
- मुंबई के गोरेगांव पश्चिम इलाके में मोतीलाल नगर-I, II और III का पुनर्विकास किया जाना है.
- कॉलोनियों को C&DA मॉडल के जरिए रीडेवलप करने की MHADA की योजना को हाईकोर्ट मंजूर कर चुका है.
- अब सुप्रीम कोर्ट ने भी योजना पर मुहर लगा दी है. इसे विशेष योजना के तहत डेवलप किया जाना है.
मुंबई में मोतीलाल नगर को रीडेवलप करने के महाराष्ट्र हाउसिंग एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (MHADA) की योजना पर सुप्रीम कोर्ट ने अपनी मुहर लगा दी है. ये पुनर्विकास कंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट एजेंसी (C&DA) मॉडल के जरिए किया जाना है.
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने इस सिलसिले में माधवी राणे की अगुआई वाली जन कल्याणकारी समिति, मोतीलाल रहवासी विकास संघ और गौरव राणे की तरफ से दायर विशेष अनुमति याचिका को खारिज कर दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के मार्च 2025 के उस आदेश को बरकरार रखा है, जिसमें मोतीलाल नगर-I, II और III के 143 एकड़ एरिया के C&DA मॉडल के जरिए समग्र पुनर्विकास को मंजूरी दी गई थी. अदालत में MHADA का पक्ष सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया तुषार मेहता ने रखा था.
सॉलिसिटर जनरल ने दलील दी थी कि MHADA के स्वामित्व वाली इस जमीन पर बनने वाले इस प्रोजेक्ट को राज्य सरकार ने विशेष दर्जा दिया है. तीनों कॉलोनियों में हजारों लोग रहते हैं. अगर सभी से सहमति प्राप्त करने की कोशिश की गई तो कई साल लग सकते हैं. ऐसे में परियोजना में और देरी होगी जो कि पहले से ही लेट हो चुकी है.
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के लगभग 230 वर्ग फुट के बदले 1,600 वर्ग फुट बिल्ट अप एरिया देने के फैसले को भी सही ठहराया. यह विकास नियंत्रण एवं संवर्धन विनियम (DCPR) 2034 के नियम 33(5) के मुताबिक, मौजूदा पात्रता से काफी अधिक है.
इससे पहले, 25 जुलाई को बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस आलोक अराधे और जस्टिस भारती डांगरे की बेंच ने मोतीलाल नगर विकास समिति की तरफ से दायर समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया था और मुंबई के गोरेगांव पश्चिम में स्थित मोतीलाल नगर के C&DA के जरिए पुनर्विकास के फैसले को कायम रखा था.
इस महीने की शुरुआत में MHADA ने मोतीलाल नगर पुनर्विकास परियोजना के लिए अदाणी रियल्टी की एक यूनिट एस्टेटव्यू प्राइवेट डेवलपर्स के साथ C&DA समझौता किया था. इसके तहत 143 एकड़ जमीन पर रहने वाले लगभग 3,700 निवासियों को 1600 वर्ग फुट में बनने वाले अल्ट्रा मॉडर्न अपार्टमेंट में बसाया जाएगा. कमर्शल प्रतिष्ठानों के लिए 987 वर्ग फुट जगह रिजर्व रहेगी.
इस प्रोजेक्ट पर MHADA का पूर्ण नियंत्रण रहेगा, जिसमें भूमि का मालिकाना हक भी शामिल है. इतनी बड़ी पुनर्विकास परियोजना को संभालने में अपनी वित्तीय और तकनीकी सीमाओं की वजह से उसने प्राइवेट एजेंसी को इस काम के लिए चुना है. महाराष्ट्र सरकार ने इसे विशेष परियोजना का दर्जा दिया है. इस प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत लगभग 36,000 करोड़ रुपये है. प्रोजेक्ट शुरू होने की तारीख से सात साल के अंदर पुनर्वास पूरा किए जाने का टारगेट है.
इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य अवैध निर्माण खत्म करना और 3372 आवासीय इकाइयों, 328 पात्र वाणिज्यिक इकाइयों और नजदीकी झुग्गी से 1600 पात्र मकानों का पुनर्वास करना है. इससे इलाके में जलभराव, बाढ़ जैसी प्रमुख समस्याओं के अलावा निवासियों के रहन-सहन की स्थिति में भी सुधार होगा.
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