प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘ऑपरेशन सिंदूर' के बाद पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ भारत के मजबूत रुख से अवगत कराने के लिए विश्व की राजधानियों की यात्रा पर गए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों से मंगलवार शाम मुलाकात की. पीएम ने सरकारी आवास 7, लोक कल्याण मार्ग पर इसकी मेज़बानी की. प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने प्रधानमंत्री के साथ विभिन्न देशों में हुई अपनी बैठकों के बारे में अपने अनुभव साझा किए.

सभी दलों के सांसदों, पूर्व सांसदों और प्रतिष्ठित राजनयिकों से मिलकर बने इन प्रतिनिधिमंडलों ने अपने दौरों के दौरान आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख और विश्व शांति के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को उजागर किया.
दुनिया को संदेश देने में सफल रहा भारत- पीएम मोदी
सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों से कहा कि विपक्ष के इतने सारे लोगों का ऐसे प्रतिनिधिमंडलों में जाना भारत की ओर से एक बड़ा संदेश है. भारत यह संदेश देने में सफल रहा है कि हम आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हैं. भारत की कहानी के बारे में बात करने के लिए ऐसे और प्रतिनिधिमंडलों या सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों को दुनियाभर में जाना चाहिए.

केंद्र सरकार पहले ही 50 से अधिक व्यक्तियों वाले सात प्रतिनिधिमंडलों के कार्य की प्रशंसा कर चुकी है, जिनमें अधिकतर वर्तमान सांसद हैं. पूर्व सांसद और पूर्व राजनयिक भी इन प्रतिनिधिमंडलों का हिस्सा थे, जिन्होंने 33 विदेशी राजधानियों और यूरोपीय संघ का दौरा किया.

विदेश मंत्री एस जयशंकर पहले ही प्रतिनिधिमंडलों से मिल चुके हैं और पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ भारत के कड़े रुख को व्यक्त करने में उनके प्रयासों की सराहना कर चुके हैं.

चार प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व सत्तारूढ़ गठबंधन के सांसदों ने किया, जिनमें भाजपा के दो, जद (यू) के एक और शिवसेना के एक सांसद शामिल थे, जबकि तीन का नेतृत्व विपक्षी सांसदों ने किया जिनमें कांग्रेस, द्रमुक और राकांपा (एसपी) के एक-एक सांसद शामिल थे.

भाजपा के रविशंकर प्रसाद और बैजयंत पांडा, कांग्रेस के शशि थरूर, जद (यू) के संजय झा, शिवसेना के श्रीकांत शिंदे, द्रमुक की कनिमोई और राकांपा (एसपी) की सुप्रिया सुले ने दुनिया के विभिन्न हिस्सों में अपने-अपने प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया.

सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में राष्ट्रीय एकता का संदेश देने के लिए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजे थे, जिनमें कांग्रेस सांसद शशि थरूर और एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी जैसे लोग विदेशों में भारत के हितों की पैरवी करने के लिए सत्तारूढ़ गठबंधन के सदस्यों के साथ थे.

प्रतिनिधिमंडलों में प्रमुख पूर्व सांसदों में पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद और सलमान खुर्शीद शामिल थे.
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