
Operation Mahadev: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के कई हफ्ते बाद आखिरकार उस आतंकी को ठिकाने लगा दिया गया है, जिसने इस घटना को अंजाम दिया था. ऑपरेशन महादेव के तहत सुरक्षाबलों ने हाशिम मूसा समेत तीन आतंकियों को मार गिराया. पहलगाम में 26 निर्दोष लोगों की हत्या के बाद से ही सेना का ऑपरेशन महादेव शुरू हो गया था, जिसके तहत आतंकियों का सफाया किया जा रहा है. आइए जानते हैं कि सेना के ऐसे ऑपरेशन का नाम कैसे रखा जाता है और इसके पीछे का मकसद क्या होता है.
हर ऑपरेशन का होता है कोडनेम
भारत ही नहीं दुनिया के तमाम देश अपने ऑपरेशन को एक कोडनेम देते हैं. जब भी सेना अधिकारी बातचीत करते हैं तो इस कोड का इस्तेमाल किया जाता है. ठीक इसी तरह भारतीय सेना ने पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को तबाह करने के ऑपरेशन का नाम भी दिया था, इसे ऑपरेशन सिंदूर नाम दिया गया था. अब फिलहाल ऑपरेशन महादेव की चर्चा हो रही है, ऐसे में आपको बताते हैं कि ये अलग-अलग नाम कैसे और क्यों रखे जाते हैं.
कैसे रखे जाते हैं ऑपरेशन के नाम?
सैन्य ऑपरेशन का नाम उस टेबल पर तय किया जाता है, जहां प्रधानमंत्री से लेकर गृहमंत्री और सेना के तमाम बड़े अधिकारी शामिल होते हैं. अगर ऑपरेशन काफी बड़ा और गोपनीय है तो इसमें चुनिंदा टॉप लेवल के लोग ही शामिल होते हैं. नाम रखने के पीछे रणनीति, मिशन की गोपनीयता और मनोवैज्ञानिक असर होता है. आमतौर पर जिस मकसद से जुड़ा काम है, उसी तरह का नाम रखा जाता है. इससे ऑपरेशन का उद्देश्य दर्शाया जाता है और एरिया को लेकर भी ये नाम हो सकता है.
क्यों रखा जाता है नाम?
अब ये जानते हैं कि सैन्य ऑपरेशन का नाम रखा क्यों जाता है. दरअसल इसके पीछे सबसे बड़ी वजह सेना का मनोबल बढ़ाना और ऑपरेशन को यादगार बनाना होता है. ऑपरेशन का नाम दुश्मन के लिए भी एक बड़ा मैसेज होता है. जैसे पहलगाम में जिन महिलाओं का सिंदूर उजाड़ा गया, उनका बदला लेने वाले ऑपरेशन का नाम भी सिंदूर पर ही रखा गया. ये नाम एक तरह के इमेज बिल्डिंग टूल की तरह भी इस्तेमाल होता है. बताया जाता है कि ऑपरेशन के नाम का चलन पहले विश्वयुद्ध के दौरान शुरू हुआ था.
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