योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
आम आदमी पार्टी के संस्थापक और पूर्व नेता प्रशांत भूषण गुरुवार को रालेगण सिद्धि जाकर लोकपाल आंदोलन के सबसे बड़े चेहरे अण्णा हजारे से मिलेंगे और अण्णा को यह समझाएंगे कि कैसे दिल्ली की केजरीवाल सरकार का जनलोकपाल बिल वह जनलोकपाल नहीं है जिसके लिए अण्णा ने रामलीला मैदान में आंदोलन किया था।
अण्णा ने कहा था, कुछ कमी रह गई
असल में प्रशांत भूषण केजरीवाल सरकार के जनलोकपाल को 'महाजोकपाल' बता रहे थे लेकिन मंगलवार को आप नेता कुमार विश्वास और संजय सिंह से मिलने के बाद अण्णा हजारे ने बिल के बारे कहा कि "कुछ कमी रह गई और मैंने कुछ सुझाव इस बिल के बारे में दिए हैं।''
दिल्ली सरकार ने मान लिए सुझाव
अण्णा हजारे ने लोकपाल की नियुक्ति और हटाने की प्रक्रिया को लेकर जो सुझाव दिल्ली सरकार को दिए उसको सीएम केजरीवाल ने तुरंत मान लिया और ट्वीट कर कहा कि " अण्णा जी आपके आशीर्वाद और सपोर्ट के लिए शुक्रिया, आपके सुझाव ज़रूर लागू करेंगे।" ...और यहीं से सारा खेल बदल गया क्योंकि लोकपाल आंदोलन में अण्णा से बड़ा कोई नाम नहीं और उनकी मुहर दिल्ली सरकार ने लगवाकर प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव की आपत्ति को निष्क्रिय करने की कोशिश की। इस भाव के साथ कि 'अण्णा के सुझाव मान लिए हैं तो अब जब अण्णा को बिल में आपत्ति नहीं तो बाकी किसी की आपत्ति का कोई मतलब नहीं।'
आज विधानसभा में भी बिल पर चर्चा
वैसे भी लोकपाल की नियुक्ति और हटाने की प्रक्रिया ही सबसे बड़े मुद्दे थे जिस पर सबसे ज्यादा विरोध था लेकिन इन पॉइंट्स पर तो संशोधन सरकार ला ही रही है। ऐसे में कैसे यह बिल अब भी 'रामलीला मैदान के आंदोलन वाले लोकपाल बिल से अलग है?' यह प्रशांत भूषण अण्णा को समझाने की कोशिश करेंगे। अण्णा का समर्थन मिला तो प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव के अभियान को मजबूती मिलेगी, लेकिन अगर अण्णा ने प्रशांत भूषण की बात नहीं मानी तो उसके बाद इनका यह अभियान शायद ही बहुत आगे तक जा पाए। आपको बता दें कि दिल्ली विधानसभा में गुरुवार को ही जनलोकपाल बिल चर्चा के लिए आने वाला है।
अण्णा ने कहा था, कुछ कमी रह गई
असल में प्रशांत भूषण केजरीवाल सरकार के जनलोकपाल को 'महाजोकपाल' बता रहे थे लेकिन मंगलवार को आप नेता कुमार विश्वास और संजय सिंह से मिलने के बाद अण्णा हजारे ने बिल के बारे कहा कि "कुछ कमी रह गई और मैंने कुछ सुझाव इस बिल के बारे में दिए हैं।''
दिल्ली सरकार ने मान लिए सुझाव
अण्णा हजारे ने लोकपाल की नियुक्ति और हटाने की प्रक्रिया को लेकर जो सुझाव दिल्ली सरकार को दिए उसको सीएम केजरीवाल ने तुरंत मान लिया और ट्वीट कर कहा कि " अण्णा जी आपके आशीर्वाद और सपोर्ट के लिए शुक्रिया, आपके सुझाव ज़रूर लागू करेंगे।" ...और यहीं से सारा खेल बदल गया क्योंकि लोकपाल आंदोलन में अण्णा से बड़ा कोई नाम नहीं और उनकी मुहर दिल्ली सरकार ने लगवाकर प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव की आपत्ति को निष्क्रिय करने की कोशिश की। इस भाव के साथ कि 'अण्णा के सुझाव मान लिए हैं तो अब जब अण्णा को बिल में आपत्ति नहीं तो बाकी किसी की आपत्ति का कोई मतलब नहीं।'
आज विधानसभा में भी बिल पर चर्चा
वैसे भी लोकपाल की नियुक्ति और हटाने की प्रक्रिया ही सबसे बड़े मुद्दे थे जिस पर सबसे ज्यादा विरोध था लेकिन इन पॉइंट्स पर तो संशोधन सरकार ला ही रही है। ऐसे में कैसे यह बिल अब भी 'रामलीला मैदान के आंदोलन वाले लोकपाल बिल से अलग है?' यह प्रशांत भूषण अण्णा को समझाने की कोशिश करेंगे। अण्णा का समर्थन मिला तो प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव के अभियान को मजबूती मिलेगी, लेकिन अगर अण्णा ने प्रशांत भूषण की बात नहीं मानी तो उसके बाद इनका यह अभियान शायद ही बहुत आगे तक जा पाए। आपको बता दें कि दिल्ली विधानसभा में गुरुवार को ही जनलोकपाल बिल चर्चा के लिए आने वाला है।
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