विज्ञापन

जिंदगी में अब पासपोर्ट के अलावा कुछ नहीं बचा... वायनाड भूस्खलन से जुड़ी दर्द भरी कहानियां पढ़कर सिहर जाएंगे

केरल की अब तक की सबसे भीषण प्राकृतिक आपदा के चौथे दिन भी बचाव अभियान जारी रहा. विभिन्न बलों के अलावा स्थानीय लोगों से ली गई एक हजार से अधिक सदस्यीय बचाव टीम को नौ समूहों में बांटा गया है, जो लोगों की मदद करने और लापता लोगों की तलाश के लिए प्रयास कर रही है.

जिंदगी में अब पासपोर्ट के अलावा कुछ नहीं बचा... वायनाड भूस्खलन से जुड़ी दर्द भरी कहानियां पढ़कर सिहर जाएंगे
इस हादसे में अब तक 300 लोगों की मौत हो चुकी है.
वायनाड:

दक्षिण भारत के राज्य केरल के वायनाड में हुए भूस्खलन की घटना ने सभी को हिलाकर रख दिया है. इस हादसे में अब तक 300 लोगों की मौत हो चुकी है. जबकि 300 से ज्यादा लोग अभी भी लापता बताए जा रहे है. इस हादसे में कई लोगों ने अपना परिवार खो दिया है. वायनाड में पहुंचे एनडीटीवी रिपोर्टर रौनक कुकड़े  ने पीड़ितों से बात की जिन्होंने अपनी आपबीती सुनाई... 38 वर्षीय नोफ़ेल कलाटीगल की जिंदगी में अब पासपोर्ट के अलावा और कुछ नहीं बचा है. नोफेल ओमान के एक होटल में काम करते हैं और उनका परिवार वायनाड में रहता था. लेकिन भूस्खलन ने नोफ़ेल का पूरा परिवार उनसे छीन लिया. नोफेल की मां, बाप, बहन, पत्नी,बच्ची समित परिवार के लगभग 10 लोग दर्दनाक हादसे की चपेट में आ गए. 10 में से केवल 6 लोगों के शव मिल पाए है. जबकि बाकी 4 लोगों की तलाश में अब भी नोफेल राहतकर्मियों के साथ यहां वहां भटक रहे है.

नासिर की कहानी

नोफ़ेल की तरह कुवैत में काम करने वाले नासिर 25 दिन पहले ही मुण्डकई गांव अपने परिवार के पास पहुंचे थे. नासिर को ये समझ नहीं आ रहा है कि वे अपनी और अपने बीवी बच्चे की जान बचने पर खुश हों या फिर परिवार के बाकी सभी सदस्यों की मौत का मातम मनाएं. इस हादसे में नासिर की मां, बहन और भाई का पूरा परिवार हादसे का शिकार हो गया. नासिर बताते है कि भूस्खलन वाली रात को इतनी तेज बारिश हो रही थी कि वे सो नहीं पाए. रात को इतनी तेज आवाज आई मानो कोई प्लेन क्रैश हुआ हो. जैसे ही खिड़की के बाहर देखा तो पत्थर और पेड़ पानी के साथ नीचे आ रहे थे. इससे पहले कि वे भी मलबे में दफन होते, अपनी पत्नी और बच्ची को लेकर वे ऊंचाई पर बने चर्च में पहुंच गए और उनकी जान बच गई.

रवी कुमार की कहानी

मेपाड़ी में बने रिलीफ़ कैम्प में कई दर्दनाक कहानियां सुनने मिल रहीं हैं. यहां हमारे संवाददाता रौनक कुकड़े की मुलाकात बिहार के रहने वाले रवी कुमार से हुई. जो अपने भाई रणजीत कुमार और साधु पासवान को खोज रहे है. लेकिन अब तक उनका कोई अता पता नहीं है. रणजीत कुमार और साधु पासवान मुंडकई में चाय की फैक्ट्री में काम किया करते थे.

Latest and Breaking News on NDTV

मुण्डकई में रिसोर्ट चलाने वाले अब्दुल अजीज बताते है कि स्थानीय पंचायत ने हफ़्ते भर पहले ही टूरिस्ट बुकिंग बंद करने को कहा था. हादसे की रात बहुत तेज बारिश हो रही थी. इसलिए कई लोगों को रात में रिसोर्ट में रहने को जगह दी. हादसे के बाद कई स्वयंसेवी संस्था भी मदद के लिए आगे आ रही है. उन्हीं में से मलापुरम एक ग्रुप है जो रिलीफ कैम्प में मुफ्त में मोबाइल और सीम कार्ड प्रभावित लोगो को मुहैया करा रहा है.

Video : 9 11 Terror Attack Accused: 9/11 के आतंकी हमले के मास्टरमाइंड सहित 3 आरोपी करेंगे गुनाह कबूल

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Previous Article
PM मोदी जन्मदिन विशेष: जब नरेंद्र मोदी ने मां से नजदीकियों और अपने बचपन को याद कर सबको कर दिया था भावुक
जिंदगी में अब पासपोर्ट के अलावा कुछ नहीं बचा... वायनाड भूस्खलन से जुड़ी दर्द भरी कहानियां पढ़कर सिहर जाएंगे
"तरंग शक्ति" मित्र देशों के बीच सहयोग और आपसी विश्वास बनाने का एक माध्यम : राजनाथ सिंह
Next Article
"तरंग शक्ति" मित्र देशों के बीच सहयोग और आपसी विश्वास बनाने का एक माध्यम : राजनाथ सिंह
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com