐसे में रूस कहां तक भारत की मदद करेगा? भारत-पाकिस्तान के बीच अगर फिर जंग हुई तो सऊदी अरब की भूमिका क्या होगी? चीन क्या करेगा?
भारत-चीन रिश्तों पर कमर आगा

इन सवालों पर देश के जाने-माने वरिष्ठ पत्रकार और कूटनीति विश्लेषक कमर आगा कहते हैं, रूस अपने प्रभाव से भारत-चीन संबंधों में एक बदलाव जरूर ला सकता है. हां, पूरी तरह से कोई भी देश किन्हीं दो शक्तिशाली देशों के सारे विवाद नहीं दूर सकता. अभी तो चीन पर खुद ही भारत दबाव बनाए हुए. दोनों देशों के बीच सीमा विवाद पर बातचीत जारी है. हालांकि, अभी नजदीक के समय में अक्साई चीन पर कोई फैसला होना मुश्किल है. इस समय भारत किसी भी देश से युद्ध नहीं चाहता. भारत का मानना है कि युद्ध का समय समाप्त हो चुका है. पाकिस्तान-चीन की दोस्ती पर उन्होंने कहा कि भारत की सेना पूरी तरह तैयार है. अगर भारत में आतंकवाद हमला होता है तो भारत उसका बदला लेगा. ये सरकार ने घोषणा कर रही है. अगर भारत आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तान पर हमला करता है तो चीन भी भारत से युद्ध नहीं करना चाहेगा. हां, वो हथियार दे सकता है, जैसा ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हुआ. मगर सीधे युद्ध में नहीं उतरेगा. मुनीर के फील्ड मार्शल बनने के बाद अब तो पाकिस्तान के साथ चीन के संबंध भी अच्छे नहीं रहे हैं. मुनीर अमेरिका के पिछलग्गू बनना चाह रहे हैं और ये चीन को भी दिख रहा है. देशों के बीच रिश्ते बदलते रहते हैं.
क्या भारत-पाक जंग में सऊदी कूदेगा

सऊदी और पाकिस्तान की रक्षा डील पर कमर आगा कहते हैं, सऊदी के पास कोई मजबूत सेना नहीं है. अगर होती तो वो पाकिस्तान से समझौता ही क्यों करता? उसका प्रोटेक्शन अमेरिका करता है. उसका जब यमन से युद्ध चल रहा था तो इजिप्ट और सूडान से उसे मदद लेनी पड़ी थी. हां, उसके पास अमेरिकी हथियार बहुत हैं. वो पाकिस्तान को अमेरिकी हथियार दे सकता है पर शायद ऐसा भी नहीं करेगा. भारत उसका तेल का बड़ा खरीदार है., बहुत काफी संख्या में भारतीय वहां काम कर रहे हैं. उसने भारत में काफी निवेश भी किया है तो सऊदी से पाकिस्तान को बस इतना ही फायदा होगा कि उसे कुछ रुपये लोन में मिल जाएंगे या फिर सुरक्षा के नाम पर सऊदी कुछ मदद भी कर सकता है.
भारत से क्यों नाराज अमेरिका

कमर आगा ने कहा कि दुनिया बहुत तेजी से बदल रही है. दुनिया अब सच में मल्टी पोलर हो रही है. अमेरिका की कोशिश है कि ऐसा न हो. वो चाहता है कि भारत उसके साथ पूरी मजबूती के साथ जुड़े. अमेरिका चाहता है कि भारत अपनी विदेश नीति में बदलाव करे. भारत ऐसा करना नहीं चाहता. वो ऑटोनॉमी रखना चाहता है. वो अपने हित में फैसले लेना चाहता है. उसका फोकस डेवलपमेंट पर है. भारत किसी युद्ध में नहीं फंसना चाहता.
इसीलिए अमेरिका भारत से चिढ़ रहा है. उस पर दबाव बना रहा है. भारत को मिलाकर अमेरिका ईरान को सबसे पहले अलग-थलग करना चाहता है. इसके बाद उसकी कोशिश रूस को अलग-थलग करने की है और इसके बाद चीन के साथ भी वो भविष्य में ऐसा ही करना चाहता है. मगर ये अब संभव नहीं है. पश्चिम की टेक्नोल़ॉजी अब पहले जैसे नहीं रही . भारत, साउथ अफ्रीका, ब्राजील जैसे देश तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. ब्रिक्स से अमेरिका डर लग रहा है.
रूस-भारत में क्या होगा समझौता
पुतिन के आगामी भारत दौरे पर कमर आगा ने कहा कि रूस दोबारा बहुत तेजी सेआगे बढ़ रहा है. डिफेंस और सिविल दोनों क्षेत्रों में उसकी प्रगति दुनिया देख रही है. उसके पास ऐसी टेक्नोलॉजी है, जिसका ड्यूअल इस्तेमाल हो सकता है. डिफेंस क्षेत्र में भी और सिविल में भी. रूस के फार्मा सेक्टर को ही देख लीजिए. अभी उसने कैंसर की वैक्सीन बना ली है. कोविड की वैक्सीन भी उसकी बहुत कारगर रही थी. ऑटोमोबाइल क्षेत्र में भी वो तेजी से आगे बढ़ रहा है. रूस और भारत के बीच पुतिन के दौरे में सुखोई 57 से लेकर एस 500 सहित कई मुद्दों पर सहमति बन सकती है. इस बारे में बातचीत अभी चल रही होगी. भारत की कोशिश है कि ये सभी भारत में ही बनें. पूरा नहीं तो ज्वाइंटली बने. भारत में टेक्नोलाजी आए. जहाज, ट्रांसपोर्ट विमान आदि के क्षेत्रों में भी बात बन सकती है. भारत और रूस के बीच मिलकर काम करने के लिए बहुत सारे विकल्प हैं.
रूस-भारत दोस्ती हुई दमदार

फिलहाल की स्थिति ये है कि ट्रंप के दबाव के बावजूद रूस से भारत तेल खरीद रहा है. अमेरिका के साथ ट्रेड को लेकर बातचीत भी जारी है और भारत की तरफ से लगातार पॉजीटिव बयान आ रहे हैं. दूसरी तरफ अमेरिका की तरफ से बार-बार भारत पर उल्टे-सीधे बयान आ रहे हैं. चीन अभी अमेरिका को लेकर भारत के साथ खड़ा तो नजर आ रहा है, लेकिन सीमा विवाद पर प्रगति बहुत धीमी है. दूसरी तरफ पाकिस्तान को लेकर उसका स्टैंड अभी भी पुराना ही है. अच्छी बात ये है कि रूस भले ही चीन से अभी दोस्ती के दावे कर रहा है, लेकिन वो चीन को लेकर सतर्क भी है. इसका खुलासा पिछले दिनों रूस की एक खुफिया रिपोर्ट लीक होने पर पता चला था.
वहीं भारत को लेकर वो निश्चिंत है. यूक्रेन युद्ध में भारत के स्टैंड ने रूस को काफी हद तक ये एहसास करा दिया है कि भारत दबाव में भी उसका साथ नहीं छोड़ेगा. ऐसे में ये बात तो तय है रूस कभी भी भारत को पूरी तरह से अकेला नहीं छोड़ेगा. इसके उलट अमेरिका भारत को तो छोड़िए यूरोप से लेकर नाटो तक को झटका देने से बाज नहीं आ रहा. वो चीन और रूस दोनों से अपने फायदे के लिए बात कर रहा है. जाहिर है, मौजूदा वक्त में सभी देश तात्कालिक फायदे के हिसाब से संबंध बना रहे हैं. पाकिस्तान की तो शुरू से ही विदेश नीति तात्कालिक फायदे की ही रही है. ऐसे समय में भारत और रूस अपनी ऐतिहासिक दोस्ती को और गाढ़ी कर रहे हैं.
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