
114 साल के फौजा सिंह को कार से टक्कर मारने वाले आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. भारतीय मूल के ब्रिटिश मैराथन एथलीट फौजा सिंह को सोमवार की शाम पंजाब के ब्यास पिंड गांव के पास जलंधर-पठानकोट एनएच के किनारे सड़क पार करने के दौरान तेज रफ्तार कार ने उन्हें टक्कर मार दी थी. इस सड़क हादसे में घायल होने के बाद अस्पताल में इलाज के दौरान उनका निधन हो गया था. पुलिस इस मामले में गिरफ्तार आरोपी से पूछताछ शुरू कर दी है.
फौजा सिंह से जुड़े हिट एंड रन मामले को 30 घंटे के भीतर सुलझा लिया है.पुलिस ने गिरफ्तार आरोपी की पहचान एनआरआई अमृतपाल सिंह ढिल्लों के रूप में की है. पुलिस सूत्रों के अनुसार उस फॉर्च्यूनर कार को भी जब्त कर लिया गया है जिससे फौजा सिंह को टक्कर मारी गई थी. हालांकि इसे लेकर देहात पुलिस द्वारा पुष्टि नहीं की गई है. आरोपी को देर रात थाना भोगपुर में लेकर आया था, जहां उससे गहन पूछताछ शुरू कर दी गई थी.जालंधर के करतारपुर में स्थित दासूपुर गांव का रहने वाला अमृतपाल सिंह ढिल्लों पुत्र सुखवंत सिंह को आज पुलिस कोर्ट में पेश कर रिमांड पर लेगी. पुलिस की जांच में पता चला है कि जिस कार से इस घटना को अंजाम दिया गया हो उसे दो साल पहले ही कपूरथला के एक शख्स ने NRI अमृतपाल सिंह ढिल्लों को बेची थी.
ऐसे हुई आरोपी के कार की पहचान
एसएसपी हरविंदर सिंह विर्क द्वारा बनाई गई टीम ने कुछ गाड़ियां लिस्ट आउट की थी. जिन में से एक फॉर्च्यूनर गाड़ी की पहचान देर शाम कर ली गई थी. मंगलवार देर शाम तक पुलिस को संदिग्ध फॉर्च्यूनर का नंबर पता चला गया. नंबर से पता चला कि उक्त गाड़ी कपूरथला के अठौली गांव के रहने वाले वरिंदर सिंह पुत्र बलवीर सिंह के नाम पर पंजीकृत थी.जिसके बाद जालंधर पुलिस की टीमें कपूरथला रवाना हुईं और वरिंदर तक पहुंचीं. वरिंदर सिंह से पूछताछ में पता चला कि कनाडा से आए एक एनआरआई अमृतपाल सिंह ढिल्लों ने उनकी कार खरीदी थी. पुलिस को यह भी जानकारी मिली कि अमृतपाल के पिता का निधन हो चुका है, उसकी तीन बहनें हैं और उसकी मां कनाडा में रहती हैं.
वारदात के बाद गांव-गांव होते हुए करतारपुर पहुंचा थी आरोपी
अमृतपाल खुद भी 8 दिन पहले ही कनाडा से लौटा था. देर रात पुलिस ने अमृतपाल को गिरफ्तार किया और उसकी गाड़ी भी बरामद कर ली थी. हादसे के बाद अमृतपाल सीधा अपने करतारपुर स्थित गांव की गया था। वह जालंधर तक नहीं आया, बल्कि रास्ते से ही गांव गांव होता हुआ करतारपुर निकल गया था.प्राथमिक पूछताछ में अमृतपाल ने अपना जुर्म कबूल कर लिया है. अमृतपाल ने माना कि वह मुकेरिया साइड से अपना फोन बेच कर लौट रहा था. जब वह ब्यास पिंड के पास पहुंचा तो एक बुजुर्ग उनकी गाड़ी की चपेट में आया. उन्हें ये नहीं पता था कि बुजुर्ग फौजा सिंह हैं. जब देर रात खबरें आनी शुरू हुईं तो फौजा सिंह की मौत के बारे में पता चला.
आपको बता दें कि टर्बन्ड टोर्नाडो के नाम से मशहूर फौजा सिंह ने 100 मीटर से लेकर 5,000 मीटर तक की दौड़ में कई विश्व रिकॉर्ड तोड़े थे, जबकि लंदन, ग्लासगो, टोरंटो, हांगकांग में कई मैराथन दौड़ में बड़ी उपलब्धियां अपने नाम की हैं. जीवन के एक दुखद मोड़ ने उन्हें दौड़ने की प्रेरणा दी और फिर 89 साल की उम्र में उन्होंने मैराथन की दुनिया में कदम रखा. इस सिख धावक की यात्रा अविश्वसनीय रही है और दुनियाभर के लोगों के लिए प्रेरणादायक है.
सौ साल की उम्र में की थी रिकॉर्डों की झड़ी
फौजा सिंह ने 2011 में, 100 साल की उम्र में, कनाडा के टोरंटो में बर्चमाउंट स्टेडियम में विशेष ओंटारियो मास्टर्स एसोसिएशन फौजा सिंह इंविटेशनल मीट में एक ही दिन में आठ विश्व रिकॉर्ड (एज-ग्रुप) बनाए थे. कनाडाई अधिकारियों द्वारा समयबद्ध, उन्होंने एक ही दिन में अपने आयु वर्ग के लिए पांच विश्व रिकॉर्ड तोड़े, जबकि बाकी तीन के लिए पहले कोई निशान नहीं थे, क्योंकि उनकी उम्र में किसी ने भी उन रिकॉर्डों का प्रयास नहीं किया था. उनके कुछ समय तो 95 वर्षीय आयु वर्ग के मौजूदा रिकॉर्डों से भी बेहतर थे.
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