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This Article is From Aug 15, 2017

लाल किले से पीएम नरेंद्र मोदी ने की तीन तलाक के खिलाफ महिलाओं की सराहना

पीएम ने कहा, मैं उन महिलाओं के प्रति अपना सम्मान व्यक्त करता हूं जिन्हें तीन तलाक के कारण दुखद जीवन जीना पड़ रहा है.

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लाल किले से पीएम नरेंद्र मोदी ने की तीन तलाक के खिलाफ महिलाओं की सराहना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
नई दिल्ली: तीन तलाक पर मुस्लिम समाज की महिलाओं द्वारा अपने हक के लिए उठाए गए कदम पर आज लाल किले से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके इस कदम की प्रशंसा की है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन तलाक की प्रथा के खिलाफ महिलाओं की लड़ाई की सराहना करते हुए कहा कि पूरा देश उन्हें यह अधिकार दिलाने के इस प्रयास में उनके साथ है. पीएम मोदी ने लालकिले की प्राचीर से अपने संबोधन में कहा, ‘मैं उन महिलाओं के प्रति अपना सम्मान व्यक्त करता हूं जिन्हें तीन तलाक के कारण दुखद जीवन जीना पड़ रहा है. उन महिलाओं ने  इसके खिलाफ एक आंदोलन चलाया जिसने इस प्रथा के खिलाफ पूरे देश में एक माहौल तैयार कर दिया.’ प्रधानमंत्री ने कहा कि उनके अधिकार दिलाने के लिए पूरा देश इन प्रयासों में उनके साथ है.

पीएम मोदी ने लालकिले की प्राचीर से अपने संबोधन में कहा, ‘मैं उन महिलाओं के प्रति अपना सम्मान व्यक्त करता हूं जिन्हें तीन तलाक के कारण दुखद जीवन जीना पड़ रहा है उन महिलाओं ने  इसके खिलाफ एक आंदोलन चलाया जिसने इस प्रथा के खिलाफ पूरे देश में एक माहौल तैयार कर दिया.’

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प्रधानमंत्री ने कहा कि उनके अधिकार दिलाने के लिए पूरा देश इन प्रयासों में उनके साथ है.

जानिए आंखिर कहां तक पहुंचा सुप्रीम कोर्ट में तीन- तलाक का मामला ​
सुप्रीम कोर्ट ने मुसलमानों में प्रचलित 'तीन तलाक', 'निकाह हलाला' और बहु विवाह जैसी प्रथाओं की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली एक नई याचिका पर सुनवाई से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि यह मुद्दा पहले से ही विचाराधीन है. अदालत ने हालांकि कहा कि लंबित याचिका में आने वाला फैसला इस नई याचिका पर भी लागू होगा. प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा, ''हमारा मानना है कि इस याचिका में उठाए गए मुद्दे पहले ही इस अदालत के विचाराधीन हैं. ऐसे में समान मुद्दे एक अन्य याचिका पर सुनवाई करना आवश्यक नहीं है.''

गुरुदास मित्रा द्वारा दायर याचिका का निस्तारण करते हुए पीठ ने कहा, ''यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि लंबित याचिकाओं में आने वाला फैसला मौजूदा याचिका पर भी लागू होगा.'' वरिष्ठ वकील सौम्य चक्रवर्ती ने कहा कि तलाक के तीनों रूप (अहसान तलाक, हसन तलाक और तलाक-उल-बिद्दत) मनमाना, मनमौजी और मुस्लिम महिलाओं के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने वाले हैं.

उन्होंने कहा, ''निकाह हलाला, बहु विवाह के साथ ही तलाक के तीनों रूप मुस्लिम महिलाओं के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है जो संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 के तहत उन्हें दिए गए हैं.''
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पांच न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ ने छह दिन की लगातार सुनवाई के बाद तीन तलाक की प्रथा की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 18 मई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. केंद्र, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, ऑल इंडिया मुस्लिम वुमेन पर्सनल लॉ बोर्ड और अन्य समेत सभी पक्षकारों ने अदालत के समक्ष इस प्रथा के पक्ष और विरोध में अपनी दलीलें रखी थीं.

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