
क्लोज कॉम्बैट वेपन की दुनिया में ‘अस्मि' मशीन गन का कोई जवाब नहीं है. डीआरडीओ की मदद से लोकेश मशीन लिमिटेड इस देसी गन को बना रही है. आतंकियों या किसी भी नजदीकी लड़ाई में यह एक कॉम्पैक्ट और भरोसेमंद हथियार साबित हो रहा है. यह 100 फीसदी स्वदेशी है. फिलहाल भारतीय सेना इसका उपयोग कर रही है. कई अर्धसैनिक बल भी इसे अपने स्पेशल ऑपरेशनों में शामिल कर चुके हैं. यह गन पिस्टल की तरह भी चलाई जा सकती है और जरूरत पड़ने पर मशीन गन की तरह भी काम करती है. 70 से 100 मीटर की दूरी तक बैठा दुश्मन इससे नहीं बच सकता.
नॉर्दर्न कमांड ने खरीदी 550 गन
चीन और पाकिस्तान से लोहा लेने के लिए भारतीय सेना के हाथों में आ गई है स्वदेशी मशीन पिस्टल. इस पिस्टल को डेवलप किया है भारतीय सेना के अफसर ने. इस पिस्टल का नाम है अस्मि, जिसका मतलब होता है, मजबूत, गौरव और आत्म-सम्मान। ये पिस्टल देश की सेना का नई गौरव होगी. भारतीय सेना आत्मनिर्भरता की राह पर चल रही है. उसी का नतीजा है ये पिस्टल अस्मि इसे बनाया भी देश के लोगों ने है और इसे बनाएगी भी देश की ही कंपनी. भारतीय सेना की लगातार कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा हथियार देश की कंपनियों से ही खरीदी जाए. इसी कड़ी में 100 फीसदी स्वदेशी मशीन पिस्टल को भारतीय सेना में शामिल कर लिया गया है.
गन की खास बातें
- नजदीकी लड़ाई के लिए बेहतरीन गन
- देश में पहली बार बनी ऐसी गन
- 9x19 मिमी कैलिबर
- फायरिंग रेंज: 100 मीटर
- वजन: 2.3 किलोग्राम
- दिन और रात, दोनों में कारगर
- सेना के नॉर्दर्न कमांड ने खरीदी हैं 550 गन
- एक मिनट में कर सकती है 800 राउंड फायर
- अस्मि का एक वर्जन है ‘अस्मि कॉम्पैक्ट'
- कॉम्पैक्ट वर्जन की रेंज: 70 मीटर
- वजन: 1.9 किलोग्राम
- पूरी तरह से भारत में निर्मित
डीआरडीओ ने भी की मदद
भारतीय सेना में सेवाएं दे रहे कर्नल प्रसाद बनसोड ने डीआरडीओ के साथ मिलकर इस मशीन पिस्टल को डेवलप किया है. हैदराबाद की लोकेश मशीन कंपनी इसका प्रोडक्शन कर रही है. नॉर्दर्न कमॉड में तैनात सैनिकों के लिए 550 अस्मि मशीन पिस्टल की खरीद की गई है और इसकी डिलिवरी भी की जा चुकी है. लोकेश मशीन कंपनी पर अमेरिका ने प्रतिबंध लगा रखा है. रूस को मशीन टूल्स के शिपमेंट और कथित तौर पर मॉस्को के हथियार निर्माण क्षेत्र में मदद करने के लिए अमेरिकी ट्रेजरी विभाग की जांच के दायरे में है लोकेश मशीन.
अस्मि की खासियत की बात करें तो ये मशीन पिस्टल 100 मीटर तक सटीक मार कर सकती है. ये क्लोज क्वाटर बैटल यानी की नजदीक की लड़ाई के लिए एक भरोसेमंद हथियार है. ये काफी काम्पेक्ट है. अस्मि भारत की पहली स्वदेशी 9 एमएम मशीन पिस्टल है. इससे भारतीय सेना में पैदल सैनिकों की यानी इंफ्रेंट्री की फायर पावर बढ़ेगी. यह पिस्टल एक मिनट में 600 गोलियां दाग सकती है.
मददगार साबित होगी गन
आतंकी हमलों के दौरान ये पिस्टल काफी कारगर साबित होंगी. आतंक विरोधी ऑपरेशन के दौरान, इस तरह के हल्के और छोटे मशीन पिस्टल की बहुत जरूरत होती है. इसमें लगने वाली मैगजीन में 33 गोलियां आती है. अस्मि के ऊपर टेलिस्कोप, लेजर बीम, बाइनोक्यूलर आसानी से लगाए जा सकते हैं. इससे ऑपरेशन के दौरान बड़ी मदद मिलती है. खास बात ये है कि इस मशीन पिस्टल के लोडिंग स्विच दोनों तरफ है यानी लेफ्ट हैंडर हो या राइट हैंडर इस पिस्टल को चलाना दोनों के लिए आसान है. पिस्टल की बट को फोल्ड किया जा सकता है जिससे इसका साइज छोटा हो जाता है और इसे आसानी से छिपाकर भी ले जाया जा सकता है.
इसे एक पिस्टल के तौर पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है और सामान्य राइफल की तरह भी. इसे कंधे पर टिकाकर भी फायर किया जा सकता है. अर्बन एरिया में आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए ये एक बेस्ट वेपन है. इसे बनाने में चार महीने का समय लगा है और इसके दो वैरिएंट्स हैं. 9 एमएम की मशीन पिस्टल का वजन सिर्फ 1.80 किलोग्राम है. इसकी लंबाई 14 इंच है. बट खोलने पर यह लंबाई बढ़कर 24 इंच हो जाती है. इस पिस्टल को एल्यूमिनियम और कार्बन फाइबर से बनाया गया है. इसकी मैगजीन की खासियत ये है कि स्टील लाइनिंग होने की वजह से गोलियां इनमें फंसेंगी नहीं.
अस्मि की सफलता, आत्मनिर्भर होते भारत की बानगी है. ये न सिर्फ देश की मजबूत होती डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की झलक पेश करता है, बल्कि हमारे तकनीकी कौशल को भी दिखाता है. जिसका फायदा भारतीय सेना को होगा और अब हम और मजबूती से देश के दुश्मनों को मुहंतोड़ जवाब दे पाएंगें.
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