अनिल अंबानी (फाइल फोटो)
मुंबई:
रिलायंस धीरूभाई अंबानी समूह के प्रमुख अनिल अंबानी ने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) से म्यूचुअल फंडों के लिए निवेश और विज्ञापन नियमों को सरल करने को कहा है. अंबानी ने कहा कि म्यूचुअल फंड में निवेश स्मार्टफोन खरीदने जैसा ही आसान होना चाहिए. अंबानी ने यहां एसोसिएशन आफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) के एक कार्यक्रम में कहा कि देश में प्रत्येक 25 में से एक व्यक्ति ही म्यूचुअल फंड में निवेश करता है. म्यूचुअल फंड के निवेशकों की संख्या को पांच साल में दस गुना कर 60 करोड़ किया जा सकता है.
उन्होंने कहा, ''आज भारतीय म्यूचुअल फंड उद्योग को जनधन अभियान की जरूरत है.'' आंकड़े देते हुए अंबानी ने कहा कि 10 में से 9 भारतीयों के पास मोबाइल कनेक्शन है. 10 में से तीन के पास स्मार्टफोन है. लेकिन 25 में से सिर्फ एक भारतीय ही म्यूचुअल फंड में निवेश करता है.
अनिल अंबानी के समूह की कंपनी रिलायंस कैपिटल देश की सबसे बड़ी म्यूचुअल फंड कंपनियों में से एक का परिचालन करती है. उन्होंने कहा कि यदि वैश्विक परिप्रेक्ष्य में देखें तो ये आंकड़े और हैरान करते हैं. दुनिया में 58 ऐसी संपत्ति प्रबंधन कंपनियां हैं जो भारत के समूचे म्यूचुअल फंड उद्योग से अधिक की संपत्तियों का प्रबंधन करती हैं.
उन्होंने कहा कि भारत का म्यूचुअल फंड उद्योग अभी युवा अवस्था में है. ''वास्तव में मैं कहूंगा कि यह अभी किशोरावस्था से निकला है.'' अंबानी ने इस बात का जिक्र किया कि पूर्ववर्ती यूटीआई ने 1964 में देश का पहला म्यूचुअल फंड शुरू किया था. उन्होंने कहा कि 30 साल तक इस क्षेत्र में कोई निजी क्षेत्र की कंपनी नहीं थी.
अंबानी ने कहा, ''भारतीय पूंजी बाजार के जनक कहे जाने वाले मेरे पिता धीरूभाई अंबानी ने सबसे पहले इस संभावना को पहचाना. रिलायंस में हमने अपने रिश्तेदार श्याम कोठारी के साथ देश का निजी क्षेत्र का पहला म्यूचुअल फंड 1993 में कोठारी पायोनियर म्यूचुअल फंड नाम से शुरू किया. इसके बाद हमने अपनी म्यूचुअल फंड कंपनी 1995 में रिलायंस म्यूचुअल फंड के नाम से शुरू की.''
अंबानी ने कहा कि 1995 में रिलायंस म्यूचुअल फंड के प्रबंधन के तहत परिसंपत्तियां 60 करोड़ रुपये थीं, जो 2002 में 2,200 करोड़ रुपये हो गईं. उसके बाद हमारी संपत्तियों का आधार 100 गुना बढ़ा है और यह 2.25 लाख करोड़ रुपये हो गई हैं. एएमसी के रूप में हम फिलहाल 3.58 लाख करोड़ रुपये की परिसंपत्तियों का प्रबंधन कर रहे हैं.
इसी समय के दौरान भारतीय म्यूचुअल फंड उद्योग के व्यक्तिगत खातों की संख्या 5.7 करोड़ हो गई है और उसके प्रबंधन के तहत परिसंपत्तियां 20 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई हैं. सेबी की सराहना करते हुए अंबानी ने कहा कि उसने विकासशील दुनिया का सबसे दक्ष तरीके से संचालन वाला बाजार तैयार किया है. उन्होंने कहा कि नियामक को नए निवेशकों के लिए प्रक्रियाओं को और सरल करना चाहिए.
अंबानी ने अगले 100 दिन के लिए कुछ सुझाव भी दिए. उन्होंने कहा कि म्यूचुअल फंड में निवेश को और सरल किया जाना चाहिए. किसी भी ऐसे व्यक्ति जिसका वैध बैंक खाता है उसे वित्तीय उत्पादों में निवेश की अनुमति दी जानी चाहिए क्योंकि उनका बैंक केवाईसी पहले से मौजूद है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पहुंच बढ़ाने और लेनदेन को तेजी से पूरा करने के लिए प्रौद्योगिकी का बेहतर इस्तेमाल किया जाना चाहिए. उन्होंने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को देश की आर्थिक आजादी बताया. उन्होंने कहा कि इससे 1.3 अरब लोगों की सीमारहित दुनिया बनेगी.
अंबानी ने कहा, ''48 घंटे से कम समय में भारत दुनिया का सबसे बड़ा मुक्त और लोकतांत्रिक बाजार बनने जा रहा है.''
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
उन्होंने कहा, ''आज भारतीय म्यूचुअल फंड उद्योग को जनधन अभियान की जरूरत है.'' आंकड़े देते हुए अंबानी ने कहा कि 10 में से 9 भारतीयों के पास मोबाइल कनेक्शन है. 10 में से तीन के पास स्मार्टफोन है. लेकिन 25 में से सिर्फ एक भारतीय ही म्यूचुअल फंड में निवेश करता है.
अनिल अंबानी के समूह की कंपनी रिलायंस कैपिटल देश की सबसे बड़ी म्यूचुअल फंड कंपनियों में से एक का परिचालन करती है. उन्होंने कहा कि यदि वैश्विक परिप्रेक्ष्य में देखें तो ये आंकड़े और हैरान करते हैं. दुनिया में 58 ऐसी संपत्ति प्रबंधन कंपनियां हैं जो भारत के समूचे म्यूचुअल फंड उद्योग से अधिक की संपत्तियों का प्रबंधन करती हैं.
उन्होंने कहा कि भारत का म्यूचुअल फंड उद्योग अभी युवा अवस्था में है. ''वास्तव में मैं कहूंगा कि यह अभी किशोरावस्था से निकला है.'' अंबानी ने इस बात का जिक्र किया कि पूर्ववर्ती यूटीआई ने 1964 में देश का पहला म्यूचुअल फंड शुरू किया था. उन्होंने कहा कि 30 साल तक इस क्षेत्र में कोई निजी क्षेत्र की कंपनी नहीं थी.
अंबानी ने कहा, ''भारतीय पूंजी बाजार के जनक कहे जाने वाले मेरे पिता धीरूभाई अंबानी ने सबसे पहले इस संभावना को पहचाना. रिलायंस में हमने अपने रिश्तेदार श्याम कोठारी के साथ देश का निजी क्षेत्र का पहला म्यूचुअल फंड 1993 में कोठारी पायोनियर म्यूचुअल फंड नाम से शुरू किया. इसके बाद हमने अपनी म्यूचुअल फंड कंपनी 1995 में रिलायंस म्यूचुअल फंड के नाम से शुरू की.''
अंबानी ने कहा कि 1995 में रिलायंस म्यूचुअल फंड के प्रबंधन के तहत परिसंपत्तियां 60 करोड़ रुपये थीं, जो 2002 में 2,200 करोड़ रुपये हो गईं. उसके बाद हमारी संपत्तियों का आधार 100 गुना बढ़ा है और यह 2.25 लाख करोड़ रुपये हो गई हैं. एएमसी के रूप में हम फिलहाल 3.58 लाख करोड़ रुपये की परिसंपत्तियों का प्रबंधन कर रहे हैं.
इसी समय के दौरान भारतीय म्यूचुअल फंड उद्योग के व्यक्तिगत खातों की संख्या 5.7 करोड़ हो गई है और उसके प्रबंधन के तहत परिसंपत्तियां 20 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई हैं. सेबी की सराहना करते हुए अंबानी ने कहा कि उसने विकासशील दुनिया का सबसे दक्ष तरीके से संचालन वाला बाजार तैयार किया है. उन्होंने कहा कि नियामक को नए निवेशकों के लिए प्रक्रियाओं को और सरल करना चाहिए.
अंबानी ने अगले 100 दिन के लिए कुछ सुझाव भी दिए. उन्होंने कहा कि म्यूचुअल फंड में निवेश को और सरल किया जाना चाहिए. किसी भी ऐसे व्यक्ति जिसका वैध बैंक खाता है उसे वित्तीय उत्पादों में निवेश की अनुमति दी जानी चाहिए क्योंकि उनका बैंक केवाईसी पहले से मौजूद है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पहुंच बढ़ाने और लेनदेन को तेजी से पूरा करने के लिए प्रौद्योगिकी का बेहतर इस्तेमाल किया जाना चाहिए. उन्होंने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को देश की आर्थिक आजादी बताया. उन्होंने कहा कि इससे 1.3 अरब लोगों की सीमारहित दुनिया बनेगी.
अंबानी ने कहा, ''48 घंटे से कम समय में भारत दुनिया का सबसे बड़ा मुक्त और लोकतांत्रिक बाजार बनने जा रहा है.''
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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