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This Article is From Aug 22, 2016

कश्मीर घाटी के हालात पर दुख जताते हुए पीएम मोदी ने कहा, जिनकी भी जानें गईं वे हमारे अपने थे

कश्मीर घाटी के हालात पर दुख जताते हुए पीएम मोदी ने कहा, जिनकी भी जानें गईं वे हमारे अपने थे
जम्मू-कश्मीर के विपक्षी दलों ने उमर अब्दुल्ला की अगुवाई में पीएम मोदी से मुलाकात की...
नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के विपक्षी दलों के एक संयुक्त शिष्टमंडल ने आज राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और उन्हें जमीनी परिस्थितियों की जानकारी दी. इसके साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री से अपील की कि वे घाटी में व्याप्त अशांति से निपटने के लिए राजनीतिक रुख अपनाएं. अपना दुख व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैठक में कहा कि घाटी में जान गंवाने वाले चाहे वे प्रदर्शनकारी हों या फिर सुरक्षाबल के कर्मी, सभी हममें से एक हैं.

घाटी में पिछले 45 दिन से कर्फ्यू लगा हुआ है.वहां के मौजूदा हालात के मद्देनजर राज्य के सभी विपक्षी दल दलगत सीमाओं से परे जाकर एकजुट हुए हैं और उन्होंने केंद्र से अनुरोध किया है कि वह राज्य में सभी पक्षों के साथ राजनीतिक वार्ता की शुरुआत करें.

उमर के अलावा इस शिष्टमंडल में प्रदेश कांग्रेस का सात सदस्यीय दल और मुख्य विपक्ष नेशनल कांफ्रेंस का आठ सदस्यीय दल शामिल है.यह शिष्टमंडल राष्ट्रीय राजधानी में है और सरकार एवं विपक्ष के नेताओं से मुलाकात कर रहा है.शिष्टमंडल में कांग्रेस दल का नेतृत्व प्रदेश कांग्रेस समिति के प्रमुख जी ए मीर कर रहे हैं.नेशनल कॉन्फ्रेंस के दल में इसके प्रांतीय प्रमुख नसीर वानी और देविंदर राणा भी हैं.इनके अलावा माकपा के विधायक एम वाई तरीगामी भी इस शिष्टमंडल में शामिल हैं.

शिष्टमंडल ने घाटी में लोगों की मौतों पर नाराजगी और दुख प्रकट करते हुए और ‘‘हालात से निपटने में राजनीतिक रुख के अभाव पर निराशा जाहिर करते हुए’’ प्रधानमंत्री को एक ज्ञापन सौंपा.शिष्टमंडल ने प्रधानमंत्री को बताया कि कश्मीर में राजनीतिक समस्या का निपटान राजनीतिक तरीके से करने के बजाय पहले भी आजमाए जा चुके प्रशासनिक तरीकों से करने के कारण स्थिति और अधिक बिगड़ी है और ‘‘इसके कारण असंतोष और मोहभंग की अभूतपूर्व अनुभूति पैदा हुई है’’.यह भावना विशेष तौर पर युवाओं में पनपी है.

ज्ञापन में कहा गया, ‘‘हमारा यह दृढ़ मत है कि केंद्र सरकार को अब और अधिक समय बर्बाद नहीं करना चाहिए और राज्य में व्याप्त अशांति से निपटने के लिए सभी पक्षों के साथ विश्वसनीय और अर्थपूर्ण राजनीतिक संवाद शुरू कर देना चाहिए.’’ शिष्टमंडल ने कहा, ‘‘कश्मीर में व्याप्त अशांति पर गौर करने में लगातार विफल रहने से अलगाव की भावना और अधिक गहरी होगी.’’ इसके साथ ही शिष्टमंडल ने उम्मीद जताई कि प्रधानमंत्री ‘‘ इस नाजुक स्थिति से निपटने के लिए तत्काल उपाय करेंगे.’’

शिष्टमंडल ने घाटी में लगातार जारी विरोध प्रदर्शनों का मुद्दा उठाते हुए कहा कि कई युवा इन विरोध प्रदर्शनों का शिकार बने हैं.इनमें इरफान नाम का एक किशोर भी शामिल है, कल रात जिसकी मौत आंसू गैस का गोला उसकी छाती पर आकर फट जाने के कारण हो गई थी.ज्ञापन पत्र में प्रधानमंत्री से अनुरोध किया गया कि वह ‘पैलेट बंदूकों पर तत्काल प्रतिबंध लगाने की घोषणा करें.मौजूदा अशांति में इन पैलेट बंदूकों के कारण बहुत से लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं और कई युवा लड़के-लड़कियां इसकी चपेट में आकर या तो अपंग हो गए हैं या फिर उनकी आंखों की रोशनी चली गई है.ज्ञापन में कहा गया, हम आपसे यह भी अनुरोध करते हैं कि आप सामूहिक प्रताड़ना, छापेमारी और गिरफ्तारियों की नीति के खिलाफ संबंधित तबकों को सलाह दें क्योंकि इसके कारण राज्य में पहले से बिगड़ी हुई स्थिति और अधिक नाजुक हो गई है.

ये नीतियां हमारे लोकतांत्रिक ताने-बाने के मूल्यों और सिद्धांतों के खिलाफ जाती हैं.इस शिष्टमंडल ने इस राजनीतिक पहल की शुरुआत शनिवार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात करके और उन्हें एक ज्ञापन सौंपकर की.इस ज्ञापन में राष्ट्रपति से अनुरोध किया गया कि वह अपने पद का इस्तेमाल करते हुए केंद्र को राज्य के सभी पक्षकारों के साथ राजनीतिक वार्ता शुरू करने के लिए कहें. राज्य के इस शिष्टमंडल ने कल कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की थी और उन्हें राज्य की स्थिति के बारे में अवगत कराया था.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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