जम्मू-कश्मीर के कठुआ में हुए आतंकी हमले में 5 जवान शहीद हो गए, जिनके घर मातम का माहौल है. किसी ने अपना बेटा खो दिया किसी ने भाई, तो किसी ने पति. परिवार के लोगों को यकीन ही नहीं हो रहा कि अब वे अपने बेटे, भाई, पति से फिर कभी नहीं मिल पाएंगे. शहीद परिवारों के दर्द को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता. कठुआ जिला मुख्यालय से लगभग 150 किलोमीटर दूर लोहाई मल्हार के बदनोटा गांव के पास ऊबड़-खाबड़ मछेड़ी-किंडली-मल्हार पहाड़ी मार्ग पर गश्त कर रहे सैनिकों के एक दल पर भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों के एक समूह ने घात लगाकर हमला कर दिया, जिसमें एक जूनियर कमीशंड अधिकारी सहित पांच सैन्यकर्मी मारे गए और पांच अन्य घायल हो गए. शहीद होने वाले जवानों में सूबेदार आनंद सिंह, हवलदार कमल सिंह, राइफलमैन अनुज नेगी, राइफलमैन आदर्श नेगी, नायक विनोद सिंह का नाम शामिल है.
हवलदार कमल सिंह : आतंकी हमले से कुछ देर पहले किया था वीडियो कॉल
हवलदार कमल सिंह ने सोमवार दोपहर को अपनी पत्नी रजनी देवी से वीडियो कॉल पर बात की थी. रजनी देवी ने शायद ही उस समय सोचा होगा कि ये पति से उनकी आखिरी बार बात हो रही है. इसके कुछ समय बाद ही उस ट्रक पर आतंकियों ने हमला कर दिया, जिसमें हवलदार कमल सिंह अपने साथियों के साथ सवार थे. इस आतंकी हमले में हवलदार कमल सिंह शहीद हो गए. हवलदार कमल सिंह अपने माता-पिता की इकलौती संतान थे. वह अपने पीछे पत्नी, दो बेटियों, मां और दादी को छोड़ गए हैं. दादी को यकीन ही नहीं हो रहा कि अब उनका पोता इस दुनिया में नहीं रहा. वह बेसुध घर की देहरी पर बैठी हैं और कमल के आने का इंतजार कर रही हैं. पूरा परिवार का कुछ यही हाल है. हवलदार कमल सिंह पौड़ी जिले में रिखणीखाल विकासखंड के ग्राम पापड़ी (नौदानू) के रहने वाले थे, जहां आज मातम पसरा हुआ है. रिश्तेदार और गांव के लोग सांत्वना देने पहुंच रहे हैं. हवलदार कमल सिंह साल 2007 में सेना में भर्ती हुए थे. इस समय वह 22वीं गढ़वाल राइफल में थे.
नायब सूबेदार आनंद सिंह रावत : गांववालों को सुनाते थे मुठभेड़ के किस्से
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में भरदार क्षेत्र के कांडा गांव में आज गम का माहौल है. जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमले में नायब सूबेदार आनंद सिंह रावत भी शहीद हो गए. आनंद सिंह रावत का पूरे गांव से बेहद लगाव था, इसलिए पूरा गांव उसके छुट्टी में घर आने की राह देखता था. लेकिन आज उनका शव गांव में पहुंच रहा है. गांव के लोग बताते हैं कि आनंद सिंह रावत के सभी से पारिवारिक संबंध थे. वह जब भी गांव आते, तो जम्मू-कश्मीर के किस्से सभी को सुनाया करते थे. आतंकियों से होने वाली मुठभेड़ के भी वाक्या बताया करते थे. बचपन से ही आनंद सिंह रावत सेना में जाने का ख्वाब देखते थे. इसलिए इंटर पास करने के बाद ही सेना में भर्ती हो गए थे. साल 2001 में आनंद सिंह रावत 22 गढ़वाल साइफल में भर्ती हुए थे. आज उनके शहीद होने पर पूरे गांव में मातम पसरा हुआ है. 41 वर्षीय बलिदानी आनंद सिंह रावत की पत्नी और दो बेटे अभी देहरादून में रह रहे हैं.
राइफलमैन अनुज नेगी : पिछले साल हुई शादी, पत्नी हैं प्रेग्नेंट
अनुज नेगी की पिछले साल ही शादी हुई थी, उनकी पत्नी प्रेग्नेंट हैं. अनुज नेगी के शहीद होने की जब खबर आई, तो परिवार सन्न रह गया. किसी को यकीन नहीं हो रहा कि जून महीने छुट्टी पर आए अनुज नेगी दोबारा लौटकर अब कभी नहीं आएंगे. पौड़ी में राइफलमैन अनुज नेगी की मौत की खबर मिलते ही उनकी मां और पत्नी बेहोश हो गईं। तीन पहले अनुज नेगी ने जब घर पर फोन किया, तो मां से कहा था- मां बारिश में भीगना मत, खेतों में न जाना. उन्हें मां और परिवार की बेहद चिंता रहती थी. अनुज के पिता भारत सिंह वन विभाग में काम करते हैं और मां गृहणी हैं. अनुज नेगी 2018 में सेना में भर्ती हुए थे. वह भी गढ़वाल राइफल से ही थे, जिनकी तैनाती जम्मू-कश्मीर के कठुआ में थी.
आदर्श नेगी : 3 दिन पहले किया था फोन, भीगना मत...
राइफलमैन आदर्श नेगी ने रविवार को अपने पिता से फोन पर बात की थी. अगले दिन दलबीर सिंह नेगी को फिर से फोन आया, लेकिन इस बार उनका बेटा लाइन पर नहीं था, एक सूचना थी कि उनका बेटा जम्मू-कश्मीर के कठुआ में आतंकवादी हमले में शहीद हो गया है. दो महीने पहले आदर्श के चचेरे भाई भी शहीद हुए थे. सोमवार शाम को आए इस फोन कॉल ने उत्तराखंड के टिहरी जिले के थाती डागर गांव में रहने वाले परिवार को सदमे में डाल दिया. किसान के बेटे आदर्श नेगी (25) तीन भाई-बहनों में सबसे छोटे थे. सेना के जरिए देश की सेवा करने का सपना पूरा करने के लिए उन्होंने कॉलेज की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी थी. आदर्श नेगी सोमवार को जम्मू-कश्मीर के कठुआ में सेना के काफिले पर हुए आतंकवादी हमले में शहीद हुए उत्तराखंड के पांच जवानों में से एक थे.
नायक विनोद सिंह : तीन महीने पहले हुई है बेटी
अठुरवाला निवासी विनोद भंडारी के घर तीन महीने पहले ही दूसरी संतान हुई. उनके घर बेटी का जन्म हुआ, तो खुशियों का माहौल था. लेकिन शहीद होने की खबर मिली, तो कोहराम मच गया. उनके माता-पिता, दादी, तीन बहनों और अन्य परिजनों का रो रोकर बुरा हाल हो रहा है. शहीद विनोद तीन बहनों के अकेले भाई थे, उनका एक चार साल का बेटा और एक तीन माह की बेटी है. बेटी के जन्म पर वो घर पर ही थे. करीब दो माह पहले ही वो वापस गए थे. विनोद सिंह मूल रूप से जाखणीधार, टिहरी के थे.
(इनपुट भाषा के साथ...)
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