पीडीपी फिलहाल मोदी सरकार में शामिल नहीं होगी। सूत्रों के मुताबिक बीजेपी और पीडीपी में हुए समझौते के मुताबिक पीडीपी मोदी सरकार में शामिल होने से पहले करीब एक साल तक गठबंधन सरकार के कामकाज को देखेगी। ये अटकलें लग रही हैं कि जब भी मोदी मंत्रिमंडल का विस्तार होगा शिवसेना के साथ पीडीपी के दो मंत्री बनाए जा सकते हैं।
मगर सूत्रों ने साफ किया है कि कम से कम एक साल तक पीडीपी मोदी सरकार में शामिल नहीं होगी, क्योंकि समझौते के मुताबिक पहले राज्य में दोनों पार्टियां साथ काम करना चाहती हैं।
उधर, बीजेपी पीडीपी गठबंधन में अहम भूमिका निभाने वाले बीजेपी महासचिव राम माधव का कहना है कि अगर राजनीतिक समझौता होता तो अभी तक पीडीपी मोदी सरकार का हिस्सा बन जाती। उन्होंने कहा कि पीडीपी से हमारा गठबंधन राजनीतिक नहीं है। अगर होता तो अभी तक पीडीपी एनडीए का हिस्सा बन जाती। कल या एक साल बाद क्या होगा ये मैं नहीं जानता, मगर पीडीपी से हमारा गठबंधन शासन के लिए है।
पीडीपी से गठबंधन को लेकर राम माधव ने बेंगलुरू में हुई बीजेपी कार्यकारिणी की बैठक में शनिवार को विस्तार से बातें रखी हैं। दरअसल, मुफ्ती मोहम्मद सईद के बयानों और मसर्रत आलम की रिहाई से बीजेपी और संघ परिवार के एक हिस्से में इस गठबंधन को लेकर बहुत नाराजगी रही है। लेकिन माधव ने बताया कि दोनों पार्टियां का साथ आना क्यों जरूरी था। उन्होंने ये भी साफ किया कि बीजेपी देश के हितों से कोई समझौता नहीं होने देगी।
रविवार को जम्मू-कश्मीर पर आयोजित एक सेमिनार में राम माधव ने कहा कि “मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि जब तक बीजेपी इस सरकार का हिस्सा है राष्ट्रहितों के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाने दिया जाएगा।”
राम माधव ने कार्यकारिणी को ये भी बताया कि धारा 370, अफस्पा और हुर्रियत से बातचीत जैसे मुद्दों पर बीजेपी अपने पुराने रुख पर ही कायम है। उन्होंने कहा कि बीजेपी शुरू से ही धारा 370 को खत्म करने पक्ष में रही है। जबकि पीडीपी चाहती है कि ये बनी रहे और साथ ही वो राज्य के लिए अधिक स्वायत्तता की वकालत भी करती है। इन मुद्दों पर दोनों की ही राय अलग-अलग है। लेकिन ये मुद्दा राज्य सरकार को नहीं बल्कि केंद्र सरकार को तय करना है। हमने मौजूदा स्थिति बनाए रखने का निर्णय किया।
इसी तरह सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (अफस्पा) को लेकर भी दोनों की राय अलग है। हमें लगता है कि ये लोगों की सुरक्षा के लिए जरूरी है। दोनों पार्टियों में अपने रुख पर समझौता किए बगैर ये सहमति बनी कि इसे कुछ क्षेत्रों से हटाया नहीं जाएगा बल्कि इसकी समीक्षा की जाएगी। इस बारे में अंतिम निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को करना है इसलिए चिंता की कोई बात नहीं है।
माधव ने ये भी कहा कि हुर्रियत से बातचीत के बारे में न्यूनतम साझा कार्यक्रम में ये कहा गया कि सभी आंतरिक हिस्सेदारों से बातचीत की जाएगी। भारत सरकार सभी आंतरिक हिस्सेदारों से बात करती रही है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी हुर्रियत से बातचीत की थी और तत्कालीन गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी बातचीत के लिए श्रीनगर गए थे।
उन्होंने कहा कि कई मुद्दों पर अलग-अलग राय के बावजूद सरकार में काम न्यूनतम साझा कार्यक्रम के हिसाब से ही होगा। राम माधव ने कहा कि जम्मू-कश्मीर की सरकार कोई अलग सरकार नहीं है बल्कि भारत के किसी अन्य राज्य की सरकार जैसी ही है। उनके मुताबिक जम्मू-कश्मीर सरकार को पाकिस्तान या अंतरराष्ट्रीय संदर्भ से देखने की वजह से ही दिक्कतें पैदा होती हैं और अलगाववादी ताकतों को बढ़ावा मिलता है।
वित्तमंत्री अरुण जेटली के मुताबिक पार्टी कार्यकारिणी के तमाम नेता राम माधव के प्रजेंटेशन से संतुष्ट हुए हैं। हालांकि ये तय है कि इस गठबंधन पर सबकी नजरें लगी रहेंगी और कोई छोटी सी चूक भी टकराव की वजह बन सकती है।
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