राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
शनिवार को भीड़ द्वारा हिंसा और लोगों को मारे जाने की घटनाओं पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने एक बार फिर कड़ी टिप्पणी की. अंग्रेजी अखबार नेशनल हेराल्ड के कार्यक्रम में राष्ट्रपति ने कहा, "जब हम अखबार में पढ़ते हैं या टीवी पर देखते हैं कि एक आदमी को भीड़ ने पीट दिया है क्योंकि कथित रूप से उसने कानून तोड़ा है. जब भीड़ का पागलपन इस हद तक बढ़ जाये कि उसे रोका ही न जा सके हमें रुक कर सोचना होगा कि क्या हम अपने देश के मूल्यों के प्रति जागरुक हैं."
इसी कार्यक्रम में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने संघ परिवार और बीजेपी पर बिना नाम लिये हमला किया और कहा, "जो लोग उस वक्त एक किनारे खड़े रहे जब बड़े संघर्ष और बलिदान के साथ इतिहास बनाया जा रहा था और जिन्हें भारत के संविधान पर ज़रा भी भरोसा नहीं था वो आज एक ऐसा भारत बनाना चाहते हैं जो उस भारत से बिल्कुल अलग है जो हमें 15 अगस्त 1947 को मिला."
सोनिया गांधी ने हाल में लोगों पर भीड़ के हमलों का ज़िक्र करते हुये सरकार पर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई न करने के लिए निशाना साधा और कहा, "आज भारत का विचार असहिष्णुता की वजह से खतरे में पड़ गया है. आज कुछ ताकतें लोगों को बताती हैं कि कि वह क्या नहीं खा सकते, वह क्यों हंस या बोल नहीं सकते और क्या नहीं सोच सकते. स्वयंभू संस्कृति की वजह से ये हिंसा बढ़ रही है और इसे उनका समर्थन है जिन पर कानून लागू करने की ज़िम्मेदारी है. ये हमारी चेतना पर हर रोज होने वाला हमला है आज भारत एक चौराहे पर खड़ा है जहां तानाशाही और पक्षपात का बोलबाला है. हम आज जिस विचार तो समर्थन देंगे कल वही हमारे देश की पहचान बनेगा."
इसी कार्यक्रम में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने संघ परिवार और बीजेपी पर बिना नाम लिये हमला किया और कहा, "जो लोग उस वक्त एक किनारे खड़े रहे जब बड़े संघर्ष और बलिदान के साथ इतिहास बनाया जा रहा था और जिन्हें भारत के संविधान पर ज़रा भी भरोसा नहीं था वो आज एक ऐसा भारत बनाना चाहते हैं जो उस भारत से बिल्कुल अलग है जो हमें 15 अगस्त 1947 को मिला."
सोनिया गांधी ने हाल में लोगों पर भीड़ के हमलों का ज़िक्र करते हुये सरकार पर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई न करने के लिए निशाना साधा और कहा, "आज भारत का विचार असहिष्णुता की वजह से खतरे में पड़ गया है. आज कुछ ताकतें लोगों को बताती हैं कि कि वह क्या नहीं खा सकते, वह क्यों हंस या बोल नहीं सकते और क्या नहीं सोच सकते. स्वयंभू संस्कृति की वजह से ये हिंसा बढ़ रही है और इसे उनका समर्थन है जिन पर कानून लागू करने की ज़िम्मेदारी है. ये हमारी चेतना पर हर रोज होने वाला हमला है आज भारत एक चौराहे पर खड़ा है जहां तानाशाही और पक्षपात का बोलबाला है. हम आज जिस विचार तो समर्थन देंगे कल वही हमारे देश की पहचान बनेगा."
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