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This Article is From Jul 24, 2012

कमजोर मॉनसून से डरने लगी हैं सरकारें

कमजोर मॉनसून से डरने लगी हैं सरकारें
नई दिल्ली: कमज़ोर मौनसून का डर सरकार को सताने लगा है। कृषि मंत्रालय के सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया है कि 23 जुलाई तक बारिश कम होने की वजह से पिछले साल के मुकाबले इस साल चावल की बुआई 17 लाख हेक्टेयर कम क्षेत्र में हुई है। चावल की बुआई अगर कम हो रही है तो पैदावार भी कम होगी। यही चिंता दाल की पैदावार को लेकर भी है। दाल की बुआई 11 लाख 60 हज़ार हेक्टेयर कम हुई है। केन्द्रीय खाद्य मंत्री केवी थॉमस मानते हैं कि ख़राब मॉनसून का असर दाल की फ़सल पर पड़ रहा है।

बुआई कम होगी तो दाल−चावल कम पैदा होगा, ज़ाहिर है ऐसा हुआ तो कीमतें भी बढ़ेंगी। प्रधानमंत्री कार्यालय ने हालात से निपटने की तैयारी शुरू कर दी है। जल्दी ही कैबिनेट की आर्थिक मामलों की समिति गरीब परिवारों को दाल की सब्सिडी दुगनी करने पर विचार करेगी। लेकिन इस दौरान यूपीए से रूठे कृषि मंत्री शरद पवार मंगलवार को भी दफ्तर नहीं पहुंचे।

हालांकि एनडीटीवी से बातचीत में कृषि राज्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि हमें उम्मीद है कि इस कठिन मौके पर भी वह हमारे साथ होंगे। जो मुद्दा है वो हल कर लिया जाएगा।

आने वाले दिनों में चुनौती पवार को मनाने के साथ−साथ महंगाई पर खराब मौनसून की वजह से पड़ने वाले असर से निपटने की होगी। ख़राब मॉनसून का असर खाने−पीने की बुनियादी चीज़ों पर साफ दिखने लगा है।

सब्जियां, दाल और चीनी की कीमतें तेज़ी से बढ़ी हैं। आने वाले दिनों में अगर बारिश का यही रंग रहता है खाने पीने की और चीज़ें भी महंगी होंगी।

वहीं दूसरी ओर कमज़ोर मॉनसून की वजह से जलाशयों और नदियों में पानी का स्तर घट रहा है। किसान और राज्य सरकारों की चिंता बढ़ती जा रही है। राज्य सरकारें केन्द्र पर राहत देने का दबाव डाल रही हैं। पंजाब ने 800 करोड़ का राहत पैकेज पैकेज मांगा है। उसे सिंचाई के लिए 1000 मेगावाट और बिजली भी चाहिए। हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकारों ने भी केन्द्र सरकार से प्रभावित इलाकों में खेती करने वाले किसानों को सिंचाई के लिए ज़्यादा बिजली मुहैया कराने की मांग की है।

फिलहाल केंद्र सरकार ने इन तीनों राज्यों को 3300 मेगावाट बिजली देने का फैसला किया है। लेकिन अंतरिम राहत पैकेज की मांग पर विचार करने के लिए फिलहाल कृषि मंत्रालय तैयार नहीं है।

कृषि मंत्रालय के सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया है कि मौजूदा परिस्थिति में किसी भी राज्य को अंतरिम राहत पैकेज देने पर विचार नहीं हो सकता। इस बारे में नियमों के आधार पर फ़ैसला होगा। पहले प्रभावित राज्य सूखे का एलान कर उसे नोटिफाई करें। फिर केन्द्र सरकार इन इलाकों में अपनी टीम भेजेगी और समीक्षा की रिपोर्ट के बाद ही फ़ैसला संभव होगा। ये महत्वपूर्ण है कि किसी भी राज्य ने अभी तक औपचारिक तौर पर सूखे का एलान नहीं किया है।

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