प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
नगर निगम अपनी आर्थिक तंगहाली को दूर करने के लिए अब झुग्गियों तक से प्रापर्टी टैक्स लेने की तैयारी कर रहा है। ओखला में गोलाकुंआ स्लम इलाके में प्रापर्टी के नाम पर पांच फुट की एक छोटी सी दुकान चलाने वाले जगदीश के पास प्रापर्टी टैक्स का नोटिस आ चुका है।
इसी स्लम की संकरी गलियों से होते हुए जब हम अमर सिंह की झुग्गी में पहुंचे हैं, तो वहां भी इसी तरह का एक प्रापर्टी टैक्स का नोटिस थमा दिया गया था। दरअसल, नगर निगम कमर्शियल बिजली के कनेक्शन को आधार बनाकर प्रापर्टी टैक्स भेज रहा है। इन झुग्गियों में जिनके पास चक्की, प्रेस या बिजली की छोटी-मोटी दुकान है, वो सारे लोग प्रापर्टी टैक्स के दायरे में आ गए हैं।
यही नहीं, दिल्ली के करीब 10 हज़ार वकीलों के चैंबरों को भी प्रापर्टी टैक्स की नोटिस भेजी गई है। हालांकि, दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के मेयर सुभाष आर्या कहते हैं कि जब हम तंगहाल चल रहे हैं, तो कहीं से तो हमें आय का स्रोत खोजना पड़ेगा। इसी के चलते हमने कामर्शियल बिजली के बिल को आधार बनाकर प्रापर्टी टैक्स की एडवाइजरी जारी की है।
बड़े बकाएदारों से पैसा वसूलने में सुस्ती क्योंः
लेकिन सवाल ये उठ रहे हैं कि उत्तरी, दक्षिणी और पूर्वी दिल्ली नगर निगम अपनी कंगाली दूर करने के लिए प्रापर्टी टैक्स वसूलने का दायरा तो बढ़ा रहे हैं। लेकिन, स्पोर्टस ऑथोरिटी ऑफ इंडिया से 102 करोड़ रुपए बकाया है। फिरोज शाह कोटला मैदान जहां आईपीएल के चलते करोड़ों की कमाई होती है, इस ग्राउंड पर 2 करोड़ का प्रापर्टी टैक्स बकाया है।
इसी तरह दिल्ली पुलिस, डीडीए, शिक्षा विभाग जैसे सरकारी महकमों के अलावा दिल्ली के कुछ बड़े रईस लोगों के बिल्डिंगों के प्रापर्टी टैक्स बकाया है। लेकिन, इन्हें वसूलने में निगम सुस्ती दिखा रही है। एक आंकड़े के मुताबिक निगमों का करीब 1200 करोड़ से ज्यादा का प्रापर्टी टैक्स बकाया है। उसके बावजूद जगदीश और अमर सिंह जैसे लोगों समेत कुछ मध्यम दर्जे के दुकानदार और वकील जैसे दिल्ली के करीब पांच लाख नए लोगों से प्रापर्टी टैक्स वसूलने की तैयारी में निगम है।
इसी स्लम की संकरी गलियों से होते हुए जब हम अमर सिंह की झुग्गी में पहुंचे हैं, तो वहां भी इसी तरह का एक प्रापर्टी टैक्स का नोटिस थमा दिया गया था। दरअसल, नगर निगम कमर्शियल बिजली के कनेक्शन को आधार बनाकर प्रापर्टी टैक्स भेज रहा है। इन झुग्गियों में जिनके पास चक्की, प्रेस या बिजली की छोटी-मोटी दुकान है, वो सारे लोग प्रापर्टी टैक्स के दायरे में आ गए हैं।
यही नहीं, दिल्ली के करीब 10 हज़ार वकीलों के चैंबरों को भी प्रापर्टी टैक्स की नोटिस भेजी गई है। हालांकि, दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के मेयर सुभाष आर्या कहते हैं कि जब हम तंगहाल चल रहे हैं, तो कहीं से तो हमें आय का स्रोत खोजना पड़ेगा। इसी के चलते हमने कामर्शियल बिजली के बिल को आधार बनाकर प्रापर्टी टैक्स की एडवाइजरी जारी की है।
बड़े बकाएदारों से पैसा वसूलने में सुस्ती क्योंः
लेकिन सवाल ये उठ रहे हैं कि उत्तरी, दक्षिणी और पूर्वी दिल्ली नगर निगम अपनी कंगाली दूर करने के लिए प्रापर्टी टैक्स वसूलने का दायरा तो बढ़ा रहे हैं। लेकिन, स्पोर्टस ऑथोरिटी ऑफ इंडिया से 102 करोड़ रुपए बकाया है। फिरोज शाह कोटला मैदान जहां आईपीएल के चलते करोड़ों की कमाई होती है, इस ग्राउंड पर 2 करोड़ का प्रापर्टी टैक्स बकाया है।
इसी तरह दिल्ली पुलिस, डीडीए, शिक्षा विभाग जैसे सरकारी महकमों के अलावा दिल्ली के कुछ बड़े रईस लोगों के बिल्डिंगों के प्रापर्टी टैक्स बकाया है। लेकिन, इन्हें वसूलने में निगम सुस्ती दिखा रही है। एक आंकड़े के मुताबिक निगमों का करीब 1200 करोड़ से ज्यादा का प्रापर्टी टैक्स बकाया है। उसके बावजूद जगदीश और अमर सिंह जैसे लोगों समेत कुछ मध्यम दर्जे के दुकानदार और वकील जैसे दिल्ली के करीब पांच लाख नए लोगों से प्रापर्टी टैक्स वसूलने की तैयारी में निगम है।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
स्लम, नगर निगम, झुग्गियों पर प्रापर्टी टैक्स, Slum, Property Tax On Slum, Municipal Corporation Of Delhi, Property Tax, दिल्ली नगर निगम, MCD